Monday, August 2, 2021

तोक्यो रिजल्ट: भालाफेंक में अन्नु रानी ने किया निराश, अब नजरें पुरुष हॉकी टीम पर August 02, 2021 at 04:26PM

नई दिल्ली भारत ने तोक्यो ओलिंपिक के 12वें दिन हार से शुरुआत की। भालाफेंक महिला एथलीट अन्नु रानी कुछ खास कमाल नहीं कर सकीं। इस समय भारत और बेल्जियम पुरुष हॉकी टीमें आमन सामने हैं। इसके बाद रेसलिंग में सोनम मलिक उतरेंगी जबकि शॉटपुटर एथलीट तेजिंदर पाल सिंह तूर अपना दमखम दिखाते हुए नजर आएंगे। फाइनल में जगह बनाने से चूकीं अन्नु रानी भारत की अनु रानी (Annu Rani) तोक्यो ओलंपिक खेलों (Tokyo 2020) की भाला फेंक स्पर्धा के फाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाईं। अनु रानी 54.04 मीटर के निराशाजनक प्रदर्शन के साथ 14वें स्थान पर रहीं। अनु ने 14 खिलाड़ियों के ग्रुप ए में 50.35 मीटर भाला फेंककर शुरुआत की और अपने दूसरे प्रयास में 53.19 मीटर की दूरी तय की। इस 29 वर्षीय एथलीट को 12 खिलाड़ियों के फाइनल में जगह बनाने के लिये बेहतरीन प्रदर्शन करने की जरूरत थी लेकिन वह 63 मीटर के स्वत: क्वालीफिकेशन संख्या के करीब भी नहीं पहुंच पाईं। अनु का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 63.24 मीटर है जो उन्होंने इस साल फेडरेशन कप में हासिल किया था। पोलैंड की मारिया आंद्रेजिक एकमात्र एथलीट रही जिन्होंने पहले प्रयास में ही 65.25 मीटर भाला फेंककर स्वत: क्वालीफाई किया। नियमों के अनुसार 63 मीटर भाला फेंकने वाले या सर्वश्रेष्ठ 12 खिलाड़ियों को फाइनल में जगह मिलती है। भाला फेंक में अब सभी की निगाहें पुरुष वर्ग में नीरज चोपड़ा पर टिकी रहेगी जिनकी स्पर्धा बुधवार को है।

टोक्यो ओलिंपिक LIVE:भारत Vs बेल्जियम हॉकी सेमीफाइनल जारी; टीम इंडिया को 2-1 की लीड, हरमनप्रीत और मंदीप ने दागे गोल August 02, 2021 at 03:33PM

ओलिंपिक में झांसल की बेटी का दम:ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बचाए 7 गोल, छठी कक्षा में थामी थी हॉकी, 2018 में मिल चुका है अर्जुन अवार्ड August 02, 2021 at 02:36PM

एक मिनट के भीतर बेल्जियम ने खाता खोला, भारत को बैकफुट पर धकेला August 02, 2021 at 02:09PM

तोक्यो आज का दिन भारतीय हॉकी में एक नया अध्याय लिख सकता है। भारतीय पुरुष टीम का मुकाबला तोक्यो ओलिंपिक के सेमीफाइनल में बेल्जियम से हो रहा है। भारत का हॉकी में स्वर्णिम इतिहास रहा है लेकिन मनप्रीत सिंह की कप्तानी वाली टीम उसे लौटाने की राह पर है। आज की जीत ओलिंपिक में भारत का पदक पक्का कर देगी। 41 साल बाद भारत ओलिंपिक में पदक जीतने के बेहद करीब पहुंच चुका है। भारत और बेल्जियम के बीच मुकाबला शुरू। भारत ने सकारात्मक शुरुआत की है। ग्राहम रीड के मार्गदर्शन में खेल रही भारतीय टीम को पता है कि बेल्जियम के खिलाफ मंगलवार को एक और अच्छा प्रदर्शन टीम का नाम इतिहास में दर्ज करा देगा, फिर चाहे पदक का रंग कोई भी क्यों ना हो। अपने पूल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1-7 से मिली करारी हार को छोड़ दें तो भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन किया है। उसने लगातार चार मुकाबले जीतकर अंतिम चार में जगह बनाई है। भारतीय टीम को पता है कि बस एक और अच्छा दिन और उसका नाम इतिहास में दर्ज हो जाएगा।

हॉकी में 41 साल बाद मेडल का मौका:टोक्यो ओलिंपिक के सेमीफाइनल में मौजूदा वर्ल्ड चैंपियन बेल्जियम से मुकाबला, जीते तो 1980 के बाद मिलेगा पहला मेडल August 02, 2021 at 01:30PM

अब होगा दंगल: बजरंग-विनेश से कुश्ती में मेडल की आस, रवि दाहिया भी मजबूत दावेदार August 02, 2021 at 12:31AM

