Friday, April 2, 2021

धोनी का वह एक साहसिक फैसला, जिसने 28 साल बाद भारत की झोली में डाल दिया था वर्ल्ड कप April 01, 2021 at 10:45PM

नई दिल्ली भारतीय क्रिकेट टीम को दूसरी बार वर्ल्ड कप जीते हुए आज 10 साल हो गए। टीम इंडिया ने महेंद्र सिंह धोनी (Mahender Singh Dhoni) की कप्तानी में 2 अप्रैल 2011 को मुंबई में श्रीलंका केा हराकर वर्ल्ड चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया था। भारत ने फाइनल में श्रीलंका को 6 विकेट से हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। पढ़ें : टीम इंडिया के उस समय स्ट्रैंथ और कंडीशनिंग कोच रहे पैडी अप्टन (Paddy Upton) ने टाइम्स ऑफ इंडिया डॉट कॉम से बातचीत में कहा कि वर्ल्ड कप जीतने की तैयारी 3 साल पहले से हो रही थी। भारत ने कोच गैरी कर्स्टन (Gary Kirsten) की देखरेख में इस खास उपलब्धि को हासिल की थी जिन्हें साल 2008 में टीम इंडिया का कोच बनाया गया था। '3 साल पहले शुरू कर दी थी वर्ल्ड कप जीतने की प्लानिंग' वर्ल्ड कप जीत की याद को ताजा करते हुए कर्स्टन ने कहा, 'उसकी सबसे बड़ी बात ये थी कि हमने 3 साल पहले प्लानिंग शुरू कर दी थी। हमारा सपना 2008 में शुरू हुआ था। जब हमने भारतीय टीम के साथ काम करना शुरू किया था तो हमें 28 साल बाद पहली बार 2011 में वर्ल्ड कप जीतना था। यह तीन साल की प्लानिंग थी। एशिया कप फाइनल से पहले कोच गैरी कर्स्टन, बोलिंग कोच एरिक सिमंस और मैं यही सोच रहे थे कि यदि यह वर्ल्ड कप का फाइनल होता तो क्या हम जीत सकते थे। जवाब था संभवत: नहीं। हमने इस बारे में लगभग 5 घंटे बातचीत की। हमने उन चीजों पर बात की कि वे क्या चीजें हैं जो इस टीम को फाइनल में जीतने के लिए हमें अगले 10 महीने में करने की जरूरत है। यह शारीरिक, रणनीतिक और मानिक रूप से तैयार करने के बारे में था। क्योंकि उस समय किसी भी टीम ने अपनी मेजबानी में वर्ल्ड कप नहीं जीता था।' पढ़ें : फाइनल में भारत की ओर से गौतम गंभीर ने सबसे अधिक 97 रन बनाए थे वहीं धोनी ने नााबाद 91 रन की पारी खेली। अप्टन ने उन दिनों को याद करते हुए कहा कि उन्हें अभी भी वो भाषण याद है जब उन्होंने खिलाड़ियों से कहा था कि यह बॉलीवुड फिल्म की तरह है। अप्टन ने कहा कि धोनी का युवराज सिंह से पहले खुद को बल्लेबाजी क्रम में लाना साहसिक फैसला था। ...तब पांचवें नंबर पर उतरे थे धोनी बकौल अपटन, ' धोनी की कप्तानी की सबसे बड़ी खासियत उनका कूल रहना है। उस मैच में धोनी पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उतरे थे। उस समय युवराज सिंह बेहतरीन फॉर्म में थे। वह अपने बेहतरीन प्रदर्शन से मैन ऑफ द सीरीज का खिताब सुनिश्चित कर चुके थे। बावजूद इसके धोनी ने फाइनल में युवी से पहले बल्लेबाजी के लिए खुद को उतारा। इसको लेकर काफी चर्चा भी हुई थी। क्योंकि इससे पहले धोनी उम्मीद के मुताबिक रन नहीं बना सके थे जबकि युवी ने अच्छे स्कोर किए थे। लेकिन ये सिर्फ छह सप्ताह का नतीजा था। ये धोनी की ओर से बड़ा फैसला था। कर्स्टन ने भी धोनी के इस फैसले को बेझिझक हां कर दिया था। और फिर हम सबने देखा कि यह एक शानदार फैसला था।'

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