Sunday, January 24, 2021

वसीम अकरम- गली से शुरुआत, डायबीटिज को दी मात और दुनिया के देखी उनके स्विंग की करामात January 24, 2021 at 07:20PM

नई दिल्ली जावेद मियांदाद जब इस लड़के को चुनकर लाए तो किसी ने उसका नाम भी नहीं सुना था। साल 1984-85 की बात है जब पाकिस्तान टीम को न्यूजीलैंड के दौरे पर जाना था। मियांदाद ने 18 साल के इस बोलर को देखा और टीम में चुन लिया। कोई इस लड़के के बारे में कुछ नहीं जानता था। पर मियांदाद के दखल के बाद वह न्यूजीलैंड जाने वाली पाकिस्तानी टीम का हिस्सा थे। आज ही के दिन 1985 को उन्होंने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की थी। अकरम का यह पहला दौरा था। उनके पास इस दौरे पर जाने से पहले गेंदबाजी के लिए जूते तक नहीं थे। अकरम ने खुद एक इंटरव्यू में इसका खुलासा किया था। इतना ही नहीं उन्हें यह तक नहीं पता था कि दौरे पर जाने के पैसे मिलेंगे। वह तो किसी से पूछ रहे थे कि कितने पैसे साथ रख लूं। ऑकलैंड में पहला मैच था। बल्ले से वह रन नहीं बना पाए और गेंदबाजी में 105 रन देकर दो विकेट लिए। उनका पहला विकेट थे जॉन राइट। वही राइट जो बाद में भारतीय टीम के कोच बने। पाकिस्तान इस मैच में बुरी तरह हारा। उसे पारी की हार मिली। टीम ने अकरम पर भरोसा जताया। डंडलिन में अगले मैच में उन्हें फिर मौका मिला। इस बार दुनिया ने देखा कि यह लड़का कहां जाने वाला है। उन्होंने मैच में 10 विकेट लिए। दोनों पारियों में पांच-पांच। हालांकि कीवी टीम मार्टिन क्रो के 84 और जेरमी क्रॉनी के नाबाद 111 रन की मदद से 2 विकेट से जीत गया लेकिन अकरम ने अपना दम दिखा दिया। 'स्विंग का सुलतान' का सफर शुरू हो चुका था। अकरम के हाथ से गेंद निकलती तो जादू करती। जैसे उनके इशारे पर नाच रही हो। जब जहां चाहा वहां टप्पा लगा। जितनी चाही उतनी स्विंग हुई। ऐसा लगता था कि अकरम जब चाहते हैं कि गेंद को विकेटों से टकरा देते हैं। हवा में उड़ते बाल, कुछ-कुछ रॉन्ग फुट सा। क्रिकेट की दुनिया में कहा जाता है कि उन जैसा बाएं हाथ का तेज गेंदबाज नहीं आया। और खेल देखने वाले ज्यादातर लोग इस बात से सहमत होंगे। उस दौर के किसी बल्लेबाज से पूछिए तो वह आपको बताएगा कि अकरम का सामना करना कितना मुश्किल था। आप क्रिकेट की ऑल टाइम इलेवन में अकरम को आसानी से रख सकते हैं। गेंद उनका कहना मानती थी। और अकरम को उसे काबू में रखना आता था। डायबीटिज से जंगवसीम अकरम 29 साल के थे जब उन्हें पता चला कि वह डायबीटीज से पीड़ित हैं। यह साल 1997 की बात है। अकरम अपने करियर के शबाब पर थे। उनकी गेंदें दुनिया के बल्लेबाजों को नाचने पर मजबूर कर रही थीं। अकरम ने खुद बताया था कि यह खबर सुनकर वह काफी डिप्रेशन में चले गए थे। इससे बाहर आने में उन्हें छह सप्ताह का वक्त लगा था। उन्होंने यह बताया था कि आखिर कैसे वह इससे बाहर आए थे। 'मैं वाकई टूट गया था। लेकिन मैंने इससे बाहर आने का फैसला किया। सबसे पहले मैंने खाने को सही किया। और अब मेरा दिमाग इस तरह तैयार हो गया कि अगर मैं जरा सा भी ज्यादा खाऊं तो ऐसा लगता था कि उल्टी हो जाएगी। अगर आपका दिमाग इस तरह प्रोग्राम हो तो आप कुछ भी कर सकते हैं। इसकी शुरुआत ही मुश्किल है लेकिन एक बार अगर आप ठान लें तो सब हो सकता है। आप खुद को स्वस्थ समझने लगते हैं। सब चीजें आपके लिए काम करती हैं।' अकरम का करियर वर्ल्ड कप 2003 में वसीम अकरम वनडे इंटरनैशनल में 500 विकेट लेने वाले पहले गेंदबाज बने। उनके नाम 356 वनडे में 502 और 104 टेस्ट मैचों में 414 विकेट हैं।

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