Thursday, March 3, 2022

मोहाली में श्रीलंका से घमासान, ऐसी हो सकती है भारतीय टीम की प्लेइंग इलेवन March 03, 2022 at 12:55AM

मोहाली: भारत और श्रीलंका () के बीच टेस्ट सीरीज का की शुरुआत शुक्रवार से होगी। सीरीज का पहला मैच मोहाली () के आईएस बिंद्रा क्रिकेट स्टेडियम पर खेला जाएगा। इस मैच से भारतीय क्रिकेट के एक नए युग की शुरुआत होगी। यह कप्तान के रूप में का पहला मुकाबला होगा। इसके साथ ही करीब 10 साल के भारतीय बल्लेबाजी की रीढ़ रहे अजिंक्य रहाणे (Ajinkya Rahane) और चेतेश्वर पुजारा के बिना टीम मैदान पर उतरेगी। चेतेश्वर पुजारा नंबर-3 पर बल्लेबाजी करते थे। उनकी जगह लेने के लिए टीम में दो दावेदार हैं- हनुमा विहारी () और शुभमन गिल। गिल ने अभी तक सलामी बल्लेबाज के रूप में टेस्ट क्रिकेट खेला है, लेकिन मुख्य रूप से वे मध्यक्रम के बल्लेबाज हैं। इस सीरीज के लिए उन्हें मध्यक्रम के बल्लेबाज के रूप में ही टीम में जगह मिली है। लेकिन इस मैच के लिए नंबर-3 की रेस में हनुमा विहारी आगे हैं। इस नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए विहारी ने पिछले महीने रणजी ट्रॉफी के मुकाबले की पहली पारी में अर्धशतक और दूसरी पारी में शतक लगाया था। पांचवें नबंर पर श्रेयस अय्यर (Shreyas Iyer) का खेलना तय दिख रहा है। उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ नवंबर में डेब्यू टेस्ट में शतक लगाया था। श्रीलंका के खिलाफ तीन मैच की टी20 सीरीज में अय्यर के बल्ले से बिना आउट हुए 200 से ज्यादा रन निकले थे। वे अजिंक्य रहाणे की जगह प्लेइंग इलेवन में खेल सकते हैं। सलामी बल्लेबाजी की जिम्मेदारी कप्तान रोहित शर्मा और मयंक अग्रवाल पर रहेगी और विराट कोहली तीसरे नंबर पर खेलेंगे। विकेटकीपर के रूप में ऋषभ पंत का खेलना तय है। ऑलराउंडर के रूप में तीन खिलाड़ी रविंद्र जडेजा, रविचंद्रन अश्विन और जयंत यादव खेलते नजर आ सकते हैं। तेज गेंदबाजी में उपकप्तान जसप्रीत बुमराह के जोड़दीर के रूप में मोहम्मद शमी प्लेइंग इलेवन में खेलते नजर आ सकते हैं। भारतीय टीम की संभावित प्लेइंग इलेवन (Indian Team ) : रोहित शर्मा (कप्तान), मयंक अग्रवाल, हनुमा विहारी, विराट कोहली, श्रेयस अय्यर, ऋषभ पंत (विकेटकीपर), रविंद्र जडेजा, रविचंद्रन अश्विन, जयंत यादव, जसप्रीत बुमराह (उपकप्तान), मोहम्मद शमी।

लड़ाकू एटिट्यूड और रन उगलता बल्ला... कैसे धोनी के साए में कोहली ने लिखी अपनी अलग परिभाषा March 03, 2022 at 12:40AM

