Saturday, September 4, 2021

Paralympics: आईएएस सुहास यथिराज स्वर्णिम इतिहास लिखने की दहलीज पर September 04, 2021 at 12:45AM

नोएडा तोक्यो पैरालिंपिक खेलों के बैडमिंटन स्पर्धा के फाइनल में पहुंच कर ऐतिहासिक कारनामा करने वाले आईएएस सुहास एल. यथिराज रविवार को जब इन खेलों के अपने आखिरी मुकाबले में उतरेंगे तो उनके पास इस उपलब्धि को स्वर्णिम बनाने का मौका होगा। फाइनल में अगर वह हार भी जाते हैं तो रजत पदक के साथ गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) के 38 वर्षीय जिलाधिकारी (डीएम) पैरालिंपिक में पदक जीतने वाले पहले आईएएस अधिकारी के रूप में इतिहास बनाएंगे। सुहास एसएल4 श्रेणी में फिलहाल विश्व रैंकिंग में तीसरे स्थान पर हैं। उन्होंने शनिवार को सेमीफाइनल में जीत दर्ज करने से पहले यहां ग्रुप चरण तीन मैच खेले हैं। ग्रुप चरण के एक मुकाबले को छोड़कर अब तक खेले तीनों मैचों में उनका प्रदर्शन दबदबा वाला रहा है। फाइनल में टॉप सीड लुकास के सामने होंगे सुहास पहले दो मैचों को 20 मिनट से भी कम समय में अपने नाम करने वाले सुहास ने सेमीफाइनल में इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतियावान को 31 मिनट में 219, 21 -15 से हराया। अब उनका सामना शीर्ष वरीयता प्राप्त फ्रांस के लुकास माजूर से होगा। कर्नाटक के 38 वर्ष के सुहास के टखनों में विकार है। कोर्ट के भीतर और बाहर कई उपलब्धियां हासिल कर चुके सुहास कम्प्यूटर इंजीनियर है और 2007 बैच के आईएसएस अधिकारी भी। वह 2020 से नोएडा के जिलाधिकारी हैं और कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में मोर्चे से अगुआई कर चुके हैं। सेवारत और सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारियों के समूह आईएएस संघ ने ट्वीट किया, 'इतिहास बन रहा है। सुहास एल वाई (आईएएस, डीएम जीबी नगर (नोएडा), उत्तर प्रदेश, भारत) पुरुष एकल पैरा-बैडमिंटन एसएल4 वर्ग के फाइनल में। उन्होंने सेमीफाइनल में इंडोनेशिया के एस फ्रेडी को 2-0 से हराया। अब पांच सितंबर को स्वर्ण के लिए खेलेंगे।' उनके फाइनल में पहुंचने के साथ ही सोशल मीडिया पर #चीयर4सुहास ‘ट्रेंड’ करने लगा। नोएडा के कई निवासियों के व्हाट्सएप ग्रुप भी उनके डीएम के खेल की उपलब्धि पर बधाई संदेशों से भरे हुए हैं। इन जगहों पर सुहास जिलाधिकारी रह चुके हैं एनआईटी कर्नाटक से कंप्यूटर इंजीनियर के रूप में स्नातक की उपाधि प्राप्त लेने वाले सुहास इससे पहले प्रयागराज, आगरा, आजमगढ़, जौनपुर, सोनभद्र जिलों के जिलाधिकारी रह चुके है। अगस्त के अंतिम सप्ताह में तोक्यो जाने से पहले, जब सुहास से उनके बैडमिंटन अभ्यास और डीएम के रूप में काम के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'मैं दिन के सभी काम खत्म होने के बाद रात 10 बजे से दो घंटे तक अभ्यास करता हूं। मैं लगभग छह वर्षों से इस तरह से अपने खेल और प्रशासनिक कर्तव्यों का प्रबंधन कर रहा हूं।' सुहास ने बताया कि उनकी पेशेवर यात्रा 2016 में शुरू हुई जब वह पूर्वी यूपी के आजमगढ़ जिले के डीएम थे और वहां एक बैडमिंटन चैंपियनशिप का आयोजन किया गया था। उन्होंने कहा कि, 'मैं टूर्नामेंट के उद्घाटन में अतिथि था और भाग लेने की इच्छा व्यक्त की। तब तक यह मेरे लिए एक शौक था क्योंकि मैं बचपन से बैडमिंटन खेल रहा था। मुझे वहां खेलने का मौका मिला और मैंने राज्य स्तरीय खिलाड़ियों को हरा दिया।' उन्होंने कहा कि इस जगह पर देश की पैरा-बैडमिंटन टीम के वर्तमान कोच गौरव खन्ना ने उन्हें देखा और इसे पेशेवर के तौर पर अपनाने की सलाह दी। इसी साल उन्होंने बीजिंग में एशियाई चैम्पियनशिप में भाग लिया और स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले गैर-रैंक वाले खिलाड़ी बन गए। सुहास 2017 और 2019 में एकल और युगल में गोल्ड जीत चुके हैं सुहास ने 2017 और 2019 में बीडब्ल्यूएफ तुर्की पैरा बैडमिंटन चैम्पियनशिप में पुरुष एकल और युगल स्वर्ण जीता। उन्होंने ब्राजील में 2020 में स्वर्ण पदक जीता। जब जुलाई में तोक्यो पैरालिंपिक में उनकी भागीदारी की पुष्टि हुई, तो सुहास ने कहा कि यह प्रतियोगिता निस्संदेह एक चुनौती होगी और अपनी श्रेणी में दुनिया के तीसरे नंबर के खिलाड़ी होने के नाते, वह पदक के दावेदार होंगे।

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