तोक्योभारत के सात पहलवान तोक्यो खेलों में जब अपने अभियान की शुरुआत करेंगे तो सभी की नजरें बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट पर टिकी होंगी जिन्होंने ओलिंपिक से पहले शानदार प्रदर्शन करके पदक की उम्मीदें जगाई हैं। कुश्ती में भारत के अभियान की शुरुआत मंगलवार को यहां सोनम मलिक करेंगी। कुश्ती में भारत को तीन पदक की उम्मीद है और अगर पहलवान तीन पदक जीतने में नाकाम रहते हैं तो इसे कमतर प्रदर्शन माना जाएगा। बजरंग (65 किग्रा फ्रीस्टाइल) और विनेश (महिला 53 किग्रा) के अलावा रवि दाहिया (57 किग्रा फ्रीस्टाइल) से अगले कुछ दिनों में कुश्ती के मैट पर पदक जीतने की उम्मीद है। सोनम देंगी पहली चुनौती भारत की ओर से 19 साल की सोनम सबसे पहले महिला 62 किग्रा वर्ग में चुनौती पेश करने उतरेंगी। उन्हें एशियाई चैंपियनशिप की रजत पदक विजेता मंगोलिया की बोलोरतुया खुरेलखू से भिड़ना है। सोनम और 19 साल की एक अन्य पहवान अंशु मलिक दोनों सीनियर सर्किट पर नई खिलाड़ी हैं और ऐसे में विरोधी खिलाड़ियों को उनके खेल की अधिक जानकारी नहीं है और भारतीय पहलवान विरोधियों को हैरान कर सकती हैं। अंशु ने अच्छा प्रदर्शन किया है और उनके खेल में लगातार सुधार हो रहा है। इन दोनों ही खिलाड़ियों पर कोई दबाव नहीं है और अगर ये पदक के बिना भी लौटती हैं तो इन्हें भविष्य में यहां मिलने वाले अनुभव से फायदा ही होगा। विनेश फोगाट से गोल्ड की उम्मीद सीनियर पहलवान विनेश अपनी स्पर्धा में शीर्ष वरीय पहलवान के रूप में उतरेंगी और जापान की मायू मुकाइदा के अलावा वह सभी विरोधियों को हराने में सक्षम हैं। विनेश के वर्ग में प्रतिस्पर्धा हालांकि काफी कड़ी होगी। विनेश का डिफेंस बेहतर हुआ है और उनकी पलटवार करने की क्षमना का कोई सानी नहीं है, उन्होंने एशियाई चैंपियनशिप में खिताब जीतने के दौरान इसे दिखाया भी है। एशियाई चैंपियनशिप और अन्य प्रतियोगिताओं में हालांकि जापान और चीन की पहलवानों ने हिस्सा नहीं लिया था। बजरंग का बाहुबल दिलाएगा सोना! पुरुष वर्ग में भारतीय चुनौती की अगुआई बजरंग करेंगे जो विश्व स्तर पर काफी सम्मानित पहलवान हैं। बजरंग ने अपने पिछले 10 अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में छह स्वर्ण, तीन रजत और एक कांस्य पदक जीता है। बजरंग का स्टेमिना उनका पलड़ा भारी करता है, लेकिन उनके पैर के रक्षण की परीक्षा होगी, उनके वर्ग में काफी कड़ी प्रतिस्पर्धा है और कम से कम पांच से छह पहलवान स्वर्ण पदक जीतने में समक्ष हैं। रवि और दीपक से भी अपेक्षाएं रवि भी पदक के दावेदार हैं। उनके पास मजबूती और स्टेमिना है जबकि उनका तकनीकी पक्ष भी मजबूत है। उनके अपने अधिकतर मुकाबले तकनीकी दक्षता के आधार पर जीते हैं। उनके वर्ग में रूस ओलंपिक समिति के जावुर उगयेव और तुर्की के सुलेमान अतली मजबूत प्रतिद्वंद्वी हैं। प्रतियोगिता में खेलने का समय कम मिलने के लिहाज से दीपक पूनिया (86 किग्रा फ्रीस्टाइल) संभवत: पूरी तैयारी के साथ नहीं उतर रहे। विश्व चैंपियनशिप 2019 के रजत पदक विजेता दीपक ने विश्व कप 2020 के बाद से प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लिया है। वह बाईं कोहनी की चोट से उबर रहे थे और पोलैंड ओपन से उन्होंने नाम वापस ले लिया। ओलिंपिक से पहले पोलैंड ओपन आखिरी प्रतियोगिता थी।

ओलिंपिक में किया देश का नाम रोशन, अब खिलाड़ी के परिवार को मिल रही धमकियां August 02, 2021 at 06:51AM

कोलकाताअपने पहले ओलिंपिक से लौटे भारतीय तीरंदाज प्रवीण जाधव के परिजनों को ‘ईर्ष्यालु पड़ोसी’ धमकी दे रहे हैं कि वे अपने टिन के घर की मरम्मत नहीं कराए। जाधव ओलिंपिक में रैंकिंग दौर में अपने सीनियर साथियों अतनु दास और तरूणदीप राय से आगे रहे थे। बाद में मिश्रित युगल में दीपिका कुमारी के साथ प्रवीण को उतारा गया, लेकिन वे अंतिम आठ से बाहर हो गए, लेकिन महाराष्ट्र के सातारा जिले में उनके साराडे गांव में उनकी शोहरत से जलने वाले पड़ोसी उन्हें धमकी भरे फोन कर रहे हैं। जाधव के परिवार के चार सदस्य झोपड़ी में रहते थे लेकिन उनके सेना में भर्ती होने के बाद पक्का घर बनवा लिया। जाधव ने कहा, ‘सुबह एक परिवार के पांच छह लोग आकर मेरे माता-पिता, चाचा-चाची को धमकाने लगे। हम अपने घर की मरम्मत कराना चाहते हैं।’ जाधव ने कहा, ‘पहले भी वे परेशान करते थे और एक अलग लेन चाहते थे, जिस पर हम राजी हो गए, लेकिन अब वे सारी सीमा पार कर रहे हैं। हमें घर की मरम्मत कराने से कैसे रोक सकते थे। वे हमसे जलते हैं। हम इस मकान में बरसों से रह रहे हैं और हमारे पास सारे कागजात हैं।’ भारतीय दल लौटने के बाद सीधे हरियाणा के सोनीपत चला गया जहां अगले महीने होने वाली विश्व चैंपियशिप के लिए अभ्यास शिविर लगा है। बुधवार को नए सिरे से ट्रायल होंगे। जाधव ने कहा, ‘मेरा परिवार परेशान है और मैं भी वहां नहीं हूं। मैंने सेना के अधिकारियों को बता दिया है और वे इसे देख रहे हैं।’

जिगरी दोस्त लेगा मयंक अग्रवाल की जगह, मध्यक्रम का स्टार भी बनाया जा सकता है ओपनर August 02, 2021 at 07:55AM

नॉटिंघम इंग्लैंड के खिलाफ पहला टेस्ट मैच चार अगस्त से होना है। पांच टेस्ट मुकाबलों की इस श्रृंखला से पहले भारतीय टीम को झटका लगा है। सलामी बल्लेबाज मयंक अग्रवाल अपने ही खिलाड़ी की गेंद पर चोटिल हो गए। प्रैक्टिस के दौरान मोहम्मद सिराज की शॉर्ट गेंद सिर पर लगने से चोट लगने के कारण वह पहले टेस्ट से बाहर हो गए हैं। केएल राहुल संभाल सकते हैं मोर्चा मयंक की गैरमौजूदगी में लोकेश राहुल को सलामी बल्लेबाज के तौर पर मौका मिल सकता है। राहुल ने ज्यादातर टेस्ट मैचों में पारी का आगाज किया है लेकिन इन दिनों वह मध्य-क्रम में खेलना पसंद करते हैं। टीम में सलामी बल्लेबाजी का एक और विकल्प बंगाल के अभिमन्यु ईश्वरन है। हनुमा विहारी भी एक विकल्प मध्यक्रम में बल्लेबाजी करने वाले विहारी को बतौर सलामी बल्लेबाज मौका मिल सकता है जो ऑस्ट्रेलिया की तरह यहां पारी का आगाज कर सकते है। विहारी ऑफ स्पिन गेंदबाजी भी करते है और अगर वह सलामी बल्लेबाज के तौर पर टीम में शामिल होते है तो हरफनमौला तेज गेंदबाज शार्दुल ठाकुर को भी अंतिम 11 में चुना जा सकता है। कैसे लगी चोट?इंग्लैंड दौरे पर गए भारतीय गेंदबाजों में सिराज सबसे तेज गेंदबाजी करते है। अभ्यास के समय मयंक ने उनकी शॉट गेंद से नजरें हटा ली, जिसके बाद गेंद उनकी सिर के पिछले हिस्से में हेलमेट से टकरा गई। भारतीय टेस्ट उपकप्तान अजिंक्य रहाणे से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मयंक के सिर में चोट लगी है। रहाणे ने कहा, ‘मयंक अग्रवाल के सिर में चोट लगी है। चिकित्सा टीम उनकी निगरानी कर रही है। अन्य सभी खिलाड़ी फिट है।’ कनकशन से गुजरना होगा मयंक हेलमेट खोलने के बाद कुछ असहज महसूस कर रहे थे और फिर फिजियो नितिन पटेल उनके साथ जमीन पर बैठे गए, इसके बाद वह सिर के पिछले हिस्से पर हाथ रखकर पटेल के साथ नेट से बाहर निकल गए। यह उम्मीद की जा है रही कि टेस्ट मैच खेलने के लिए मंजूरी मिलने से पहले अनिवार्य रूप से उन्हे ‘कनकशन’ जांच से गुजरना होगा।