नई दिल्ली: महान सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar), राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid), वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag), वीवीएस लक्ष्मण (VVS Laxman) और एमएस धोनी (MS Dhoni)... ये वे नाम हैं, जो एक दशक पहले तक भारतीय क्रिकेट की धुरी हुआ करते थे। उस वक्त इनके बिना टीम इंडिया की कल्पना करना भी बेइमानी थी। फैंस इस बात पर घंटों बहस करते आसानी से देखे सकते थे कि इन बड़े नामों की विरासत को भविष्य में कौन संभालेगा? यकीन मानिए उस समय शायद ही किसी के पास इसका सटीक जवाब रहा होगा। दिग्गजों के रिटायरमेंट के बाद आया (Virat Kohli) का दौर। यह खिलाड़ी अपने लड़ाकू एटिट्यूड और विपक्षी टीम के हौसले पस्त करने वाली ताबड़तोड़ बैटिंग से लोगों के दिलों पर कब राज करने लगा पता ही नहीं चला। फैंस को कोहली में न केवल सचिन तेंदुलकर की बैटिंग का रोमांच दिखा, बल्कि सौरभ गांगुली का आक्रामक तेवर भी नजर आया। कभी सचिन की कॉपी राइट रही कवर ड्राइव पर देखते ही देखते कोहली का कब्जा हो गया। पूरे सफर को देखेंगे तो पाएंगे कि गांगुली के बाद कोहली ही वह इकलौते खिलाड़ी हैं, जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया को उसी के अंदाज में जवाब देना शुरू किया। बैटिंग से रन बरसाने के अलावा उनके तीखे तेवर ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और साउथ अफ्रीका जैसी क्रिकेट में प्रभुत्व रखने वाली टीमों को खटकने लगे। रिकी पोंटिंग से लेकर इयान चैपल तक को कोहली में बैड बॉय दिखाई देता था, लेकिन कोहली का खेल ही ऐसा है कि हर कोई अपने मुंह पर ताला जड़ने को मजबूर हुआ। महान बल्लेबाज विवियन रिचर्ड्स हालांकि इस बात से उस वक्त भी इत्तेफाक नहीं रखते थे। उन्होंने तब भी विराट कोहली की फील्ड पर आक्रामकता को आगे बढ़कर अपनाया था। उन्होंने कहा था कि मुझे उनके तेवर में जरा भी कमी नहीं दिखती। मैं तो उनकी बैटिंग को पसंद करता हूं और करूं भी क्यों नहीं.. वह मुझे मेरी याद जो दिलाते हैं। विराट कोहली खुद का आंकलन करना बखूबी जानते हैं। तभी तो 2014 के इंग्लैंड दौरे पर खराब प्रदर्शन के बाद जब उनपर टीम से बाहर होने का दबाव बढ़ा तो उन्होंने दोगुनी ऊर्जा के साथ वापसी की। इंग्लैंड, साउथ अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया हो या फिर वेस्टइंडीज... डेल स्टेन हों या मिशेल जॉनसन... कोहली आंखों में आंखें डालकर दहाड़ने लगे। शतक पर शतक ठोकते हुए उन्होंने बता दिया कि दुनिया को नया 'सचिन' मिल चुका है। लेकिन इसका अंदाज थोड़ा हटकर है, जो स्लेजिंग का जवाब स्लेजिंग से देता है और बैट लेकर मैदान पर उतरता है तो विपक्षी टीम की सजा दोगुनी कर देता है। तभी तो 2018 में जब भारत ऑस्ट्रेलिया दौर पर पहुंचा तो रिकॉर्ड, पिच और खिलाड़ियों से अधिक चर्चा स्लेजिंग