Wednesday, March 18, 2020

चीते सी फुर्ती, बाज सी नजर.. ऐसा था ये भारतीय फील्डर March 17, 2020 at 11:12PM

नई दिल्लीमौजूदा दौर में जोंटी रोड्स, युवराज सिंह, मोहम्मद कैफ और विराट कोहली जैसे खिलाड़ियों को बेस्ट फील्डर माना जाता है। एक वक्त था जब भारत की स्पिन चौकड़ी और वेस्टइंडीज के तूफानी गेंदबाजों की तूती बोलती थी और शॉर्ट लेग पर मुस्तैदी से खड़े भारतीय फील्डर बाज की तरह अपनी कैच लपकने की अद्भुत क्षमता के कारण बल्लेबाजों के दिलोदिमाग में खौफ पैदा करते थे। उन्होंने फील्डिंग को नई बुलंदियों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। भारत के पूर्व टेस्ट ऑलराउंडर और सर्वश्रेष्ठ नजदीकी फील्डरों में से एक एकनाथ सोलकर का जन्म 18 मार्च, 1948 में हुआ था। एक ग्राउंड्समैन के घर में जन्मे एकनाथ ढोंढू सोलकर ने जब क्रिकेट में कदम रखा तब फील्डिंग को बहुत तवज्जो नहीं मिलती थी। वह भारतीय क्रिकेट टीम के लोकप्रिय सदस्य थे और अपनी चुस्त फील्डिंग के लिए ख्यात थे। भारतीय क्रिकेट की स्पिन चौकड़ी बिशन सिंह बेदी, इरापल्ली प्रसन्ना, भागवत चंद्रशेखर और एस. वेंकटराघवन के समय उनके नजदीकी फील्डिंग का कमाल देखते ही बनता था। सोलकर निचले क्रम के अच्छे बल्लेबाज थे। उन्होंने 27 टेस्टों में 25.42 के औसत से 1068 रन बनाए और 18 विकेट भी लिए। उनके करियर का सबसे अहम पहलू उनकी फील्डिंग रही। सोलकर ने 53 कैच लिए जिसमें से उन्होंने अधिकतर कैच शॉर्ट लेग, खासतौर पर फॉरवर्ड शॉर्ट लेग पर बिशन सिंह बेदी, इरापल्ली प्रसन्ना, भगवत चंद्रशेखर और श्रीनिवास वेंकटराघवन की मशहूर स्पिन चौकड़ी की गेंदों पर लपके। भारत की स्पिन चौकड़ी की सफलता के पीछे सोलकर की भूमिका महत्वपूर्ण रही। तब सोलकर की खासतौर पर फॉरवर्ड शॉर्ट लेग पर मौजूदगी का मतलब था कि भारत की स्पिन चौकड़ी के किसी भी गेंदबाज को आगे बढ़कर खेलना यानी आउट होने के दावत देना। चीते सी फुर्तीसोलकर ने 48 पारियों में 53 कैच तब लपके थे जब हेल्मेट नहीं हुआ करता था। यह रेकॉर्ड है। रेकॉर्ड की बात करें तो एकनाथ सोलकर दुनिया के इकलौते टेस्ट क्रिकेटर हैं जिन्होंने 12 या उससे ज्यादा पारियों में औसत एक से ज्यादा कैच हर इनिंग में पकड़े हैं। आजकल शॉर्टलेग में फील्डर हेल्मेट पहनकर फील्डिंग करते हैं, लेकिन सोलकर ने ये कारनामे बिना हेलमेट पहने किए। यानी वह बेखौफ बल्लेबाज के बगल में खड़े होते थे और चीते की फुर्ती से कैच लपकते। इंग्लैंड में दिखा धमालओवल में 1971 में भारत की इंग्लैंड में पहली टेस्ट जीत में उनके उपयोगी 44 रन और 38 रन देकर तीन विकेट या ज्यॉफ बॉयकॉट पर उनकी गेंदबाजी का असर भला कौन भुला सकता है। इस मैच में उन्होंने कीथ फ्लेचर और एलन नॉट के कैच लपके थे, जिन्हें टेस्ट क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ कैचों में शुमार किया जाता है। आबिद अली के साथ गेंद की चमक उतारने के लिए गेंदबाजी का आगाज करने वाले सोलकर ने अपनी मध्यम गति की गेंदबाजी से तीन बार बॉयकॉट को पविलियन भेजा। न्यूजीलैंड के खिलाफ डेब्यूसोलकर ने अपना पहला टेस्ट मैच अक्टूबर 1969 में न्यूजीलैंड के खिलाफ हैदराबाद में और आखिरी मैच जनवरी 1977 में इंग्लैंड के खिलाफ कोलकाता में खेला था। उन्होंने इंग्लैंड के अलावा वेस्टइंडीज का भी दौरा किया और घरेलू सीरीज में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और वेस्टइंडीज का सामना किया। वह पहले वर्ल्ड कप की भारतीय टीम में भी शामिल थे। सोलकर की फील्डिंग से खौफ खाते थे लॉयड और फ्रेडरिक्ससोलकर ने 1971 में वेस्टइंडीज दौरे में अपनी बल्लेबाजी का भी अच्छा प्रभाव छोड़ा था। उन्होंने तब पांच मैच में 224 रन बनाए थे, हालांकि क्लाइव लॉयड और रॉय फ्रेडरिक्स जैसे बल्लेबाज उनकी फील्डिंग को लेकर अधिक चिंतित रहते थे। सोलकर (102 रन) ने टेस्ट क्रिकेट में एकमात्र सेंचुरी 1974-75 में वेस्टइंडीज के खिलाफ मुंबई में जड़ी थी। फॉरवर्ड शॉर्ट लेग का यह फील्डर अब भले ही इस दुनिया में न हो लेकिन वह अपने खेल और सीख के लिए वह हमेशा याद किए जाएंगे। शॉर्ट लेग के फील्डर उनका यह सबक युगों तक दोहराते रहेंगे। हमेशा बल्लेबाज के पैरों पर निगाह टिकाये रहो, उससे पता चलेगा कि वह कौन सा शॉट खेलने जा रहा है।

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