टेस्ट सीरीज से पहले कोहली की हुंकार- 'आत्मसमर्पण नहीं पसंद, तीसरे-चौथे ही दिन जीतेंगे मैच' August 02, 2021 at 04:26AM

नॉटिंघमभारतीय कप्तान विराट कोहली ने सोमवार को कहा कि इंग्लैंड में टेस्ट श्रृंखला जीतने के लिए 'अथक प्रयास' और पूरी तरह से उत्कृष्टता हासिल करने पर ध्यान देना जरूरी है। कोहली की अगुवाई में भारतीय टीम जो रूट की कप्तानी वाली इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट श्रृंखला खेलेगी, जिसका आगाज बुधवार को पहले टेस्ट से होगा। भारतीय विकेटकीपर दिनेश कार्तिक के सवाल पर उन्होंने 'स्काई स्पोर्ट्स' पर कहा, ‘पांच टेस्ट मैचों की श्रृंखला में हमें हर दिन अथक प्रयास के साथ उत्कृष्टता हासिल करने पर ध्यान देना जारी रखना होगा। यहां आपको खुद से यह कहना होगा कि आप कड़ी मेहनत करना चाहता है और ऐसी परिस्थितियों का सामना करना चाहते है जो हर दिन हर टेस्ट मैच में कठिन होती हैं।’ कोहली के लिए व्यक्तिगत रूप से, इंग्लैंड में जीतना कहीं और जीतने से ज्यादा बड़ी उपलब्धि है। भारतीय कप्तान ने कहा, ‘आपको इस तरह के कार्यभार के लिए मानसिक तौर पर तैयार रहना होगा। मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से यहां टेस्ट मैच या टेस्ट श्रृंखला जीतने से ज्यादा कुछ नहीं है।’ मौजूदा दौर में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में शामिल कोहली ने कहा, ‘हम मैदान पर कदम रखते हैं और हम प्रतिस्पर्धा करते हैं। हम हर टेस्ट मैच जीतना चाहते हैं, यही मेरे लिए ज्यादा मायने रखता है, क्योंकि फिर से यह एक संस्कृति की तरह है, ये परिणाम हैं।’ उन्होंने कहा, ‘भारतीय क्रिकेट के लिए इंग्लैंड में टेस्ट श्रृंखला में जीतनी बहुत बड़ी बात होगी और हमने इसे पहले भी किया है। हम इसे फिर से कर सकते हैं, लेकिन मुझे यह संस्कृति अधिक पसंद है। मैं अपनी क्षमता के मुताबिक सब कुछ करूंगा, भले ही आप टेस्ट मैच हार जाएं।’

तोक्यो ओलंपिक: मंगलवार को पुरुष हॉकी टीम पर होंगी निगाहें, ये रहा 3 अगस्त का कार्यक्रम August 02, 2021 at 03:11AM

तोक्यो भारत के लिए तोक्यो ओलिंपिक में सोमवार का दिन मिला जुला रहा। हालांकि सोमवार को कोई पदक तो नहीं मिला लेकिन भारतीय महिला हॉकी टीम ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम को हरा दिया। इसके साथ ही कमलप्रीत कौर डिस्कस थ्रो में बाहर हो गईं। तोक्यो ओलिंपिक के 3 अगस्त दिन मंगलवार को भारत का कार्यक्रम (भारतीय समय के अनुसार) इस प्रकार है। एथलेटिक्स:अनु रानी, महिला भाला फेंक क्वालीफिकेशन ग्रुप ए, सुबह 05.50 बजे तेजिंदरपाल सिंह तूर, पुरूष गोला फेंक क्वालीफिकेशन ग्रुप ए, सुबह 03:45 बजे हॉकी:भारत बनाम बेल्जियम, पुरुष हॉकी सेमीफाइनल, सुबह सात बजे। कुश्ती: सोनम मलिक बनान बोलोरतुया खुरेलखू (मंगोलिया), सुबह 8:30 बजे से शुरू होने के बाद सातवां बाउट

'कुपोषित थी, हॉकी स्टिक भी नहीं खरीद सकती थी, पापा गाड़ी चलाते और मां नौकरानी'...रानी रामपाल की ये दास्तां नम कर देगी आंखें August 02, 2021 at 04:29AM

