Tuesday, December 10, 2019

जानें, विश्वानाथन आनंद के करियर के 5 टर्निंग पॉइंट December 11, 2019 at 10:25AM

नई दिल्लीशतरंज की दुनिया के बादशाह कहे जाने वाले विश्वनाथ आनंद का आज (11 दिसंबर, 1969) जन्मदिन है। 'मद्रास टाइगर' और 'विशी' नाम से मशहूर यह खिलाड़ी 5 बार वर्ल्ड चैंपियन (2000, 2007, 2008, 2010, 2012) रहा। तमिलनाडु के छोटे से शहर मयिलाडुथराई में पैदा हुए आनंद चेन्नै में पले बढ़े। शतरंज की बिसातों की बात करें तो उनके इस जादई खेल के पीछे उनकी मां रहीं, जिन्होंने उन्हें 6 वर्ष की उम्र से ही चेस बोर्ड पर बिसात बैठाने की ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी थी। आइए जानते हैं विश्वनाथन आनदं के करियर की उन अहम बातों के बारे में जो उनके करियर की टर्निंग पॉइंट साबित हुईं... 1991: इटली में सर्जिकल स्ट्राइक1988 में भारत का पहले ग्रैंडमास्टर बनना आनंद के लिए बड़ी अचीवमेंट थी, लेकिन 1991 में रेगिओ एमिलिआ टूर्नमेंट का खिताब जीतना उनके करियर का सबसे बड़ा लम्हा था। उन्होंने यहां काली मुहरों से गैरी कास्परोव को हराते हुए शतरंज की दुनिया को अपनी धमक दिखाई थी। 2001: फीडे के नए चैंपियनक्लासिक वर्ल्ड रैपिड चैंपियनशिप टूर्नमेंट नॉकआउट फॉर्मेट से खेला गया था। ईरान के तेहरान में खिताब के लिए स्पेन के अलेक्सेई शिरोव को हराने से पहले नई दिल्ली उनका वर्चस्व उल्लेखनीय था। 2008: पहली बार वर्ल्ड चैंपियनवर्ल्ड चैंपियनशिप में पहली बार आनंद की धमक ने सभी को पछाड़ दिया। डी4 से शुरुआत के बाद मेरान संग सेमीफाइनल और फिर चैंपियनशिप का टाइटल। यह गौरवान्वित होने का पल था। 2010: चुनौतीपूर्ण परिस्थिती में जीतचुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में अपनी ही मांद में बुल्गारिया के दिग्गज वेसेलिन टोपालोव को हराया। सबसे पहले, यात्रा मुसीबतों और फिर अपने प्रतिद्वंद्वी, जो हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर तकनीकी में माहिर थे, के वर्चस्व को खत्म किया। काले मोहरों के साथ रोचक जीत से पहले उन्होंने माइनस से शुरुआत की थी। 2014-18: वॉरियर साबित हुए कुछ भाग्यशाली ब्रेक पर सवार होकर, खंटी-मानसीस्क (रूस) में 2014 का कैंडिडेट्स टूर्नमेंट जीता और राजनीति के माध्यम से नहीं, बल्कि योग्यता के आधार पर मैग्नस कार्लसन के खिलाफ वर्ल्ड टाइटल मैच के लिए क्वॉलिफाइ किया। इस क्षेत्र में युवा और कहीं अधिक कंप्यूटर के जानकार प्रतिद्वंद्वी शामिल थे। इसके अलावा 2 साल पहले रियाद में कार्लसन की उपस्थिति में विश्व रैपिड खिताब जीता था और पिछले (2018 में) साल कोलकाता में पहला टाटा स्टील शतरंज भारत ब्लिट्ज टूर्नमेंट जीता। क्यों बड़ी थी यह जीत दरअसल, आनंद पहले चरण के बाद चौथे स्थान पर थे। टूर्नमेंट के अंतिम दिन भारतीय ने 6 बाजियां जीतीं और तीन ड्रॉ खेली और वह विश्व में तीसरे नंबर के अमेरिकी नाकामुरा की बराबरी पर पहुंच गए। इसके बाद विजेता तय करने के लिए दो दौर का प्लेऑफ खेला गया जो ब्लिट्ज से भी तेज होता है। आनंद ने सफेद मोहरों से जीत दर्ज की और फिर काले मोहरों से ड्रॉ खेलकर 1.5-0.5 से जीत हासिल हासिल की।

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