पर हो रही थी। दरअसल, कंगारू चाहते थे कि मैदान पर स्लेजिंग नहीं हो, क्योंकि उन्हें पता था यह कोहली की टीम है, छेड़ेंगे तो छोड़ेगी नहीं। हुआ भी कुछ ऐसा ही टीम इंडिया ने यहां 2-1 से हराते हुए न केवल इतिहास रचा, बल्कि कंगारू टीम की हेकड़ी निकाल दी। दुनिया जान चुकी थी कि यह भारत का दौर है, कोहली का दौर है। उनके अंदर लड़ाकूपन तो कूट-कूटकर भरा है। उन्हें तोड़ना आसान नहीं। यह बात उन्होंने पिता के निधन के तुरंत बाद मैदान पर उतकर दिल्ली के लिए मैच बचाते हुए साबित कर दिया था। हां, यहां अगर माही और उनकी कप्तानी की चर्चा न हो तो कोहली का इतिहास अधूरा-सा लगेगा। दरअसल, धोनी वह कड़ी हैं, जो इस दिल्ली के लड़के को 'किंग' कोहली बनाते हैं। उन्होंने चीकू को जब भी जरूरत हुई तब सपोर्ट किया। वह कोहली के कैलिवर को जानते थे तभी तो वह हर कदम पर अपने चीकू का साथ देते रहे। कोहली को घंटों नेट प्रैक्टिस ने तोप बल्लेबाज तो माही के साए में सीखे गए ककहरे ने करिश्माई कप्तान बनाया। कुछ ऐसी भी चीजे हैं, जो कप्तान के तौर पर कोहली को धोनी से अलग करती हैं। फिटनेस और अनुशासन के अलावा आक्रामक तेवर और जुझारूपन। धोनी कूल माने जाते हैं, लेकिन उन्हीं की विरासत संभालने वाले विराट की छवि आक्रामक खिलाड़ी की है। मैदान पर खेल के अनुसार चेहरे के समय-समय पर बदलते भाव धोनी के बिल्कुल उलट बनाते हैं। धोनी इमोशनलेस माने जाते थे। मैच की स्थिति कैसी भी हो उनके चेहरे का भाव नहीं बदलता था। कोहली को एक और बात धोनी से अलग करती है वह हैं इमोशंस। तभी तो विवियन रिचर्ड्स कहते हैं कि भारत का मैच अगर चल रहा है तो उसके लिए स्कोरकार्ड देखने की जरूरत नहीं। आप विराट कोहली के चेहरे को देखकर मैच का रूख बता सकते हैं। यह बात सही भी है। कोहली खुलकर जिंदगी जीने में विश्वास रखते हैं। जश्न मनाने और उसे व्यक्त करने का उनका अपना विशेष तरीका है। यही तो बात है, जो उनके फैंस को पसंद आती है। कोहली ने 2014 के इंग्लैंड दौरे को लेकर एक बार कहा था कि जब मैं इंग्लैंड से लौटा तो मैं समझ चुका था कि इस फिटनेस और जज्बे से कुछ नहीं हासिल होगा। अगर विदेशी तेज तर्रार पिचों पर रन बरसाना है तो फिटनेस के लेवल पर उनसे एक कदम आगे रहना होगा। यही वजह है कि कोहली घंटों जिम बिताते हैं और भारतीय टीम में शामिल होने के लिए जरूरी यो-यो टेस्ट में बेस्ट स्कोर करते हैं। रोचक बात यह है कि कोहली कप्तान हों या नहीं, इसका उनके खेले और टीम के प्रति समर्पण पर कोई असर नहीं पड़ता। शुक्रवार को जब विराट कोहली श्रीलंका के खिलाफ मोहाली में अपना 100वां टेस्ट खेलने उतरेंगे तो फैंस चाहेंगे कि उनकी बैटिंग में गांगुली सा तेवर हो, धोनी सा सब्र हो, सचिन से बेहतर कवर ड्राइव और मौजूदा कोच राहुल द्रविड़ सी मैराथन पारी हो। जितना शानदार उनका अब तक का करियर रहा है उससे कहीं अधिक यादगार 100वां टेस्ट हो।