नई दिल्ली 'मैं अपने जीवन से भागना चाहती थी। बिजली सारा-सार दिन आती नहीं थी, कानों पर मच्छर भिनभिनाते रहते थे और बमुश्किल दो वक्त की रोटी मिलती थी। बारिश होती थी तो घरों पर पूरा पानी भर जाता था। मेरे पिता जी ने पूरी कोशिश कि हम लोगों को अच्छे से जीवन बिताएं लेकिन वो इतना ही कर सकते थे क्योंकि वो एक गाड़ी चलात थे और मां नौकरानी की तरह काम किया करती थी।' हॉकी स्टिक नहीं खरीद सकते थे पिता जी'मेरे घर के पास एक हॉकी अकादमी थी, इसलिए मैं घंटों खिलाड़ियों को अभ्यास करते हुए देखती थी। मैं भी वास्तव में खेलना चाहती थी। पापा प्रतिदिन 80 रुपये कमाते थे और मेरे लिए एक हॉकी स्टिक नहीं खरीद सकते थे। हर दिन मैं कोच के पास जाती थी और मुझे भी सिखाने के लिए कहती थी। कोच ने मुझे रिजेक्ट कर दिया क्योंकि मैं कुपोषित थी। वह कहते थे, 'आप अभ्यास सत्र के लिए पर्याप्त मजबूत नहीं हैं।'... आप सोच रहें होंगे कि ये किसकी बात यहां हो रही है। जी हां ये बात हो रही भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल की। रानी रामपाल ने अपने उस दौर की बातें बताईं जब मुफलिसी के कारण उनका जीवन मुश्किलों से गुजर रहा था। टूटी स्टिक से शुरू हुआ सफररानी रामपाल आगे कहती हैं, 'इसके बाद मुझे मैदान पर एक टूटी हुई हॉकी स्टिक मिली और उसी के साथ अभ्यास करना शुरू किया। मेरे पास ट्रेनिंग के कपड़े नहीं थे, इसलिए मैं सलवार कमीज में इधर-उधर भागा करती थी। लेकिन मैंने खुद को साबित करने की ठान ली थी। मैंने कोच से मौका मांगा और बहुत मुश्किल से आखिरकार उनको तैयार किया।' घर वालों ने मना किया लेकिन जब मैंने अपने परिवार को बताया, तो उन्होंने कहा कि लड़कियां घर का काम ही करती हैं और हम तुम्हें स्कर्ट पहनने नहीं देंगे।' मैनें उनसे कहा कि प्लीज मुझे जाने दो। अगर मैं असफल होता हूं, तो आप जो चाहेंगे, मैं करूंगा।’ मेरे परिवार ने बिना मन से मेरी बात मान ली। प्रशिक्षण सुबह से शुरू होगा। हमारे पास घड़ी भी नहीं थी, इसलिए मां उठती थीं और आसमान की ओर देखतीं कि क्या यह मुझे जगाने का सही समय है। दूध में पानी मिलाकर पीती थीअकादमी में प्रत्येक खिलाड़ी के लिए 500 मिलीलीटर दूध लाना अनिवार्य था। मेरा परिवार केवल 200 मिली का दूध ही खरीद सकता था। बिना किसी को बताए मैं दूध में पानी मिलाकर पी लेती थी क्योंकि मैं खेलना चाहती थी। मेरे कोच ने मोटे और पतले के माध्यम से मेरा समर्थन किया। उन्होंने मुझे हॉकी किट और जूते खरीद कर दिए। उन्होंने मुझे अपने परिवार के साथ रहने दिया और मेरी डाइट संबंधी जरूरतों का भी ध्यान रखा। मैं कड़ी मेहनत करती और अभ्यास का एक भी दिन नहीं छोड़ती थी। 15 साल में पहली बार नेशनल का मौकाअपने राज्य का प्रतिनिधित्व करने और कई चैंपियनशिप में खेलने के बाद, मुझे आखिरकार 15 साल की उम्र में एक राष्ट्रीय मौका मिला। फिर भी मेरे रिश्तेदार मुझसे केवल शादी की बात किया करते थे। लेकिन पापा ने मुझसे कहा अपने दिल की खुशी तक खेलो।' अपने परिवार के समर्थन से मैंने भारत के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने पर ध्यान केंद्रित किया और आखिरकार मैं भारतीय हॉकी टीम का कप्तान बन गई। रानी रामपाल ने साझा की आपबीतीये सब बातें भारतीय महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी रानी रामपाल ने खुद सोशल मीडिया पर पोस्ट की और देश के साथ साझा की। हरियाणा में शाहाबाद की बेटी रानी रामपाल के संघर्ष की कहानी उनके पिता की मेहनत के साथ शुरू हुई थी। शाहाबाद कस्बा के माजरी मोहल्ले की रानी के पिता तांगा चलाया करते थे और अक्सर महिला हॉकी खिलाड़ियों को आते-जाते देखते थे। बस यहीं से पिता के दिल में बेटी को खिलाड़ी बनाने की चाह जाग उठी और बेटी को हॉकी मैदान में उतारा। खेलने और पढ़ाई का शौकजहां से रानी की हॉकी की स्वर्णिम शुरुआत हुई। रामपाल बताते हैं कि दिक्कतें तो गरीबी में सबसे ज्यादा होती हैं। लेकिन रानी ने कभी कोई शिकायत नहीं की। वह अपनी पढ़ाई और खेल के प्रति समर्पित रहीं। रानी को शुरू से ही खेलने का और अपनी पढ़ाई का शौक रहा है। वह कभी टीवी नहीं देखती। अगर परिवार के लोग टीवी देख रहे होते हैं तो वह दूसरे कमरे में जाकर बैठ जाती थीं और पढ़ाई करतीं। 6 साल की उम्र में थामी हॉकीउन्होंने बताया कि रानी ने महज छह साल की उम्र में हॉकी पकड़ी थी। पांचवीं कक्षा में हॉकी कोच बलदेव सिंह के पास प्रशिक्षण लेना शुरू किया। 16 वर्ष की आयु में भारतीय टीम से खेलना शुरू किया। ये उनका दूसरा ओलिंपिक है और बतौर कप्तान खेल रही हैं। पिछली बार ओलिंपिक से लौटने के बाद हॉकी प्लेयर रानी रामपाल को अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया था। भारत सरकार की ओर से रानी रामपाल को खेल रत्न अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है।

पाकिस्तानी भी मना रहे जश्न, भारतीय हॉकी टीम के ओलिंपिक सेमीफाइनल में पहुंचने की खुशी August 02, 2021 at 01:31AM

