Friday, August 6, 2021

रियो में टूट गई थी, पैरिस में बदलना चाहूंगी पदक का रंग: मीराबाई चानू August 06, 2021 at 02:35PM

नई दिल्ली तोक्यो ओलिंपिक्स में भारत को शानदार शुरुआत दिलाने वाली मीराबाई चानू को आज पूरा देश पलकों पर बिठाए हुए है। ओलिंपिक में सिल्वर मेडल जीतने के बाद किन मेसेजेस ने उन्हें भावुक किया? कैसा लगा उन्हें, जब तमाम दिग्गज खिलाड़ियों ने बधाई दी। देश की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए कैसे की थी उन्होंने तैयारी? भारत की ओर से ओलिंपिक में इतिहास रचने वाली मीरा बाई से विमल कुमार ने बातचीत की। प्रस्तुत हैं उसके मुख्य अंश: क्या अभी भी यकीन हो रहा है या लग रहा है कि ये सपना ही है? अभी थोड़ा सा लग रहा है कि हां, मैं ओलिंपिक में मेडल जीतकर आई हूं। जब मेडल हाथ में लिया था, तब सपना जैसा लग रहा था कि मैंने ओलिंपिक में सच में मेडल जीता या कोई सिंपल कॉम्पिटिशन है? अभी तो बहुत अच्छा लग रहा है। सभी ने मुझे बहुत प्यार दिया। जब लौटकर भारत आई तो मुझे प्यार और सम्मान के साथ वेलकम किया। आपको देश के करोड़ों लोगों ने बधाई दी, दिग्गजों ने भी। सबसे प्यारा मेसेज आपको कौन सा लगा, जिसकी आपको उम्मीद नहीं थी और जो आप भूल नहीं सकतीं? मेरे कॉम्पिटिशन के बाद डायरेक्टली हमारे फोन पर हमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कॉल किया था। वह फोन पर बोले कि मीरा, आपने तो कमाल कर दिया। पूरे भारत को आपने ऊपर कर दिया। इतनी खुशी हुई ना, एक दो सेकंड तक यही लगता रहा कि क्या वाकई उन्हीं से बात हुई? यह मैं जीवन में कभी नहीं भूल पाऊंगी। यह हमेशा याद आता रहेगा। अगर किसी स्पोर्ट्सपर्सन की बात करें तो उनमें सबसे ज्यादा यादगार कौन रहा? ट्विटर पर मैंने बहुत लोगों को देखा है। सभी ने बहुत बधाई दी है। हालांकि मैं इतना चेक नहीं कर पाई, लोगों को फॉलो भी नहीं कर पाई। सुना तो है मैंने कि काफी अच्छे प्लेयर्स ने ट्वीट किया है तो मुझे बहुत अच्छा लगा। कभी नहीं सोचा था मैंने कि ऐसा होगा। तोक्यो जाते वक्त आपकी रैंकिंग नंबर टू की थी तो यह तय था कि सिल्वर से आपको कोई नहीं रोक पाएगा। रियो में आपके साथ जो हुआ था, उसे शायद आप याद नहीं करना चाहेंगी। ऐसे में उम्मीद पर खरा उतरने का कितना बड़ा दबाव था? बहुत बड़ा। काफी मुश्किल हुई थी। रियो में हमारी उम्मीद पूरी तरह से टूट गई थी। उससे पहले भी मैंने बहुत मेहनत की थी, सबको आशा थी कि मैं मेडल लाऊंगी जरूर, लेकिन वह मेरा दिन नहीं था। पहला ओलिंपिक था, नर्वस हो गई थी तो मेरा मेडल मिस हो गया। बहुत दुखी हुई थी। बहुत दिन तक कुछ खाया नहीं गया, कुछ याद नहीं रहता था। फिर ट्रेनिंग भी बहुत मुश्किल हो गई थी। बाद में कोच ने बहुत मोटिवेट किया कि आगे अच्छा होगा। फिर मैं रिकवर करने लगी और ट्रेनिंग शुरू की। आपकी कहानी इतनी इंस्पायरिंग