Friday, January 3, 2020

टी20 वर्ल्ड कप से पहले भारतीय टीम के सामने 6 बड़े सवाल January 03, 2020 at 05:19PM

नई दिल्ली भारतीय टीम साल 2020 में अपने सफर की शुरुआत रविवार से श्रीलंका के खिलाफ तीन मैचों की टी20 सीरीज से करेगी। भारतीय टीम का लक्ष्य इस साल और अगले साल होने वाले दो में से कम से कम एक जीतना होगा। इस साल ऑस्ट्रेलिया में और अगले साल 2021 में भारत में टी20 वर्ल्ड का आयोजन होना है। यह कहना गलत नहीं होगा कि क्रिकेट का सबसे छोटा प्रारूप भारतीय टीम की सबसे कमजोर कड़ी है। साल 2007 में पहला वर्ल्ड टी20 जीतने के बाद से वैश्विक स्तर पर भारतीय टीम इस प्रारूप में ज्यादा प्रारूप नहीं छोड़ पाई है। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के विश्लेषण कर यह जानने की कोशिश की है कि आखिर ऑस्ट्रेलिया में टी20 वर्ल्ड कप जीतने के लिए टीम को क्या बदलाव करने होंगे। शिखर धवन का रिप्लेसमेंट तलाशना टी20 प्रारूप में शिखर धवन का कम स्ट्राइक रेट चिंता का विषय बन चुका है। उनके चोटिल होने के बाद टीम में शामिल किए गए केएल राहुल ने दमदार बैटिंग की। इससे टीम इंडिया को फायदा ही हुआ। उन्होंने इस स्पॉट पर निडर होकर बल्लेबाजी की। धवन बेशक वनडे प्रारूप में भारत के लिए मैच-विनर साबित हुए हैं, लेकिन टी20 में वह ऑटमैटिक पसंद नहीं बन पाते। 2019 में उन्होंने 12 पारियों में महज 22.66 के औसत से सिर्फ 272 रन बनाए। उनका स्ट्राइक रेट भी 110.56 का रहा है। चयनकर्ताओं को अब तीसरे ओपनर की तलाश करनी होगी। टीम में ही अगर ध्यान से देखा जाए तो संजू सैमसन इस भूमिका को निभा सकते हैं। सैमसन को अभी तक टीम में इस्तेमाल नहीं किया गया है। टॉप हैवी साइड भारतीय टीम फिर एक बार 50 ओवर वर्ल्ड कप की राह पर चलती नजर आ रही है। टीम का सभी बड़े खिलाड़ी टॉप ऑर्डर में ही हैं और इसके बाद बहुत ज्यादा विकल्प नहीं बचते। इस रणनीति का खमियाजा वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में न्यू जीलैंड के खिलाफ भुगतना पड़ा था और इसका अगर समाधान नहीं तलाशा गया तो ऑस्ट्रेलिया में ऐसा ही हो सकता है। राहुल/धवन, रोहित, कोहली बल्लेबाजी क्रम में एक, दो और तीन नंबर पर बैटिंग करने आते हैं। यह टॉप ऑर्डर धमाकेदार नजर आता है, लेकिन भारतीय टीम बड़ा स्कोर बनाने या हासिल करने के लिए काफी हद तक रोहित अथवा कोहली पर निर्भर है। इन दोनों में से किसी एक को कम से कम 15 ओवर तक बल्लेबाजी करनी होगी तभी भारत मजबूत स्थिति में पहुंच सकता है। मिडल-ऑर्डर में श्रेयस अय्यर, मनीष पांडे और ऋषभ पंत की बहुत ज्यादा परख नहीं हुई है और यह सही वक्त है इन्हें आजमाने का। कोहली का तिरुवनंतपुरम में वेस्ट इंडीज के खिलाफ शिवम दूबे को तीसरे नंबर पर बैटिंग करने भेजना एक जोखिम भरा फैसला था, जो सही साबित हुआ। वर्ल्ड कप से पहले टीम को इस तरह के प्रयोग करते रहने होंगे। 'कुल्चा' को फिर साथ मिले मौका क्या आपको ऐसे गेंदबाज चाहिए जो बल्लेबाजी कर सकें या फिर ऐसे गेंदबाज जो विकेट ले सकें? चैंपियंस ट्रोफी के बाद भारतीय टीम प्रबंधन ने रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा की फिंगर-स्पिनर्स की जोड़ी को अलग कर दिया। प्रबंधन को लगा कि यह जोड़ी अब उतनी कारगर नहीं है। इसके बाद टीम में युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव को शामिल किया गया। यह जोड़ी अभी तक 10 टी20 इंटरनैशनल मैचों में साथ खेली है जिसमें से भारत ने 8 मैच जीते हैं। ऑस्ट्रेलिया में बड़े मैदान और हवा बड़े कारक साबित हो सकते हैं। कप्तान हालांकि दोनों को साथ मौका देने से परहेज कर रहे हैं। वह रविंद्र जडेजा की ऑलराउंड स्किल की भरपाई करने के लिए वॉशिंग्टन सुंदर को मौका दे रहे हैं, जो गेंद के साथ-साथ बल्लेबाजी में कौशल दिखा सकते हैं लेकिन टी20 क्रिकेट में सपाट