Saturday, July 17, 2021

Exclusive: स्टार ऐथलीट का छलका दर्द, बोले- ढेरों मेडल जीते, लेकिन अवॉर्ड्स में होता है भेदभाव July 17, 2021 at 03:30AM

नई दिल्लीतोक्यो ओलिंपिक में जिन खेलों पर खास नजर है, तीरंदाजी उनमें प्रमुख है। पिछले दिनों वर्ल्ड कप में दीपिका कुमारी के तीन-तीन गोल्ड जीतने के बाद यह उम्मीद और बढ़ गई है। उसी वर्ल्ड कप में अभिषेक वर्मा ने भी कड़े मुकाबले में गोल्ड मेडल जीता। ओलिंपिक्स में कैसा होगा प्रदर्शन और कैसे हैं तीरंदाजों के हालात, इन मुद्दों पर अभिषेक वर्मा से रौशन झा ने बात की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश... आर्चरी से इस बार ओलिंपिक्स में कितने मेडल की उम्मीद कर सकते हैं?अगर मैं वर्ल्ड कप के प्रदर्शन को ही आधार बनाऊं तो मुझे इस बार मेडल की उम्मीद पहले से कहीं ज्यादा है। कम-से-कम दो मेडल तो हम जरूर जीतेंगे, क्योंकि हमारे जो आर्चर इस बार तोक्यो जा रहे हैं वे काफी अनुभवी हैं, और पूर्व में अपने विपक्षियों को कई बार हरा चुके हैं। खासकर दीपिका कुमारी इस बार जरूर मेडल के सूखे को खत्म करेंगी। कंपाउंड ओलिंपिक्स में नहीं है, मन में कभी टीस उठती है?बहुत बार उठती है। हमारे अंदर जो ओलिंपिक्स में आर्चरी में मेडल नहीं जीत पाने की निराशा है, अगर कंपाउंड ओलिंपिक्स में होता तो यह निराशा कब की दूर हो चुकी होती। हालांकि उम्मीद है कि जल्द ही इसे ओलिंपिक्स में जगह मिल जाएगी। जहां तक मुझे पता है, 2024 ओलिंपिक्स के लिए तो इसे टेस्ट इवेंट में शामिल भी कर लिया गया है। पहली बार हुआ कि आर्चरी वर्ल्ड कप में एक साथ चार गोल्ड मिले। प्रतिस्पर्धा पहले से आसान थी क्या?अगर आप कंपाउंड आर्चरी के नजरिए से बात करेंगे तो काफी कड़ी प्रतिस्पर्धा थी, क्योंकि दुनिया के सभी टॉप खिलाड़ियों ने इसमें भागीदारी की थी। इनकी मौजूदगी में गोल्ड लाना बड़ी उपलब्धि है। रिकर्व में भी मुकाबला आसान नहीं था। हालांकि रिकर्व में एशियाई देशों का दबदबा होता है, लेकिन ओलिंपिक्स को देखते हुए जापान, कोरिया जैसे मजबूत देशों के खिलाड़ी नहीं आए थे। इससे कुछ फर्क जरूर पड़ा, लेकिन हमारी तैयारी काफी अच्छी थी जिसकी वजह से हम इतने गोल्ड जीतने में सफल रहे। इससे ओलिंपिक्स के लिए मनोबल जरूर ऊंचा होगा। फ्रांस में ही कुछ दिन पहले आयोजित ओलिंपिक्स क्वालिफाइंग प्रतियोगिता में महिला टीम कोटा हासिल करने से क्यों चूक गई?मैं इसकी सही वजह नहीं बता सकता क्योंकि मैं मैच स्थल से करीब 500 किलोमीटर दूर था। लेकिन, मैं इतना जरूर जानता हूं कि तैयारी में कोई कमी नहीं थी। कई बार किस्मत भी साथ नहीं देती। कोरोना काल में जब सारे स्टेडियम बंद हैं, आपने वर्ल्ड कप के लिए तैयारी कैसे की?