कराची तोक्यो ओलिंपिक में भारतीय हॉकी टीमों के शानदार प्रदर्शन से पाकिस्तान में भी खुशी है और दिग्गजों का मानना है कि इससे एशिया में लोगों की हॉकी में दिलचस्पी फिर जगेगी। भारतीय महिला और पुरूष हॉकी टीमें ओलंपिक सेमीफाइनल में पहुंच गई जबकि पाकिस्तान लगातार दूसरी बार क्वालीफाई करने में भी नाकाम रहा। मशहूर सेंटर फॉरवर्ड हसन सरदार ने कहा, ‘भारतीय हॉकी के ढांचे की यह जीत है। जब तक पैसा निवेश नहीं करेंगे और खिलाड़ियों का ध्यान नहीं रखेंगे, प्रतिभाएं कहां से निकलेंगी। पाकिस्तान में सुरक्षित भविष्य की चाह में युवा क्रिकेट को चुनते हैं, हॉकी को नहीं। आज हॉकी में कामयाबी की कुंजी फिटनेस है और भारतीय टीम काफी फिट है।’ पाकिस्तान हॉकी महासंघ के महासचिव आसिफ बाजवा ने कहा कि भारत की सफलता से क्षेत्र में हॉकी में रूचि फिर पैदा होगी। उन्होंने कहा, ‘यह छोटी उपलब्धि नहीं है। इससे पाकिस्तान में भी खेल को नया जीवन मिलेगा क्योंकि यहां भी लोग फिर से खोया गौरव लौटाना चाहेंगे।’ पूर्व दिग्गज सामिउल्लाह खान ने कहा, ‘भारत को सेमीफाइनल में पहुंचते देखकर अच्छा लगा है और उम्मीद है कि वे फाइनल में पहुंचकर पदक जीतेंगे। भारत में हॉकी खिलाड़ियों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। चयन काफी पारदर्शी होता है जिसकी पाकिस्तान में जरूरत है।’ लगातार दो बार से क्वालीफाई तक नहीं कर पा रहा पाकिस्तान तीन ओलिंपिक गोल्ड और रेकॉर्ड चार वर्ल्ड कप टाइटल जीतने वाली पाकिस्तानी टीम की हॉकी में गिरावट 1980 से शुरू हुई। तोक्यो से पहले पाक टीम रियो ओलिंपिक के लिए भी क्वालीफाई नहीं कर पाई थी। इस तरह की पहली शर्मिंदगी उसे 2014 वर्ल्ड कप में झेलनी पड़ी थी। 2018 विश्व कप में भी टीम 12वें स्थान पर रही। पाकिस्तान का क्यों हुआ इतना बुरा हाल? कुछ विशेषज्ञ की माने तो घास में खेले जाने वाला यह खेल जैसे ही एस्ट्रो टर्फ पर पहुंचा भारत के साथ-साथ पाकिस्तानी खिलाड़ियों के खेल में भी गिरावट आ गई। 1970 की शुरुआत में धीरे-धीरे कृत्रिम घास चला यह सफर अब 2021 तक पहुंच चुका है। खेल काफी तेज हो गया। वक्त की डिमांड ने प्लेयर्स की फिटनेस भी जांची, जिसमें हमारा पड़ोसी मुल्क काफी पिछड़ गया। हिंदुस्तान की ही तरह पाकिस्तान में भी अब क्रिकेट मुख्य खेल की जगह ले चुका है। पूल ए में दूसरे पोजिशन पर थी मेंस टीम भारत मौजूदा ओलिंपिक में पूल ए में ऑस्ट्रेलिया के बाद दूसरे स्थान पर रहा जबकि सेमीफाइनल में जिस बेल्जियम से टकराना है वह चार जीत और एक ड्रॉ के साथ पूल बी में शीर्ष पर था। रैंकिंग के लिहाज से हालांकि दोनों टीमों के बीच अधिक अंतर नहीं है क्योंकि भारत भी दुनिया की तीसरे नंबर की टीम है। हाल में दोनों टीमों के बीच भिड़ंत का आंकड़ा भी भारत के पक्ष में है। भारत ने 2019 में बेल्जियम के दौरे पर मेजबान टीम के खिलाफ तीनों मुकाबले जीते थे। उस दौरे पर भारत ने बेल्जियम को 2-0, 3-1 और 5-1 से हराया था। पहली बार सेमीफाइनल में भारतीय महिला टीमभारत की महिला हॉकी टीम ने इतिहास रचते हुए सोमवार को अपने से कहीं अधिक मजबूत तीन बार की ओलिंपिक चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से हराकर सेमीफाइनल में जगह बना ली है। सबसे खास बात यह है कि महिला टीम पहली बार सेमीफाइनल में पहुंची है। अब उसका सामना 4 अगस्त को वर्ल्ड नंबर-5 अर्जेंटीना से होगा, जिसने जर्मनी को हराया है। दुनिया की नौवें नंबर की भारतीय टीम ने तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए दुनिया की नंबर-2 ऑस्ट्रेलिया को हराया। भारत अपने तीसरे ओलिंपिक में खेल रहा है। मास्को (1980) के 36 साल के बाद उसने रियो ओलिंपिक (2016) के लिए क्वालीफाई किया था। (एजेंसियों से इनपुट के साथ)

अपडेट:सौरव गांगुली की बायोपिक की स्क्रिप्ट पर चल रहा है काम, फिल्म की टीम के साथ कई मीटिंग कर रहे हैं टीम इंडिया के पूर्व कप्तान August 02, 2021 at 12:59AM

मुश्किल में मयंक: सिर पर लगी सिराज की बाउंसर, पहले टेस्ट से बाहर, कौन करेगा ओपनिंग August 02, 2021 at 03:41AM

नॉटिंघमभारत के सलामी बल्लेबाज मयंक अग्रवाल अभ्यास सत्र के दौरान टीम के साथी तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज की शॉर्ट गेंद सिर पर लगने से चोट लगने के कारण बुधवार से शुरू होने वाले इंग्लैंड के खिलाफ शुरुआती टेस्ट से बाहर हो गए। इंग्लैंड दौरे पर गए भारतीय गेंदबाजों में सिराज सबसे तेज गेंदबाजी करते है। अभ्यास के समय मयंक ने उनकी शॉट गेंद से नजरें हटा ली, जिसके बाद गेंद उनकी सिर के पिछले हिस्से में हेलमेट से टकरा गई। उपकप्तान रहाणे ने की पुष्टिभारतीय टेस्ट उपकप्तान अजिंक्य रहाणे से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मयंक के सिर में चोट लगी है। रहाणे ने कहा, ‘मयंक अग्रवाल के सिर में चोट लगी है। चिकित्सा टीम उनकी निगरानी कर रही है। अन्य सभी खिलाड़ी फिट है।’ कनकशन से गुजरना होगा मयंक हेलमेट खोलने के बाद कुछ असहज महसूस कर रहे थे और फिर फिजियो नितिन पटेल उनके साथ जमीन पर बैठे गए, इसके बाद वह सिर के पिछले हिस्से पर हाथ रखकर पटेल के साथ नेट से बाहर निकल गए। यह उम्मीद की जा है रही कि टेस्ट मैच खेलने के लिए मंजूरी मिलने से पहले अनिवार्य रूप से उन्हे ‘कनकशन’ जांच से गुजरना होगा। केएल राहुल संभाल सकते हैं मोर्चा मयंक की गैरमौजूदगी में लोकेश राहुल को सलामी बल्लेबाज के तौर पर मौका मिल सकता है। राहुल ने ज्यादातर टेस्ट मैचों में पारी का आगाज किया है लेकिन इन दिनों वह मध्य-क्रम में खेलना पसंद करते हैं। टीम में सलामी बल्लेबाजी का एक और विकल्प बंगाल के अभिमन्यु ईश्वरन है। हनुमा विहारी भी एक विकल्प मध्यक्रम में बल्लेबाजी करने वाले विहारी को बतौर सलामी बल्लेबाज मौका मिल सकता है जो ऑस्ट्रेलिया की तरह यहां पारी का आगाज कर सकते है। विहारी ऑफ स्पिन गेंदबाजी भी करते है और अगर वह सलामी बल्लेबाज के तौर पर टीम में शामिल होते है तो हरफनमौला तेज गेंदबाज शार्दुल ठाकुर को भी अंतिम 11 में चुना जा सकता है।

