Wednesday, January 20, 2021

सीने पर तकिया, कॉर्क की गेंद, ब्रिसबेन में दिखा रुड़की में छत पर की गई मेहनत का फल January 19, 2021 at 11:48PM

नई दिल्लीउत्तराखंड के रुड़की में पिता राजिंदर पंत अपने बेटे ऋषभ पंत के सीने पर तकिया बांध कर उसे कॉर्क की गेंद से अभ्यास कराते थे ताकि पंत के मन से तेज गेंदबाजों का डर खत्म हो जाए। इसके अलावा राजिंदर अपने बेटे की ताकत को बढ़ाने के लिए उन्हें एनर्जी पाउडर वाला दूध भी देते थे। उनकी यह ताकत ब्रिसबन में उनकी नाबाद 89 रनों की पारी में भी देखी गई और इससे पहले भी कई बार उनके खेल में दिखाई दी। ब्रिसबन की पारी के वक्त पिता नहीं थे मौजूद जिस किसी ने भी पंत की ब्रिसबन में खेली गई 138 गेंदों पर 89 रन की मैच जिताऊ पारी देखी होगी उसे पता होगा कि उत्तराखंड के छोटे से गांव में मिली सीख उनकी इस पारी के पीछे की मुख्य वजह है। दुर्भाग्य की बात है कि ऋषभ के पिता ब्रिसबन की पारी देखने के लिए इस दुनिया में मौजूद नहीं थे। लेकिन ऋषभ ने निश्चित तौर पर इस पारी को खेलने के बाद सोचा होगा कि यह नतीजा उन दिनों छत पर अभ्यास करने, अभ्यास के लिए समय बचाने के लिए दो टिफिन बॉक्स लेकर जाने, और उस दौरान की गई बुनियादी मेहनत का नतीजा है। छत पर मिलती थी एक्स्ट्रा कोचिंग राजिंदर ने 2019 में कहा था, ‘मैं रुड़की में अपने घर पर सीमेंट से बनी छत पर उसे कॉर्क गेंद से अभ्यास कराता था, जहां गेंद तेजी से आती थी। उस समय शहर में कोई टर्फ पिच नहीं थी। मैं उनके सीने पर तकिया बांधता था ताकि तेज गेंद खेलते हुए उन्हें चोट न लगे। लेकिन उन्हें चोट लगी, फ्रैक्चर हुआ। यह इसलिए भी करता था ताकि उनके दिल से डर निकल जाए। यह एक्सट्रा कोचिंग थी।’ तारक सिन्हा के यहां में मिली कोचिंग अपने बेटे की प्रतिभा को देखते हुए राजिंदर और उनकी पत्नी सरोज ने ऋषभ को दिल्ली में द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित तारक सिन्हा के यहां कोचिंग के लिए भेजने का निर्णाय लिया। रुड़की से दिल्ली का सफर आसान नहीं था। उनकी मां सुबह तीन बजे उठकर दिल्ली की बस लेती थीं ताकि उनका बेटा सिन्हा के सोनेट क्लब में शनिवार और रविवार को अभ्यास कर सके। वह और उनका बेटा पास ही में गुरुद्वारे में रुकते थे ताकि वह रविवार को अभ्यास कर सके। इसके बाद ऋषभ दिल्ली मे किराए पर रहने लगे। पंत ने जब बड़े होकर दिल्ली में रहना शुरू किया तो सिन्हा ने दोहरी जिम्मेदारी निभाई और माता-पिता की भूमिका भी निभाई। कोच ने की तारीफ ऑस्ट्रेलिया में मंगलवार को मिली जीत के बाद पंत ने व्हॉट्सएप पर सिन्हा को फोन किया। निश्चित तौर पर कोच खुश थे और उन्होंने ऋषभ को बधाई भी दी। सिन्हा ने कहा, ‘मैं इस बात से खुश हूं कि ऋषभ ने जिम्मेदारी और सूझबूझ भरी पारी खेली। उनके ऑफ साइड के शॉट्स भी सुधरे हैं और यह आज देखने को मिला। उन्होंने धीरे-धीरे शुरुआत की, फिर तेज खेला, खासकर तब जब ऑस्ट्रेलिया ने दूसरी नई गेंद ली थी। उनका अब टैम्परामेंट भी अच्छा है। मुझे ऐसा लगता है कि ऑस्ट्रेलियाई टीम उनसे डरती है।’ फिनिशर बनने की राह पर पंत पंत ने नाबाद रहते हुए टीम को जीत दिलाई। सिन्हा ने बताया, ‘यह लंबे समय से उनके दिमाग में था- कि मुझे नाबाद रहते हुए टीम को जीत दिलानी है। कुछ लोग मैच खत्म न करने को लेकर उनकी आलोचना कर रहे थे। वह फिनिशर बनना चाहते हैं और आज उन्होंने बता दिया कि वह इस रास्ते पर हैं।' 90s का तोड़ना है भ्रम कोच ने उनके 90s में आउट होने की बात का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा वह नब्बे की लाइन में आकर आउट हो जाते हैं और शतक नहीं पूरा कर पाते हैं। पंत टेस्ट में तीन बार नब्बे की संख्या में आकर आउट हुए हैं। दो बार वेस्टइंडीज में 2018 में और तीसरा सिडनी में इसी महीने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ। ऋषभ को हालांकि मंगलवार को शतक पूरा करने का मौका नहीं मिला।

No comments:

Post a Comment