है कि अगर आप फेल होते हैं तो कोई बात नहीं, फेल होना नैचुरल है, आप कमबैक कर सकते हैं। आपकी स्टोरी से तो सब सीख सकते हैं... हां, हर प्लेयर के साथ ऐसा होता है। चोट या कुछ ना कुछ कारण रह जाता है कॉम्पिटिशन में। हार-जीत लगी रहती है। इससे लड़ना है, इसे फेस करना है। कल की तैयारी में लगे रहना चाहिए। आज खत्म हो गया तो आगे कुछ नहीं कर पाएंगे, यह नहीं सोचना चाहिए कभी भी। दुख तो होता है कि इतनी मेहनत की फिर भी फेल हुए। लेकिन मैं ऐसा सोचती हूं कि आज नहीं हुआ तो कोई बात नहीं, मैं कल के लिए तैयारी करूंगी, कल जीतूंगी। ऐसा सोचकर रखेंगे तो बहुत अच्छा होगा। आपने कहा था कि यह आपकी जिंदगी का सबसे बड़ा पल है। अब पैरिस ओलिंपिक को तीन साल बचे हैं। क्या अब सिल्वर से मेडल का रंग गोल्ड में बदलना चाहेंगी? इसीलिए तो मैं जल्दी से ट्रेनिंग शुरू कर रही हूं क्योंकि वक्त बहुत कम है। तोक्यो के लिए पांच साल लगे, पैरिस के लिए तो तीन साल ही हैं। मैं सबके साथ एन्जॉय करना चाहती हूं लेकिन मेरे पास इतना कम वक्त है कि मैं एन्जॉय नहीं कर पा रही हूं। गोल्ड के लिए पूरी मेहनत करूंगी, सिल्वर को गोल्ड में बदल दूंगी। इतनी बड़ी उपलब्धि के बाद जिंदगी बदलने लगती है। किताबें लिखी जाएंगी, फिल्म वाले बायोपिक बनाने आएंगे। ऐसे में अपने आपको कैसे संभालेंगी? खेल से भी ध्यान हटने का डर रहता है... मुझे भी ऐसा डर तो लग रहा है। मैं ट्रेनिंग पर ज्यादा फोकस कर पाऊंगी या नहीं। बाद में जो आएगा, उसे देख लेंगे, अभी तो मुझे ट्रेनिंग पर ही फोकस करना है। बायोपिक का मुझे पता नहीं। सबने मुझे जो प्यार और सम्मान दिया है, यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। आप मणिपुर से हैं। कई बार दिल्ली या देश के दूसरे कोनों में नॉर्थ-ईस्ट के लोगों को अलग नजर से देखा जाता है। क्या आपके मेडल से एक बड़ा मेसेज जाता है? मणिपुर कहां पर है, पहले लोग नहीं जानते थे। मुझे दुख होता था। पूछते थे कि कहां के हो? हम बताते थे कि मणिपुर के। मणिपुर कहां है, ये पूछते थे। हमको अच्छा नहीं लगता था। हम भी भारत के हैं, पर कहीं-कहीं लोग हमें भारत का नहीं समझते थे। इस चीज को हमने मन में रखा था कि एक दिन मैं मणिपुर पूरे भारत को दिखाऊंगी। आज तो सबको पता चल गया होगा कि मीराबाई कहां की है, मणिपुर की है। मुझे इस बात की बहुत खुशी है। कभी किसी ने जाने-अनजाने में आपके नॉर्थ-ईस्ट का होने के चलते टिप्पणी की होगी, आपको दुख हुआ होगा। आपको लगता है कि अब ऐसी टिप्पणी नहीं होगी? लोग आपको सम्मान देंगे? हां। अभी तो ऐसा कुछ नहीं है। अब तो मणिपुर सबको पता है। मैं मणिपुर की हूं, लेकिन मैं सिर्फ मणिपुर की नहीं हूं। मैं पूरे भारत की हूं। मैं पूरे भारत के लिए काम करूंगी, पूरे भारत का नाम रोशन करूंगी

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