कमाल की कमलप्रीत: लड़कर हारीं कौर, लेकिन देश की लड़कियों को नई राह दिखा दी August 02, 2021 at 01:49AM

तोक्योकमलप्रीत कौर आज किसी पहचान की मोहताज नहीं। ओलिंपिक खेलों में मंगलवार को जब वह डिस्कस थ्रो के फाइनल में उतरी तो पूरी देश की निगाहें उन पर थी। मेडल जरूर हाथ नहीं आया, लेकिन उन्होंने देश की बेटियों को एक नई राह जरूर दिखा दी। यह पहला मौका था जब चक्का फेंक में कोई भारतीय पदक के इतना करीब पहुंचा। 1 अगस्त को 64 मीटर दूर चक्का फेंक कर उन्होंने फाइनल के लिए क्वालीफाई किया था।

कमलप्रीत का फाइनल तक पहुंचना ही भारतीय एथलेटिक्स में बड़ा पल है। अब शायद देश की महिलाएं भी चक्का फेंक और एथलेटिक्स में हाथ आजमाना शुरू कर देंगी।


कमाल की कमलप्रीत: लड़कर हारीं कौर, लेकिन देश की लड़कियों को नई राह दिखा दी

तोक्यो

कमलप्रीत कौर आज किसी पहचान की मोहताज नहीं। ओलिंपिक खेलों में मंगलवार को जब वह डिस्कस थ्रो के फाइनल में उतरी तो पूरी देश की निगाहें उन पर थी। मेडल जरूर हाथ नहीं आया, लेकिन उन्होंने देश की बेटियों को एक नई राह जरूर दिखा दी। यह पहला मौका था जब चक्का फेंक में कोई भारतीय पदक के इतना करीब पहुंचा। 1 अगस्त को 64 मीटर दूर चक्का फेंक कर उन्होंने फाइनल के लिए क्वालीफाई किया था।



लड़कर हारीं कमलप्रीत
लड़कर हारीं कमलप्रीत

अपनी पहली कोशिश में कमल ने 61.62 मीटर का स्कोर किया, इसे कतई खराब नहीं कहा जा सकता, लेकिन पहले राउंड के बाद वह 12 में से छठे स्थान पर रहीं। दूसरे और चौथे प्रयास में पैर आगे निकल गया। इस फाउल के चलते कोई पॉइंट काउंट नहीं हुआ। जबकि पांचवें थ्रो में उन्होंने 61.37 मीटर दूर थ्रो फेंका। छठी और अंतिम कोशिश भी विफल ही रही। इस तरह 63.70 के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ उन्होंने छठे स्थान पर फिनिश किया।



​डिप्रेशन के बाद क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था
​डिप्रेशन के बाद क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था

घातक महामारी कोरोना वायरस ने न सिर्फ लोगों के जान-माल का नुकसान किया बल्कि ओलिंपिक की तैयारियों में लगे खिलाड़ियों को भी झटका दिया। लॉकडाउन से कमलप्रीत कौर के मानसिक स्वास्थ्य पर ऐसा झटका लगा कि मनोवैज्ञानिक दबाव से निपटने के लिए उन्होंने गांव में ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था।



​कमलप्रीत से देश की मिट्टी की महक आती है
​कमलप्रीत से देश की मिट्टी की महक आती है

पंजाब में काबरवाला गांव की कौर का जन्म किसान परिवार में हुआ। पिछले साल के अंत में वह काफी हताश थी क्योंकि कोविड-19 महामारी के कारण उन्हें किसी टूर्नामेंट में खेलने को नहीं मिल रहा था। उनके गांव के पास बादल में एक साई केंद्र है, और 2014 से पिछले साल तक कमलप्रीत वहीं ट्रेनिंग कर रहीं थीं।



​मां नहीं चाहती थीं बेटी ये सब करे
​मां नहीं चाहती थीं बेटी ये सब करे

परिवार की आर्थिक समस्याओं और अपनी मां के विरोध के कारण वह शुरू में एथलेटिक्स में नहीं आना चाहती थी, लेकिन अपने किसान पिता कुलदीप सिंह के सहयोग से उन्होंने इसमें खेलना शुरू किया। पहले उन्होंने गोला फेंक खेलना शुरू किया, लेकिन बाद में बादल में साई केंद्र में जुड़ने के बाद चक्का फेंक में आ गईं। बादल में कौर के स्कूल की टीचर ने एथलेटिक्स से रूबरू कराया, जिसके बाद वह 2011-12 में क्षेत्रीय और जिला स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने लगी, लेकिन उन्होंने फैसला किया कि वह अपने पिता पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव नहीं डालेंगी जिन पर संयुक्त परिवार की जिम्मेदारी थी।



​खेल कोटा से लगी रेलवे में नौकरी
​खेल कोटा से लगी रेलवे में नौकरी

2013 में अंडर-18 राष्ट्रीय जूनियर चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और दूसरे स्थान पर रहीं। 2014 में बादल में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया से जुड़ने के अगले ही साल कमलप्रीत राष्ट्रीय जूनियर चैंपियन बन गईं। साल 2016 में उन्होंने अपना पहला सीनियर राष्ट्रीय खिताब जीता। अगले तीन साल तक वह सीनियर राष्ट्रीय खिताब जीतती रहीं, लेकिन इस साल एनआईएस पटियाला में आने के बाद वह सुर्खियों में आईं। रेलवे की कर्मचारी कौर इस साल शानदार फार्म में रही हैं, उन्होंने मार्च में फेडरेशन कप में 65.06 मीटर चक्का फेंककर राष्ट्रीय रेकॉर्ड तोड़ा था और वह 65 मीटर चक्का फेंकने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं थीं।



इंडिया मांगे गोल्ड: फाइनल में एंट्री चाहेगी भारतीय मेंस हॉकी टीम, विश्व चैंपियन बेल्जियम से टक्कर August 01, 2021 at 11:21PM

