Wednesday, February 3, 2021

टीम में नहीं थे, फिर भी गांगुली ने कराया डेब्यू, ऐसी रोचक है अशोक डिंडा की स्टोरी February 02, 2021 at 09:09PM

नई दिल्लीभारतीय क्रिकेट में बीसीसीआई प्रमुख की दादागिरी के किस्से खूब मशहूर हैं। कप्तानी के दौरान गांगुली जो ठान लेते थे उसे पूरा करते थे। उसी का जीता जागता उदाहरण तेज गेंदबाज () हैं। दरअसल, जब डिंडा ने फर्स्ट क्लास डेब्यू किया था तो हैरान करने वाली बात यह थी कि वह सिलेक्टेड टीम का हिस्सा ही नहीं थे। उस वक्त गांगुली ने सभी के खिलाफ जाकर उन्हें 16वें खिलाड़ी के तौर पर न केवल चुना, बल्कि डेब्यू भी कराया। बंगाल के अनुभवी तेज गेंदबाज अशोक डिंडा ने इसका खुलासा अपने रिटायरमेंट पर किया है। मंगलवार को क्रिकेट के सभी प्रारपों से संन्यास लेने वाले डिंडा के लगभग डेढ़ दशक लंबे करियर का अंत हो गया। डिंडा ने बीसीसीआई के अध्यक्ष और पूर्व भारतीय कप्तान सौरभ गांगुली को धन्यवाद दिया, जिन्होंने 2005-06 सत्र में लोगों के खिलाफ जाकर पुणे में महाराष्ट्र के खिलाफ इस तेज गेंदबाज को पदार्पण का मौका दिया था। पढ़ें- डिंडा ने गांगुली को धन्यवाद देते हुए अपने डेब्यू की कहानी बताई। उन्होंने कहा- 2005 में महाराष्ट्र के खिलाफ रणजी ट्रोफी मैच खेलने वाली 15 सदस्यीय टीम में मुझे नहीं चुना गया था, लेकिन तत्कालीन कप्तान गांगुली ने 16वें खिलाड़ी के तौर पर टीम में चुना और फिर डेब्यू का मौका दिया। डिंडा ने साथ ही कहा कि ऐसा ही दलीप ट्रोफी और आईपीएल में भी हुआ था। मैं अपने करियर में दादा के योगदान को नहीं भूल सकता हूं। ऐसा रहा करियर डिंडा ने इंडियन प्रीमियर लीग में दिल्ली डेयरडेविल्स, कोलकाता नाइट राइडर्स, पुणे वॉरियर्स, राइजिंग पुणे सुपरजाइंट्स और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर का प्रतिनिधित्व किया। इस तेज गेंदबाज ने 78 आईपीएल मैचों में 22.20 के स्ट्राइक रेट से 68 विकेट चटकाए। डिंडा ने 116 प्रथम श्रेणी मैचों में 420 विकेट हासिल किए और वह बाएं हाथ के पूर्व स्पिनर उत्पल चटर्जी के बाद बंगाल के दूसरे सबसे सफल गेंदबाज हैं। भारत के लिए 13 एक दिवसीय और नौ टी20 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले खेलने वाले 36 साल के डिंडा 2019-20 सत्र में सिर्फ एक रणजी ट्रोफी खेलने के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करने के बाद इस सत्र की शुरुआत में गोवा से जुड़ गए थे। गोवा के लिए उन्होंने सैयद मुश्ताक अली ट्रोफी में तीन मुकाबले खेले लेकिन बाद में महसूस किया कि उनका शरीर साथ नहीं दे रहा है।

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