एक कप्तान जो अपनी क्षमता के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पा रहा है, एक टीम जिसमें कुछ खिलाड़ियों को उनकी वर्तमान फॉर्म के बजाय ख्याति के आधार पर चुना गया तथा जैव सुरक्षित वातावरण (बायो बबल) के दौर में हावी होती थकान भारत के टी20 विश्व कप में निराशाजनक अभियान के कारण रहे। भारत की पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के हाथों हार के लिए कोई एक कारण नहीं है।
पाकिस्तान के युवा लेफ्ट आर्म पेसर बोलर शाहीन शाह अफरीदी की पहली 12 गेंदों ने भारतीयों को दहशत में डाला तो न्यूजीलैंड के खिलाफ वह रणनीति के अनुरूप प्रदर्शन करने में नाकाम रहे।
द्विपक्षीय श्रृंखलाओं में बतौर कप्तान सफल रहे विराट
वीवीएस लक्ष्मण ने भारत की न्यूजीलैंड के खिलाफ हार पर कहा, 'मैं स्तब्ध हूं केवल हार से नहीं बल्कि जिस तरह से उन्होंने मैच गंवाया। आपके पास हर तरह का सहयोगी स्टाफ है लेकिन यह रणनीति पर अमल करने से जुड़ा है।' कोहली टूर्नामेंट से पहले ही विश्व कप के बाद टी20 की कप्तानी छोड़ने का फैसला कर चुके हैं। कोहली को एक ऐसे कप्तान के रूप में याद किया जाएगा जो द्विपक्षीय श्रृंखलाओं में सफल रहे लेकिन जिन्हें बड़ी प्रतियोगिताओं, जैसे विश्व कप (टी20 और वनडे), चैंपियन्स ट्रोफी या आईपीएल में सफलता नहीं मिली।माना जाता है कि कोहली को द्वपक्षीय श्रृंखलाओं में अपनी गलती में सुधार करने का मौका मिल जाता है लेकिन कई टीमों वाली प्रतियोगिता में ऐसा नहीं हो पाता है। लगता है कि इस मामले में उनकी रणनीति काम नहीं कर पाती है।
हार्दिक पंड्या की फिटनेस पर भ्रम की स्थिति बनी रही
ऑलराउंडर हार्दिक पंड्या की फिटनेस को लेकर शुरू से टीम में भ्रम की स्थिति बनी रही। पूरी तरह फिट न होने के बावजूद हार्दिक का चयन करने का मतलब है कि चयनकर्ताओं से लेकर टीम प्रबंधन में संवादहीनता का अभाव रहा। आईपीएल के बाद जब लगने लगा कि हार्दिक गेंदबाजी नहीं कर पाएंगे तो आनन फानन में अक्षर पटेल की जगह शार्दुल ठाकुर को ऑलराउंडर के विकल्प के रूप में रखा गया। इससे पता चलता है कि टीम टी20 विश्व कप की असली चुनौती को लेकर बहुत गंभीर नहीं थी। हार्दिक का चयन हो या फॉर्म की बजाय खिलाड़ियों की हैसियत को तवज्जो देने के लिये चयनकर्ताओं को भी जवाब देना होगा। फॉर्म पर ध्यान दिया जाता तो रुतुराज गायकवाड़ टीम में जगह बनाने के हकदार थे जिन्होंने आईपीएल में सर्वाधिक रन बनाये।
ईशान किशन से पारी का आगाज करवाने का फैसला गलत साबित हुआ
टीम के चयन में निरंतरता का अभाव देखा गया। न्यूजीलैंड के खिलाफ रोहित शर्मा की बजाय इशान किशन से पारी का आगाज करवाने का कप्तान का फैसला गलत साबित हुआ। रविचंद्रन अश्विन को प्रत्येक प्रारूप में नजरअंदाज करने से कोहली का अपने खिलाड़ियों के साथ संबंधों पर सवाल उठ रहे हैं। ऐसे हालात में कोहली की वनडे कप्तानी भी खतरे में लग रही है। वनडे विश्व कप 2023 में भारत में खेला जाना है और ऐसे में टीम को एक नए कप्तान की देखरेख में तैयार किया जा सकता है।
पेसर भुवनेश्वर कुमार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए
भुवनेश्वर कुमार पिछले दो वर्षों से किसी भी मंच पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए। उनकी गेंदबाजी में अब पहले जैसी धार नहीं रही लेकिन तब दीपक चाहर की बजाय उन्हें चुना गया। दीपक ऐसे गेंदबाज हैं जो पावरप्ले में विकेट लेने में माहिर हैं।
भारत के मुकाबलों में ओस ने भी निभाई अहम भूमिका
इसके अलावा भारत में क्रिकेट के प्रति दीवानगी को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की उसे भुनाने की रणनीति भी टीम पर भारी पड़ रही है। भारत के सभी मैच शाम को हैं जब ओस अपनी भूमिका निभा रही है।
सभी चोटी की टीमों जैसे इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका आदि का दिन में कम से कम एक मैच है। तब पहले बल्लेबाजी करने पर ओस की भूमिका नहीं होती है लेकिन शाम के मैचों में टॉस गंवाने और पहले क्षेत्ररक्षण करने वाली टीम के हार की संभावना बढ़ जाती है। भारत दोनों मैचों में टॉस गंवा बैठा था।
चहल का रिजर्व में भी जगह नहीं दी गई
इसी तरह से लेग स्पिनर के रूप में राहुल चाहर को चुना गया जबकि रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर को आईपीएल के प्लेऑफ में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले युजवेंद्र चहल को रिजर्व में भी जगह नहीं दी गई। टीम का पिछले चार महीनों से जैव सुरक्षित वातावरण (बायो बबल) में रहना भी हार का एक कारण रहा। इसका प्रभाव भारतीय खिलाड़ियों के हाव भाव (बॉडी लैंग्वेज) पर स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है।
इसके लिए भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) भी जिम्मेदार है जिसने टी20 विश्व कप से ठीक पहले आईपीएल का आयोजन करके खिलाड़ियों को तरोताजा होने का मौका नहीं दिया।
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