तोक्योभारतीय पुरुष हॉकी टीम मंगलवार को सेमीफाइनल में विश्व चैंपियन बेल्जियम को हराकर फाइनल में जगह बनाते हुए 41 साल में पहला ओलिंपिक पदक सुनिश्चित करने के लक्ष्य के साथ उतरेगी। आठ स्वर्ण पदक सहित 11 ओलिंपिक पदक जीतने वाले भारत का खेलों में समृद्ध इतिहास है और मनप्रीत सिंह की अगुवाई वाली टीम उस गौरव को लौटाने की राह पर है। 1980 में नहीं हुआ था सेमीफाइनलभारत ने रविवार को क्वार्टर फाइनल में ग्रेट ब्रिटेन को 3-1 से हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई और अब टीम पदक जीतने की दहलीज पर खड़ी है। भारत ने अपने आठ स्वर्ण पदक में से आखिरी पदक 1980 मॉस्को खेलों में जीता था, लेकिन उन खेलों के दौरान सेमीफाइनल मुकाबला नहीं हुआ था क्योंकि सिर्फ छह टीमों ने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। हर देशवासी के लिए ऐतिहासिक लम्हा हॉकी को मेजर ध्यानचंद और बलबीर सिंह सीनियर जैसे महान खिलाड़ी देने वाला भारत मौजूदा ओलिंपिक से पहले कई ओलिंपिक तक हॉकी के मैदान से खाली हाथ लौटता रहा है। भारत ने पिछली बार 1972 म्यूनिख ओलिंपिक के दौरान सेमीफाइनल में हिस्सा लिया था और तब उसे चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ 0-2 से हार झेलनी पड़ी थी। ग्राहम रीड के मार्गदर्शन में खेल रही भारतीय टीम को पता है कि बेल्जियम के खिलाफ मंगलवार को एक और अच्छा प्रदर्शन टीम का नाम इतिहास में दर्ज करा देगा, फिर चाहे पदक का रंग कोई भी क्यों ना हो। लगातार चार जीत से सेमीफाइनल में भारतऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने दूसरे ग्रुप मैच में 1-7 की करारी शिकस्त के बाद भारतीय टीम लगातार चार मैच जीत चुकी है और बेल्जियम के खिलाफ भी मनप्रीत सिंह की टीम इस लय को बरकरार रखना चाहेगी, लेकिन मैदान पर भारत की राह इतनी आसान नहीं होने वाली क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में बेल्जियम की टीम में काफी सुधार हुआ है। बेल्जियम की टीम मौजूदा विश्व और यूरोपीय चैंपियन होने के अलावा दुनिया की नंबर एक टीम भी है। किसका पलड़ा भारी? रैंकिंग के लिहाज से हालांकि दोनों टीमों के बीच अधिक अंतर नहीं है क्योंकि भारत भी दुनिया की तीसरे नंबर की टीम है। हाल में दोनों टीमों के बीच भिड़ंत का आंकड़ा भी भारत के पक्ष में है। भारत ने 2019 में बेल्जियम के दौरे पर मेजबान टीम के खिलाफ तीनों मुकाबले जीते थे। उस दौरे पर भारत ने बेल्जियम को 2-0, 3-1 और 5-1 से हराया था। दोनों टीमों के बीच इस साल मार्च में भारत के यूरोपीय दौरे के दौरान हुए मुकाबले को भी मनप्रीत सिंह की टीम ने 3-2 से जीता था। बेल्जियम के खिलाफ पिछले पांच मैचों में भारत ने चार जीत दर्ज की हैं। ओलिंपिक में हालांकि दोनों टीमों के बीच हुए पिछले मुकाबले में बेल्जियम ने रियो ओलंपिक में 3-1 से बाजी मारी थी। पूल ए में दूसरे पोजिशन पर थी टीम भारत मौजूदा ओलिंपिक में पूल ए में ऑस्ट्रेलिया के बाद दूसरे स्थान पर रहा जबकि बेल्जियम की टीम चार जीत और एक ड्रॉ के साथ पूल बी में शीर्ष पर रही थी। मनप्रीत भी क्वार्टर फाइनल में जीत के बाद अपने खिलाड़ियों को चेता चुके हैं। उन्होंने कहा था, ‘अभी काम खत्म नहीं हुआ है। हम इतने अधिक खुश हैं क्योंकि हमने लंबे समय बाद सेमीफाइनल में जगह बनाई है। लेकिन अब भी काम खत्म नहीं हुआ है। हमें अभी दो मैच खेलने हैं इसलिए हमें एकाग्रता बनाए रखनी होगी, हमें अपने पैर जमीन पर रखने होंगे और अगले मैच पर ध्यान देने की जरूरत है।’

देश कर रहा हॉकी टीम के लिए दुआऐं:चंडीगढ़ डिफेंस एकेडमी के हॉस्टल का टीवी हॉल 21 हॉकी स्टिक को रंग-बिरंगे गुब्बारों के साथ सजा कर रखी, सुबह टीम को चीयर अप करेंगे August 02, 2021 at 03:10AM

बेल्जियम से होने वाले सेमीफाइनल मुकाबले को देखने के लिए उत्साह से भरे एकेडमी के स्टूडेंट्स

बॉक्सर सतीश कुमार से... भास्कर की बातचीत...:13 टांकों के साथ मुक्केबाजी के क्वार्टर फाइनल में उतरे थे, बोले- लास्ट चांस छोड़ना नहीं चाहता था August 02, 2021 at 12:50AM

Discuss Throw Final Live Update: कमलप्रीत कौर का दूसरा थ्रो हुआ फाउल, दो चोटों के साथ जूझ रही हैं खिलाड़ी August 02, 2021 at 12:14AM

