Saturday, July 17, 2021

7 साल की उम्र में हुईं अनाथ, नानी ने पाला, अब ओलिंपिक में लगाएंगी मेडल की दौड़ July 17, 2021 at 05:13PM

चेन्नै का नाम जब तोक्यो ओलिंपिक के लिए तय हुआ तो कुछ समय के लिए उसे कुछ समझ नहीं आया। उसकी आंखों के सामने जिंदगी का संघर्ष किसी फिल्म की तरह चलते लगा। 23 वर्षीय रेवती की जिंदगी बहुत चुनौतियों भरी रही है। वह अनाथ थी। उसका लालन-पालन दिहाड़ी मजदूर ने किया। दौड़ने के लिए एक जोड़ी जूते खरीदना भी संभव नहीं था। रेवती, भारत की 4x400 मिक्स्ड रीले टीम का हिस्सा हैं। वह सात साल की भी नहीं थी कि उसके माता-पिता का निधन हो गया था। उसकी नानी अर्नामल ने उसका लालन-पालन किया। वह एक दिहाड़ी मजदूर हैं। किशोरावस्था तक रेवती नंगे पांव दौड़ा करती थीं। रेवती के जीवन में बदलावतब आया तब मदुरै सेंटर ऑफ स्पोर्ट्स डेवेलपेमेंट अथॉरिटी, तमिलनाडु के कोच के. कनन ने उन्हें देखा। यह साल 2014-15 की बात है जब उन्होंने एमजीआर रेस कोर्स स्टेडियम में रेवती को दौड़ते हुए देखा। वह जीती नहीं लेकिन कोच ने 17 साल की उम्र में नंगे पांव दौड़ती रेवती में मौजूद प्रतिभा को पहचान लिया। कोच ने नंगे पांव दौड़ते देखा कनन ने कहा, 'मैंने एक युवा लड़की को नंगे पांव दौड़ते देखा और मैं उससे बहुत प्रभावित हुआ। मैंने पता लगाया कि वह कहां रहती है और उससे मिलने का फैसला किया। रेवती की नानी ने शुरुआत में ट्रेनिंग के लिए इनकार कर दिया। उसे लगा यह काफी महंगा होगा। वह एक गरीब परिवार से आते हैं तो खेल को फुल-टाइम अपनाने से डरते हैं।' रेवती ने कहा, 'मैं अपने घर से ट्रेनिंग सेंटर तक जाने के लिए रोजाना 40 रुपये का किराया अफॉर्ड नहीं कर सकती थी। लेकिन कनन सर अड़े रहे।' कनन की कोशिश रंग लाई कनन की कई कोशिशें आखिर रंग लाईं। रेवती की नानी आखिर मान गईं। न सिर्फ उन्होंने रेवती को फ्री ट्रेनिंग देने का फैसला किया बल्कि उसे मदुरै के लेडी डॉक कॉलेज में मुफ्त दाखिला भी दिलवाया। रेवती के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि जूतों के साथ दौड़ लगाए। रेवती ने कहा, 'हालांकि कनन सर मेरे लिए जूते ले आए थे लेकिन मैं नंगे पांव दौड़ने में ही सहज थी। मैंने जूतों के साथ दौड़ना सीखा।' रेवती की जिंदगी में बड़ा बदलाव साल 2016 में आया। इस साल कोयंबटूर में उसने 100मी, 200 मीटर और 4X100 मीटर रीले में जूनियर नैशनल में गोल्ड मेडल जीता। कनन ने कहा, 'इस प्रदर्शन ने अहसास दिलाया कि रेवती और बड़े मंच के लिए बनी है।' 2019 में पटियाला पहुंचीं साल 2019 तक रेवती को कनन ने ट्रेनिंग दी। इसके बाद वह पटियाला शिफ्ट गईं। यहां वह नैशनल कैंप का हिस्सा थीं। अपने करियर की शुरुआत में हालांकि रेवती 100 मीटर और 200 मीटर के इवेंट में दौड़ती थीं, लेकिन वह 400 मीटर इवेंट में हिस्सा लेने लगी। इसका श्रेय भारत की 400 मीटर कोच गलिना बुखारीना को जाता है। साल 2019 में रेवती ने इंडियन ग्रां प्रीं 5 ऐंड 6 में 400 मीटर के इवेंट में जीत हासिल की। उन्होंने 54.44 और 53.63 सेकंड का समय निकाला। घुटने में चोट के कारण वह इस सीजन के शुरुआती हिस्से में ज्यादा भाग नहीं ले सकीं। लेकिन रेवती ने पिछले महीने इंडियन ग्रां प्री 4 में 400 मीटर इवेंट में जीत हासिल कर वापसी की। 4x400 मीटर रीले के आखिरी सिलेक्शन ट्रायल में रेवती ने 53.55 सेकंड का समय निकाला और टॉप पर रहीं। तोक्यो जाने का अर्थ यह भी है कि रेवती की शादी की बात फिलहाल टल गई है। रेवती, जो दक्षिण रेलवे मुदरै में टिकट कलेक्टर हैं, ने कहा, 'मेरी नानी मेरी शादी का विचार बना रही थी लेकिन ओलिंपिक की वजह से उन्होंने अपना प्लान बदल लिया है। वह चाहती हैं मैं जो कर रही हूं वही करती रहूं।'

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