Saturday, March 7, 2020

पूरा परिवार खिलाफ था, तब पूनम के साथ मां खड़ी हुई, आज बेटी वर्ल्ड कप फाइनल खेलेगी March 07, 2020 at 07:39PM

आगरा.‘‘बेटी जबछोटे बालों में स्टेडियम जातथी,दिन भर खेलतथी,तब रिश्तेदार और नातेदारन ने खूब ताना मारो,यहां तक सास-ससुर ने भी खूब तंज कसो। कहते थे कि क्या लड़की को खेलने भेजती हो,ये भी कोई खेल है क्या...ये सब सुन मैं कभी-कभी अकेले में खूब रोती थी, लेकिन कभी किसी से बताती नहीं थी। इन सबके बावजूद मैंने पूनम पर भरोसा किया और आज वह दूसरी बार महिला क्रिकेट वर्ल्डकप खेल रही है। मुझे उस पर गर्व है।’’

यह कहना है टी-20वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंची इंडिया टीम की खिलाड़ी पूनम यादव की मां मुन्नीदेवी का। वहहंसते हुए बताती हैं- ‘‘मैं8वीं तक पढ़ी हूं। पति आर्मी में थे तो लगभग बाहर ही रहते थे। मैंने बच्चों को कभी उनके सपनों को पूरा करने से नहीं रोका। पहले जो लोग ताने मारते थे, वेआज कहते हैं कि हमारी बिटिया को भी पूनम की देखरेख में छोड़ दो।’’


आगरा में ईदगाह स्टेशन से तकरीबन एक किमी दूर पूनम यादव को रेलवे की तरफ से घर मिला हुआ है। दोपहर एक बजे हम वहां पहुंचे।पिता रघुबीर यादव बागवानी करते मिले। बातचीत के दौरान रघुबीर के पास लगातार फोन आते रहे। कोई अग्रिम शुभकामनाएं दे रहा था तो कोई जीत के बाद आयोजित सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाने की गुजारिश कर रहा था।

रेलवे की ओर से मिला पूनम यादव का आवास।

पूनम की मां बताती हैं,‘‘दूसरों को क्या कहूं भाई साहब, जब इन्हें (पूनम के पिता) ही अपनी बेटी पर विश्वास न था। जब उसे2011में खेलते हुए रेलवे की नौकरी मिली तो इन्हें विश्वास हुआ कि खेलन से भी कुछ होए है।’’ बीच में बात काट रघुबीर बताते हैं- ‘‘मैं आर्मी में एजुकेशन सेक्टर में था। हमारे खानदान में कोई खिलाड़ीन बना,इसलिए चिंता रहती थी।’’

रघुबीर बताते हैं कि पूनम हमेशा लड़कों की तरह रहती थी। भाई की हमेशा नकलकरती थी। लड़कों के साथ खेलना,लड़कों के साथ ही उठना बैठना भी था। वह सोचती थी कि जब लड़के कोई काम कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं कर सकते। 10साल की उम्र में पूनम ने स्टेडियम जाना शुरू किया। पहले पूनम को बास्केटबॉल में रुचि थी, लेकिन हाइट कम होने की वजह से उसने क्रिकेट खेलना शुरू किया। लोगों के तानों से तंग आकर मैंने स्टेडियम जाने से मना किया तो उस वक्त इंडियन टीम में आगरा से खेल रही हेमलता काला को वह घर ले आई।उन्होंने समझाया तो हमने उसे फिर स्टेडियम भेजना शुरू किया।

मुन्नी देवी कहती हैं- ‘‘उसे तो जैसे लड़कियों की तरह रहना ही नहीं आता था। सजती-संवरती नहीं थी। शादी ब्याह में जाने का भी कोई शौक नहीं था। उसकी बड़ी बहनउसे समझाती थी, लेकिन उसे खेल का जुनून सवार था।पूनम को खेलने की वजह से नॉनवेज भी खाना पड़े है। पूरे घर में मैं नहीं खाती, लेकिन उसके लिए अंडा उबाल कर दे देती हूं।’’

पूनम यादव के पिता रघुबीर यादव और मां मुन्नी देवी।

मुन्नी देवी यह भी बताती हैं- ‘‘जब पूनम हमारे पास रहती है तो बहुत समय नहीं रहताउसके पास,लोगों का मिलना जुलना,ऑफिस जाना और फिर प्रैक्टिस रहती है। अब बस उसमें एक बदलाव आया है कि वह अपनी जिम्मेदारी समझने लगी है। परिवार में किसी को क्या दिक्कत है या किसी को क्या जरूरत है, सबका ध्यान रखती है।2017में जब वर्ल्डकप खेल कर लौटी तब इतने लोग स्वागत में उमड़े कि उसे घर पहुंचने में शाम हो गई। मैं सुबह से उसे देखना-मिलना चाहती थी, लेकिन सीधे शाम को ही मुलाकात हो पाई।’’

मां कहती हैं- ‘‘पूनम ने अपनी कमाई से गाड़ी खरीदी है और एक घर भी लिया है, लेकिन बहुत बड़ा न होने की वजह से वहां नहीं रहती। हर बच्चे की तरह वह सब बातें मुझे बताती है। मैं उसका चेहरा देखकर ही बताती थी कि उसे कोई दिक्कत है। मुझे बहुत जानकारी नहीं थी क्रिकेट की, लेकिन वह बताती थी। आज बॉलिंग नहीं ठीक कर पाई,आज कोच ने डांटा...,इस तरह की बातें बताती रहती थी।’’



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Poonam Yadav | India W VS AUS W Poonam Yadav Success Story Life-History Over Women Day Mahila Diwas 2020 Special

No comments:

Post a Comment