नई दिल्ली भारतीय महिला डिस्कस थ्रो एथलीट () आज तोक्यो ओलिंपिक (Tokyo Olympics 2020) में इतिहास रच सकती हैं। मुकाबला शुरू हो चुका है। कमलप्रीत कौर मैदान पर आ चुकी हैं। चीन की खिलाड़ी ने सबसे पहले थ्रो किया। कमलप्रीत ने क्वालीफिकेशन में 64 मीटर दूर चक्का फेंक फाइनल के लिए क्वालीफाई किया है। यदि कमलप्रीत पदक जीतने में सफल रहती हैं तो यह ओलिंपिक में ट्रैक एंड फील्ड में भारत का पहला मेडल होगा। दूसरे राउंड के बाद: यूएसए के वालेरी ऑलमैन 68.98 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ शीर्ष पर हैं, इसके बाद क्यूबा के याइमे पेरेज़ (65.72 मीटर) और जर्मनी के क्रिस्टिन पुडेन्ज़ (65.34 मीटर) हैं। कमलप्रीत कौर सातवें स्थान पर हैं। कमलप्रीत कौर का पहला थ्रो काबिल ए तारीफ रहा है। कमलप्रीत कौर का दूसरा थ्रो फाउल हो चुका है। उन्होंंने 61.62 मीटर का पहला किया है। पहले राउंड में छठे नंबर रही हैं भारत की कमलप्रीत कौर। यूएसए की एथलीट नंबर वन रही है। संयुक्त राज्य अमेरिका के वालेरी ऑलमैन 68.98 मीटर के थ्रो के साथ पहले दौर के बाद स्टैंडिंग में शीर्ष पर हैं, इसके बाद क्यूबा के याइम पेरेज़ (65.72 मीटर) और जर्मनी के क्रिस्टिन पुडेन्ज़ (63.07 मीटर) हैं। पुर्तगाल की लिलियाना अपने दूसरे प्रयास में 63.93 मीटर के थ्रो के साथ तीसरे स्थान पर पहुंच गई। कमलप्रीत ने क्वालीफिकेशन राउंड में ग्रुप बी में तीसरे प्रयास में 64 मीटर दूर डिस्कस फेंका और दूसरे स्थान पर रहीं। क्वालीफिकेशन में शीर्ष पर रहने वाली अमेरिका की वालारी आलमैन के अलावा वह 64 मीटर या अधिक का थ्रो लगाने वाली अकेली खिलाड़ी रहीं। कमलप्रीत ने फाइनल में पहुंचकर पदक की उम्मीदें जगा दी है। नॉनवेज नहीं खातीं कमलप्रीतकमलप्रीत कौर की खास बात ये है कि ये खिलाड़ी नॉन वेज नहीं खातीं। कौर कहती हैं कि वो गेम छोड़ सकती हैं मगर नॉनवेज में हाथ नहीं लगाएंगी। जबकि ऐसे थ्रो गेम में ताकत की बहुत आवश्यकता होती है। ऐसे में आपको देर सबेर ऐसा भोजन करना पड़ सकता है लेकिन कौर ने शाकाहारी का सेवन करके ही ऐसा रेकॉर्ड कायम किया है। कमलप्रीत कौर पंजाब के बादल की साई अकादमी में कोच राखी के साथ पिछले सात सालों से तैयारी कर रहीं हैं। कमलप्रीत ने तोक्यो के फाइनल में पहुंचकर सबको हैरान कर दिया था। इस साल कमलप्रीत का प्रदर्शन शानदार रहा है इस साल शानदार फॉर्म में चल रही कमलप्रीत ने दो बार 65 मीटर का आंकड़ा पार किया है। उन्होंने मार्च में फेडरेशन कप में 65 . 06 मीटर का थ्रो फेंककर राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा था। वह 65 मीटर पार करने वाली पहली भारतीय हैं। इसके बाद जून में इंडियन ग्रां प्री 4 में अपना ही राष्ट्रीय रेकॉर्ड बेहतर करते हुए उन्होंने 66 . 59 मीटर का थ्रो फेंका।

'मूवी दिखाई, थोड़ा समझाया', कोच ने खोला ओलिंपिक में शेरनियों की फुर्ती का राज August 02, 2021 at 01:17AM

नई दिल्ली ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम को हराकर के सोमीफाइनल फाइनल में पहुंच गई है। शुरुआत मैचों में लगातार तीन हार के बाद जिस तरह इस टीम ने धमाकेदार वापसी की, उसने सबको हैरान किया है। सवाल उठ रहा था कि एक के बाद एक हार झेलने के बाद भी टीम ने इतना बेहतरीन कमबैक कैसे किया? टीम के बुलंद हौसले का राज क्या है? अब तोक्यो में इतिहास रचने वाली महिला हॉकी टीम के उछाल मारते हौसले के राज से पर्दा उठ गया है। टीम के कोच सोर्ड मारिजने () ने कहा है कि हार से निराश टीम का मनोबल बढ़ाने के लिए उन्होंने मोटिवेशनल फिल्म का सहारा लिया था। टीम के कोच सोर्ड मारिजने (Sjoerd Marijne) ने इसका खुलासा करते हुए कहा, 'ओलिंपिक में लगातार तीन हार के बाद टीम का मनोबल उठाने की उनके सामने बहुत बड़ी चुनौती थी। मैंने इस चुनौती से पार पाने के लिए फिल्म का सहारा लेने का फैसला किया। पूरी टीम को एक जोशीली फिल्म दिखाई। इस मूवी ने टीम के खिलाड़ियों का जज्बा किस हद तक वापस ला दिया, इसकी बानगी आज मिल गई जब उसने ऑस्ट्रिलिया को परास्त कर सेमी फाइनल मैच में जगह बना ली।' मारिजने ने कहा कि उन्होंने आयरलैंड के साथ होने वाले पूल गेम से पहले भारतीय महिला हॉकी टीम को फिल्म दिखाई, हालांकि उन्होंने उस मूवी का नाम नहीं बताया। उन्होंने कहा, 'खुद पर और उनके सपनों में भरोसा करने और फिर इतिहास में झांककर सच्चाई का सामना करने में अंतर है। मुझे लगता है कि वही सबसे बड़ी बात है और यही हमने किया।' मारिजने ने क्वॉर्टर फाइनल में विश्व की दूसरे नंबर की टीम ऑस्ट्रेलिया पर जीत दर्ज होने के बाद कही। कोच ने आगे कहा, 'अगर आप हारते हैं तो खुद पर भरोसा करना नहीं छोड़ें और मैंने यही लड़कियों से कहा। सबसे बड़ी बात है कि वर्तमान क्षण पर नजर गड़ाए रखें। मैंने उन्हें एक मूवी दिखाई और वो फिल्म वर्तमान क्षण में जीने को ही सिखाती है। मुझे लगता है कि यह तरकीब सच में काम कर गई। आयरलैंड के खिलाफ मैच के दौरान हम हमेशा फिल्म का हवाला देते रहे।' हालांकि, जब उनसे उस मूवी का नाम पूछा गया तो उन्होंने इससे इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, 'इसका खुलासा मेरी किताब में होगा जो भारत में लॉकडाउन के दौरान मेरे अनुभवों पर आधारित है।'

'द ग्रेट वॉल' बनकर सविता पूनिया ने दुनिया को चौंकाया:लंबी हाइट और फुर्ती ने साथ दिया, 8 पेनल्टी कॉर्नर बचाकर टीम को जिताया; पिता बोले- बेटी की जीत स्वर्गीय दादा को समर्पित August 02, 2021 at 12:37AM

ओलिंपिक में मानवता का मेडल:बराबरी पर आया विरोधी खिलाड़ी चोटिल हुआ तो एथलीट ने अकेले मेडल लेने से इनकार किया, दोनों को मिला गोल्ड August 01, 2021 at 11:37PM

गोल्ड के सपने ने उड़ाई नींद:फाइनल के दिन कमलप्रीत ने कोच को किया फोन, कहा- रात भर नींद नहीं आई, कोच का गुरु मंत्र- अपना बेस्ट दो August 02, 2021 at 12:04AM