श्रीलंका ने भारत में अभी तक नहीं चखा जीत का स्वाद, विराट ही नहीं इन वजहों से भी खास होगा मोहाली टेस्ट March 02, 2022 at 08:00PM

मोहाली: क्रिकेट के पारंपरिक स्वरूप को हमेशा प्राथमिकता देने वाले विराट कोहली () जहां अपने 100वें टेस्ट मैच को यादगार बनाने की कोशिश करेंगे। वहीं (Rohit Sharma) श्रीलंका के खिलाफ शुक्रवार () से यहां शुरू होने वाले पहले टेस्ट क्रिकेट मैच में बड़ी जीत के साथ भारत के 35वें टेस्ट कप्तान के रूप में अपनी पारी का धमाकेदार आगाज करना चाहेंगे। श्रीलंका की टीम अभी तक भारत कोई टेस्ट मैच नहीं जीत पाई है। टीम को यहां खेले 20 टेस्ट में 11 हार मिली है और 9 मैच ड्रॉ रहे। भारत ने 1932 में पहला टेस्ट खेलने के बाद भारतीय क्रिकेट को कई दिग्गज खिलाड़ी मिली है, जिन्होंने महानता के नए आयाम हासिल किए हैं। फिर चाहे वह सुनील गावस्कर का 10,000वां रन हो या सचिन तेंदुलकर की भावनात्मक विदाई। अब कोहली पर सभी की निगाह है, जिनका 100वां टेस्ट चर्चा का विषय बना हुआ है। कोहली अपने इस 100वें टेस्ट मैच में शतक का इंतजार खत्म करके इसे यादगार बनाने की कोशिश करेंगे। वह पिछले दो साल से भी अधिक समय से तिहरे अंक में नहीं पहुंचे हैं। सुरंगा लकमल, लाहिरू कुमारा या लेसिथ एम्बुलडेनिया जैसे गेंदबाजों की मौजूदगी वाले श्रीलंकाई आक्रमण को खेलने में कोहली को किसी तरह की परेशानी होगी, ऐसा नहीं लगता। वह निश्चित तौर पर अपने कवर ड्राइव, ऑन ड्राइव, फ्लिक और पुल से अपने प्रशंसकों को रोमांचित करना चाहेंगे। इस टेस्ट मैच से रोहित की अगुवाई में भारतीय टीम की नई यात्रा भी शुरू होगी। रोहित की सीमित ओवरों की क्रिकेट विशेषकर इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में सफलता से सभी वाकिफ हैं, जहां वह महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) जैसे दिग्गज को चुनौती देते रहे हैं। लेकिन टेस्ट क्रिकेट में कप्तानी करना पूरी तरह से भिन्न होता है। रोहित अभी 34 साल के हैं और यह तय है कि वह लंबे समय तक यह जिम्मा नहीं संभालेंगे। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि वह भारतीय क्रिकेट में परिवर्तन के इस दौर को कैसे संभालते हैं जिसकी शुरुआत चेतेश्वर पुजारा, अंजिक्य रहाणे और इशांत शर्मा जैसे दिग्गजों को बाहर करने से हुई है। रोहित के कप्तानी कौशल पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी क्योंकि टेस्ट मैचों में एक सत्र में मैच का परिदृश्य बदल जाता है। इस तरह की परिस्थितियों में उनके नेतृत्व कौशल की असली परीक्षा होगी। इसमें भी उनकी सबसे पहली परख टीम संयोजन को लेकर होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि पुजारा और रहाणे जैसे बल्लेबाजों की अनुपस्थिति में वह किस तरह के संयोजन के साथ उतरते हैं। पूरी संभावना है कि पुजारा के नंबर तीन स्थान पर शुभमन गिल को उतारा जाएगा। रहाणे के पांचवें नंबर के स्थान के लिए हनुमा विहारी और श्रेयस अय्यर के रूप में दो दावेदार हैं। विहारी ने विदेशों की मुश्किल परिस्थितियों में भी अपना जुझारूपन दिखाया है जबकि अय्यर ने न्यूजीलैंड के खिलाफ अपने पदार्पण मैच में शतक जड़कर अपनी काबिलियत दिखायी थी। विकेटकीपर ऋषभ पंत को भी पांचवें नंबर पर उतारने का रणनीतिक फैसला किया जा सकता है। वे बायें हाथ के बल्लेबाज हैं, जिससे दायें और बायें हाथ के बल्लेबाजों का संयोजन पैदा होगा। श्रीलंका की बल्लेबाजी कप्तान दिमुथ करुणारत्ने तथा अनुभवी दिनेश चांडीमल और एंजेलो मैथ्यूज पर निर्भर है। देखना होगा कि सूखी पिच पर वह रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा का कैसे सामना करते हैं। मैच की शुरुआत भारतीय समय अनुसार सुबह 9 बजकर 30 मिनट पर होगी। टीम इस प्रकार हैं : भारत: रोहित शर्मा (कप्तान), मयंक अग्रवाल, शुभमन गिल, विराट कोहली, ऋषभ पंत (विकेटकीपर), हनुमा विहारी, रविचंद्रन अश्विन, रविंद्र जडेजा, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, मोहम्मद सिराज, जयंत यादव, श्रेयस अय्यर, कोना भारत (विकेटकीपर), उमेश यादव, सौरभ कुमार, प्रियांक पांचाल। श्रीलंका: दिमुथ करुणारत्ने (कप्तान), धनंजय डिसिल्वा, चरित असलंका, दुशमंथा चमीरा, दिनेश चांडीमल, एंजेलो मैथ्यूज, निरोशन डिकवेला, लसिथ एम्बुलडेनिया, विश्व फर्नांडो, सुरंगा लखमल, लाहिरू थिरिमाने, लाहिरु कुमारा, कुसाल मेंडिस, पाथुम निसांका, जेफ्री वंडारसे, प्रवीण जयविक्रमा, चमिका करुणारत्ने।