तैयारी के नजरिए से समय वाकई बहुत मुश्किल था। दिल्ली में कंप्लीट लॉकडाउन था। मुझे इस दौरान जहां जगह मिली, वहीं पर तैयारी की। घर में जगह मिली तो वहां की, ऑफिस में की। मेरे एक दोस्त का फार्महाउस है तो वहां पर जाकर की क्योंकि वहां कोई आता-जाता नहीं था। सबसे अच्छी बात यह रही कि फ्रांस सरकार का नियम था कि 10 दिन पहले आपको आकर क्वॉरंटीन होना होगा। वहां हमें ट्रेनिंग के लिए ओपन स्पेस मिल गया जो बेहद कारगर साबित हुआ। वहां हमने इस 10 दिन के दौरान जमकर प्रैक्टिस की। इससे वहां के मौसम के अनुकूल खुद को ढालने के लिए भी पर्याप्त समय मिल गया। आपने इतने सारे मेडल जीते हैं। लेकिन, अवॉर्ड के नाम पर केवल अर्जुन अवॉर्ड मिला है। आपको नहीं लगता कि आप भी खेल रत्न के दावेदार हैं?सच बताऊं तो ओलिंपिक्स और गैर ओलिंपिक्स खेल का भेदभाव अवॉर्ड में थोड़ा-बहुत होता है। इसमें हमारी गलती नहीं है कि हमारी इवेंट ओलिंपिक्स में नहीं है। आप देखेंगे तो पाएंगे कि ओलिंपिक्स के अलावा ऐसा कोई खेल आयोजन नहीं है जहां हमने मेडल नहीं दिलाया है। हम अपनी तरफ से देश का झंडा बुलंद करने की पूरी कोशिश करते हैं। फिर भी, जब हमें अवॉर्ड वगैरह में दरकिनार किया जाता है तो दुख होता है। देखा जाता है कि जब खिलाड़ी जीतकर आते हैं तो उन पर इनामों की बौछार होती है। आपको सरकार से कोई इनाम मिला या नहीं?अभी तक तो ऐसा कुछ नहीं हुआ है। हां, एक चीज जो इस बार अच्छी हुई, वह यह कि प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक ने सराहना की। मेरे कॉलेज ने और मेरा ऑफिस इनकम टैक्स, जहां मैं काम करता हूं, उसने भी मेरे प्रदर्शन की तारीफ की है। इससे मन को जरूर सुकून मिला है। काफी सारे खेलों में लीग की शुरुआत हो चुकी है। आर्चरी में कब तक शुरू होने की आपको उम्मीद है?जिन-जिन खेलों में लीग की शुरुआत हुई है, वहां खिलाड़ियों के प्रदर्शन में काफी सुधार देखने को मिले हैं। टूर्नामेंट में बड़े-बड़े खिलाड़ियों के साथ खेलने से आत्मविश्वास भी काफी बढ़ता है। युवा खिलाड़ी कम उम्र में ही अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में खेलने के लिए तैयार हो जाते हैं। मैं तो चाहता हूं कि आर्चरी में भी लीग की शुरुआत जल्दी हो। आखिरी सवाल, दिल्ली के खिलाड़ी बाहरी राज्यों का रुख क्यों कर लेते हैं?इसकी एक वजह सरकार की उदासीनता भी है। स्पोर्ट्स कोटे से यहां नौकरी काफी कम मिलती है। जो बच्चे दिल्ली से खेलते हैं, उनका भविष्य सुरक्षित नहीं होता है। मैं दिल्ली सरकार, एलजी और केंद्र सरकार से आग्रह करूंगा कि हम दिल्ली के खिलाड़ियों को भी स्पोर्ट्स कोटे में तरजीह दी जाए। इससे जो छोटे-छोटे बच्चे खेल में करियर बनाने आते हैं, उनका उत्साह बढ़ेगा। दूसरी तरफ, हरियाणा या पंजाब की बात करें तो वहां नौकरी तो मिलती ही है, इनाम भी सरकार काफी देती है। यही वजह है कि आज हरियाणा से सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी निकल रहे हैं।

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