Thursday, February 4, 2021

सचिन तेंडुलकर ने बताई इंग्लैंड की कमजोरी, बोले- 2012 जैसी कामयाबी नहीं मिलेगी February 04, 2021 at 04:21PM

नई दिल्लीमास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर का मानना है कि 2012 में भारत दौरे पर टेस्ट सीरीज में इंग्लैंड की जीत में स्पिन गेंदबाज ग्रीम स्वान और मोंटी पनेसर की सफलता का राज काफी हद तक सामान्य से अधिक गति से गेंदबाजी करना था जबकि उन्होंने जैक लीच को ऐसा करते नहीं देखा है। स्वान और पनेसर की जोड़ी की तुलना में बाएं हाथ के स्पिनर जैक लीच थोड़ी धीमी गति से गेंदबाजी करते है और उनकी सफलता की संभावना तभी बढ़ेगी जब वह स्पिनरों के लिए मददगार पिचों पर गति में बदलाव करते रहेंगे। तेंडुलकर ने कहा, ‘वह (2012) अलग तरह का आक्रमण था और स्वान उस समय विश्व के शीर्ष स्पिनरों में एक थे। मोंटी (पनेसर) ऐसे गेंदबाज थे जो गेंद को फ्लाइट करने में विश्वास नहीं रखते थे। वह पिच पर गेंद को तेजी से टप्पा खिलाने में भरोसा करते थे।’ उन्होंने कहा, ‘मोंटी तेज गति से गेंदबाजी करते थे, वह पूरी तरह से लीच से अलग थे। मोंटी के उलट वह (लीच) थोड़ी धीमी गति से गेंदबाजी करते है।’ तेंडुलकर का मानना है कि लीच अपनी गति में मिश्रण नहीं करते है जो कि स्पिनरों की मदद वाली पिच के लिए जरूरी है। टेस्ट और एकदिवसीय में सबसे अधिक शतक लगाने वाले इस पूर्व महान बल्लेबाज ने कहा, ‘मैंने उसे जितना देखा है वह एक ही गति से गेंदबाजी करता है। अगर पिच से ‘टर्न’ और मदद मिल रही हो तो गति में मिश्रण जरूरी होता है क्योंकि इससे बल्लेबाजों को संभलने का कम समय मिलता है। मोंटी और स्वान ने 2012 में ऐसी ही नीति अपनाई थी।’ तेंडुलकर का मानना है कि लाल मिट्टी और उमस वाले मौसम के कारण गेंद 15वें ओवर से रिवर्स स्विंग होने लगेगी और ऐसा 60वें ओवर तक होगा।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि चेन्नै में तेज गेंदबाजों को बड़ी भूमिका निभानी होगी और ऐसे में रिवर्स स्विंग का महत्व बढ़ जाएगा। मुझे लगता है कि 15वें से 60वें ओवर तक गेंद रिवर्स स्विंग होगी। जब गेंद रिवर्स स्विंग होती है तो बल्लेबाज के पास कम समय होता है। उन्होंने कहा, ‘गेंद 60वें से 80वें आवर तक भी रिवर्स स्विंग कर सकती है लेकिन गेंद के नरम होने के कारण बल्लेबाज के पास तालमेल बिठाने के लिए अधिक समय होगा।’

No comments:

Post a Comment