Thursday, August 19, 2021

टॉस हारकर बैटिंग की चुनौती, पेसर्स के दम पर विदेशों में बदली टीम इंडिया की तस्वीर! August 18, 2021 at 11:05PM

पुणे भारत ने लॉर्ड्स टेस्ट में टॉस हारा। उसे पहले बल्लेबाजी का न्योता मिला। लेकिन सोमवार को टीम इंडिया ने शानदार खेल दिखाया और जीत हासिल की। भारत के क्रिकेट इतिहास में यह 13वां मौका (कुल 46 टेस्ट, 24 हारे और नौ ड्रॉ) था जब विदेशी धरती पर उसे पहले बल्लेबाजी का न्योता मिलने पर जीत मिली हो। हैरानी की बात यह है कि इन 13 टेस्ट मैचों में 8 में कम से कम एक ने पारी में पांच विकेट या उससे ज्यादा विकेट लिए हैं। और कुल मिलाकर 11 बार भारतीय पेसर्स ने पारी में यह काम किया है। लॉर्ड्स में भारतीय टीम चार तेज गेंदबाजों के साउथ उतरी थी। सभी ने अच्छी गेंदबाजी की और विकेट हासिल किए। ऐसे में किसी भी पारी में पांच विकेट नहीं मिल पाए। लेकिन महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में 2014 में लॉर्ड्स में जीत में ऐसा नहीं था। भुवनेश्वर कुमार और ईशांत शर्मा ने क्रमश: छह और सात विकेट हासिल किए थे। भारत ने विदेशी दौरों पर पहले बल्लेबाजी का न्योता मिलने पर अपनी पहली जीत 1968 में हासिल की थी। यह विदेशी दौरे पर भारत की पहली टेस्ट सीरीज जीत भी थी। कपिल देव ने 1981 में मेलबर्न में पारी में पांच विकेट लिए थे। तब ग्रेग चैपल ने भारतीय टीम को बल्लेबाजी का न्योता दिय़ा था। यह वही टेस्ट था जब कप्तान सुनील गावसकर मैच से बाहर जाना चाहते थे। विदेशी धरती पर टॉस हारने के बाद पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम की जीत
वर्ष बनाम मैदान
2021 इंग्लैंड लॉर्ड्स
2019 वेस्टइंडीज नॉर्थ साउंड, किंग्सटन
2018 इंग्लैंड नॉटिंगम
2016 वेस्टइंडींज ग्रॉस इसलेट
2015 श्रीलंका कोलंबो
2014 इंग्लैंड लॉर्ड्स
2010 साउथ अफ्रीका, बांग्लादेश डरबन, चिट्टगांव
2007 बांग्लादेश ढाका
2002 वेस्टइंडीज पोर्ट ऑफ स्पेन
1981 ऑस्ट्रेलिया मेलबर्न
1968 न्यूजीलैंड ऑकलैंड
जब एक कप्तान गेंदबाजी चुनता है तो आम तौर पर विकेट तेज गेंदबाजों के लिए मददगार होती है या फिर आसमान में बादल छाए होते हैं और मौसम सीम बोलिंग के मुफीद होता है। भारत की इन 13 जीत में किसी भी स्पिनर ने पारी में पांच विकेट नहीं लिए हैं। रविचंद्रन अश्विन ने 2015 के कोलंबो टेस्ट में चार विकेट लिए थे। वहीं इसी टेस्ट की पहली पारी में ईशांत शर्मा ने पांच विकेट लिए थे। लॉर्ड्स 2014 के अलावा भारत की नॉर्थ साउंड 2019 (ईशांत और बुमराह) और नॉटिंगम 2018 (हार्दिक पंड्या और बुमराह) ऐसे मैच रहे जिसमें एक टेस्ट में दो भारतीय तेज गेंदबाजों ने पारी में पांच विकेट लिए। बुमराह ने कुल मिलाकर जीत में तीन बार पारी में पांच विकेट लिए हैं। भुवनेश्वर कुमार ने 2014 लॉर्ड्स के साथ ही 2016 में ग्रॉस आइलेट में भी पांच विकेट लिए थे। ऑकलैंड में 1968 में भारत की जीत में किसी गेंदबाज ने पारी में पांच विकेट नहीं लिए थे। इसके साथ ही डरबन (2010), चिट्टगांव (2010) और पोर्ट ऑफ स्पेन (2002) में भी मिली जीत में किसी गेंदबाज ने पारी में पांच विकेट नहीं लिए थे। ढाका में 2007 में जहीर खान ने पारी में पांच विकेट लिए थे। 1981 में मेलबर्न से लेकर साल 2002 में पोर्ट ऑफ स्पेन के बीच विदेशी धरती पर 15 टेस्ट मैचों में पहले बल्लेबाजी का न्योता मिला लेकिन वह इसमें से किसी में उसे जीत नहीं मिली। वह 10 हारा और पांच मैच ड्रॉ रहे। हालांकि 2002 के बाद तस्वीर बदलनी शुरू हुई। इसके बाद खेले गए 24 मैचों में से भारत ने 10 जीते हैं। 11 में वह हारा है और तीन मैच ड्रॉ रहे। इसके पीछे बड़ी वजह भारतीय तेज गेंदबाजी आक्रमण भी है। भारत में ऐसा कम ही देखने को मिलता है जब कोई कप्तान टॉस जीतने पर पहले गेंदबाजी का फैसला करे। भारत ने ऐसे 8 टेस्ट मैचों में से कोई भी नहीं जीता, छह ड्रॉ रहे और दो में से उसे हार मिली। दोनों हार ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आईं। मुंबई में साल 2001 में और साल 1969 में कोलकाता में।

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