महिला वनडे वर्ल्ड कप से पहले ऑस्ट्रेलिया को झटका, प्रमुख खिलाड़ी पहले दो मैच से बाहर March 02, 2022 at 08:15PM

क्राइस्टचर्च: आस्ट्रेलिया की () टीम की स्टार ऑलराउंडर () कोविड-19 से संक्रमित पायी गयी हैं। वह शुक्रवार से शुरू हो रहे महिला वनडे विश्व कप () में अपनी टीम के पहले दो मैचों में नहीं खेल पाएंगी। यह 24 वर्षीय खिलाड़ी 10 दिन तक आइसोलेशन पर रहेगी। जिसके कारण वह इंग्लैंड और पाकिस्तान के खिलाफ क्रमश: शनिवार और मंगलवार को होने वाले मैचों में नहीं खेल पाएंगी। उनके मेजबान न्यूजीलैंड के खिलाफ 13 मार्च को वेलिंगटन में होने वाले तीसरे मैच में उपलब्ध रहने की संभावना है। क्रिकेट आस्ट्रेलिया ने बयान में कहा, ‘आस्ट्रेलिया की बाकी सभी खिलाड़ियों और सहयोगी स्टाफ का परीक्षण नेगेटिव आया है।’ विश्व कप शुक्रवार से शुरू होगा जिसमें छह बार के चैंपियन आस्ट्रेलिया को खिताब का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। 2017 में हुए पिछले टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया को भारत के खिलाफ हार मिली थी। गार्डनर ने ऑस्ट्रेलिया के लिए 42 वनडे मैच खेले हैं। इसकी 30 पारियों में उनके नाम 571 रन हैं। इसके साथ ही उन्होंने 43 विकेट भी चटकाए हैं। वे टीम के लिए बल्लेबाजी में फिनिशर की भूमिका निभाती हैं। वनडे में उनका स्ट्राइक रेट 113.97 का है। इसी वजह से टीम में उनकी भूमिका अहम मानी जाती है।

खेल के मैदान पर अलग-थलग पड़ा रूस, अब विंटर पैरालिंपिक में भी लगा बैन March 02, 2022 at 09:40PM

बीजिंग: अंतरराष्ट्रीय पैरालिंपिक समिति () ने गुरुवार को कहा कि रूसी और बेलारूसी खिलाड़ियों को यूक्रेन में युद्ध () में उनके देशों की भूमिका के कारण (Beijing 2022 ) खेलों से प्रतिबंधित कर दिया गया है। आईपीसी ने 24 घंटे के अंदर अपना फैसला बदला क्योंकि इससे पहले बुधवार को उसने कहा था कि शुक्रवार से शुरू होने वाले खेलों में रूसी और बेलारूसी खिलाड़ियों को तटस्थ खिलाड़ियों के रूप भाग लेने की अनुमति दी जाएगी, जिसमें वे अपने देश के नाम और ध्वज का उपयोग नहीं कर सकते थे। आईपीसी को इस फैसले के लिये आलोचना झेलनी पड़ी थी। जिसके बाद उसे अपना निर्णय बदलना पड़ा। आईपीसी ने यह भी कहा कि स्पष्ट है कि कई खिलाड़ी रूस या बेलारूस के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने से मना कर देंगे, जिससे पैरालिंपिक में मुश्किल स्थिति पैदा हो जाएगी और उससे उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान होगा। आईपीसी के अध्यक्ष एंड्रयू पर्सन्स ने कहा, ‘पिछले 12 घंटों में कई सदस्यों ने हमसे संपर्क किया। उन्होंने कहा कि अगर हम अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं करते हैं तो उसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।’ अपना फैसला बदलने के बाद आईपीसी अब फुटबॉल, ट्रैक एवं फील्ड, बास्केटबॉल, हॉकी और अन्य खेलों में शामिल हो गया है, जिन्होंने रूस और बेलारूस के खिलाड़ियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है।