विकेटों पर कलाई के स्पिनर्स ज्यादा कारगर साबित हो सकते हैं और विराट इस बात को जितनी जल्दी समझ जाएं उतना बेहतर होता है। बुमराह का बोलिंग पार्टनर तलाशना टीम के लिए जसप्रीत बुमराह कितने महत्वपूर्ण हैं इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कैसे बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरभ गांगुली ने दखल देकर उन्हें रणजी ट्रोफी खेलने से रोका। स्ट्रेस फ्रैक्चर के बाद फिट होकर वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में लौट रहे हैं। यह टीम के लिए अच्छी बात है लेकिन इस बीच भुवनेश्वर कुमार और दीपक चाहर के चोटिल होने के बाद सवाल यह है कि बुमराह के साथ नई गेंद कौन साझा करेगा? क्या नवदीप सैनी प्रभावी हो सकते हैं? डेथ ओवर्स में बोलिंग करते हुए वह स्ट्रगल करते हैं। शार्दुल ठाकुर भी अभी वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान नहीं बना पाए हैं। टीम इंडिया के लिए बुमराह के साथी की तलाश का इंतजार बढ़ता जा रहा है और भारत के पास वर्ल्ड टी20 से पहले इसका हल तलाशने के लिए अभी नौ महीने का वक्त है। पंत की पहेली का हल ऋषभ पंत की प्रतिभा के बारे में सबको पता है और साथ ही उनकी जोखिम भरी बल्लेबाजी के बारे में भी। आक्रमक विकेटकीपर बल्लेबाज का प्रदर्शन टीम प्रबंध और उनके संयम की परीक्षा ले रहा है। वाइट-बॉल क्रिकेट में उनकी विचार-शून्य आक्रमक बल्लेबाजी टीम के लिए कई बार नुकसानदेह साबित हो चुकी है। प्रदर्शन पर लगातार नजर से लगता है कि उनकी विकेटकीपिंग और डीआरएस क्षमता पर भी नकारात्मक असर पड़ा है। उन्होंने विकेट के पीछे कई आसान मौके खोए हैं। ऐसे मौकों पर डीआरएस लिए हैं जब बल्लेबाज नॉट आउट था या फिर उसके आउट होने पर डीआरएस नहीं लेने का फैसला किया। विराट ने दिल्ली की टीम के अपने इस खिलाड़ी का खुलेआम समर्थन किया है पर बड़ा सवाल यह है कि आखिर प्रतिभा और प्रदर्शन के बीच की खाई को कब तक नजरअंदाज किया जाएगा? मध्यक्रम प्रबंधन और पावर-हिटिंग हार्दिक पंड्या के बिना भारतीय टीम मध्यक्रम में पावर-हिटिंग की कमी से जूझ रही है। हालांकि उनकी गैर-मौजूदगी से भारतीय टीम प्रबंधन के पास किसी अन्य खिलाड़ी को इस भूमिका के लिए तैयार करने का अवसर है। अगर श्रेयस अय्यर नंबर चार की जिम्मेदारी निभा लेते हैं तो क्या मनीष पांडे को फिनिशर के रूप में देखा जा सकता है? शिवम दूबे ने अपने टैलंट की एक झलक दिखाई थी लेकिन वह नंबर तीन की बात थी। जहां से टीम को 15 रन प्रति ओवर की दर से रन बनाने हों, ऐसे मौके पर उनकी परख अभी नहीं हुई है। कुल मिलाकर भारतीय टीम को हार्दिक की गैर-मौजूदगी में नंबर छह पर जोस बटलर जैसे बल्लेबाज की जरूरत है। वर्ल्ड टी20 2016 के बाद से भारत का T20I में प्रदर्शन भारत ने वर्ल्ड कप 2016 के बाद से अभी तक कुल 53 टी20 इंटरनैशनल मैच खेले हैं। इसमें से 34 में उसे जीत मिली है और 17 मैच हारे हैं। दो मैचों का नतीजा नहीं निकला है। घरेलू मैदानों पर भारत ने 24 में से 16 जीते हैं और 8 हारे हैं। वहीं विदेशी मैदानों पर उसने 29 में से 18 जीते, 9 हारे और दो मैचों का नतीजा नहीं निकला। भारत का जीत औसत हर जगह 66.66 का ही रहा है।
बनाम मैच जीते हारे नतीजा नहीं जीत प्रतिशत
वेस्ट इंडीज 12 8 3 1 72.72
ऑस्ट्रेलिया 7 2 4 1 33.33
बांग्लादेश 6 5 1 0 83.33
इंग्लैंड 6 4 2 0 66.66
न्यू जीलैंड 6 3 3 0 50.00
श्रीलंका 6 5 1 0 83.33
साउथ अफ्रीका 5 3 2 0 60.00
जिम्बाब्वे 3 2 1 0 66.66
आयरलैंड 2 2 0 0 100.00
मैच जीते हारे नतीजा नहीं जीत प्रतिशत
कुल 53 34 17 2 66.66
घरेलू मैदान पर 24 16 8 0 66.66
विदेशी मैदानों पर 29 18 9 2 66.66
* जीत प्रतिशत का आकलन करते समय उन मैचों को शामिल नहीं किया गया है जिनका नतीजा नहीं निकला

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