Wednesday, April 8, 2020

धोनी-विराट की कप्तानी में क्या अंतर, पूर्व कोच ने बताया April 08, 2020 at 06:44PM

अमित कुमार, नई दिल्ली टीम इंडिया के स्ट्रैंथ और मेंटल कंडीशनिंग कोच रह चुके हैं। खिलाड़ियों की मनोदशा को समझना और उनसे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करवाने में अहम भूमिका निभाना उनकी खासियत है। 2011 में जब भारत ने महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में वर्ल्ड कप जीता, तब अपटन टीम के साथ थे। वह खेल में मानसिक दृढ़ता और स्थिरता की अहमियत समझते हैं। अपटन ने हमारी सहयोगी वेबसाइट टाइम्सऑफइंडिया.कॉम के साथ बातचीत में कई पहलुओं पर चर्चा की। उन्होंने एक खिलाड़ी के रूप में के सफर पर टिप्पणी करते हुए कहा कि फिटनेस के प्रति उनकी बदली सोच और रवैये ने उन्हें एक अच्छे खिलाड़ी से महान खिलाड़ी बनाया है। अपटन ने इसके साथ ही कोहली और महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी के तरीके पर भी बात की। उन्होंने दोनों कप्तानों की अप्रोच में अंतर पर खुलकर अपनी राय रखी। कोहली ने 2014 में धोनी से टेस्ट कप्तानी संभाली। जब इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में उन्होंने 4-0 से जीत हासिल की तो भारतीय टीम टेस्ट में नंबर वन रैंकिंग पर पहुंची। कोहली ने इस सीरीज में 109.5 के औसत से 655 रन बनाए। जनवरी 2017 में वह सीमित ओवरों के प्रारूप में भी कप्तान बन गए। विराट कोहली और महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी स्टाइल के अंतर पर बात करते हुए पैडी अपटन ने कहा, 'धोनी और कोहली दो अलग तरह के कप्तान हैं। धोनी शांत रहते हैं और उनका दिमाग हमेशा स्थिर रहता है वहीं कोहली थोड़े भावुक हैं।' अपटन ने कहा, 'विराट काफी उत्साहित और ऊर्जावान हैं। वह अपनी भावनाओं का खुलकर इजहार करते हैं। हम मैदान पर उनकी भावनाओं के उतार-चढ़ाव को देखकर इसका अंदाजा लगा सकते हैं।' टीम इंडिया के इस पूर्व मेंटल स्ट्रेंथ कोच ने कहा कि कप्तान के व्यवहार का खिलाड़ियों पर काफी असर पड़ता है। उन्होंने कहा, 'खिलाड़ी जितना ज्यादा भावुक या थोड़ा सा भी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रखने वाले होंगे तो वे कप्तान के शब्दों और काम से उतना अधिक प्रभावित होंगे।' उन्होंने कहा, 'प्रशंसा के कुछ शब्द किसी खिलाड़ी का हौसला बढ़ाने में बहुत मदद करते हैं और उससे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करवाते हैं और वहीं नकार देने की प्रवृत्ति खिलाड़ी के आत्मविश्वास को गहरी ठेस पहुंचाती है। इस तरीके से कोहली वाकई खिलाड़ियों में जोश भर देते हैं और साथ ही उनमें खिलाड़ियों के आत्मविश्वास को कमजोर करने की भी क्षमता है।'

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