Monday, August 17, 2020

'लीडरशिप के बारे में महेंद्र सिंह धोनी से ये बातें सीख सकता है कॉरपोरेट इंडिया' August 16, 2020 at 11:29PM

नई दिल्ली दिग्गज टेक कंपनी इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान की तारीफ की है। धोनी ने शनिवार को इंस्टाग्राम पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान किया। सोमवार को हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपे अपने लेख में नारायण मूर्ति ने धोनी के प्रदर्शन और उनकी उपलब्धियों की चर्चा की। उन्होंने लिखा कि कैसे कॉरपोरेट जगत लीडरशिप के बारे में सिर्फ धोनी के मैच देखकर ही सीख सकता है। मूर्ति ने लिखा, 'मैं हमेशा से मानता हूं कि प्रदर्शन से पहचान मिलती है, पहचान से सम्मान मिलता है और सम्मान से ताकत मिलती है। इसलिए वैश्विक स्तर पर भारत के ताकतवर बनने के लिए आर्थिक प्रदर्शन बहुत मायने रखता है। महेंद्र सिंह धोनी, भारत के सबसे कामयाब कप्तानों में रहें हैं, उन्होंने इस बात को क्रिकेट में भी साबित किया है। उन्होंने प्रदर्शन किया। भारत को सभी अंतरराष्ट्रीय ट्रोफियां- वर्ल्ड टी20 2007, आईसीसी वर्ल्ड कप 2011 और चैंपियंस ट्रोफी 2013- के अलावा कई अन्य में जीत दिलाई।' नारायण मूर्ति ने लिखा कि बात सिर्फ प्रदर्शन की ही नहीं है धोनी के साथ कई चीजें आती हैं। वह 1.3 अरब भारतीयों के मन और मस्तिष्क को संभावनाओं को बढ़ाते हैं। वह गांव में रहने वाला हो या कोई शहरी, अमीर हो गरीब, बहुत ज्यादा पढ़ा लिखा हो या फिर अनपढ़- धोनी सबको साथ ले लेते हैं। उन्होंने लिखा कि उनकी बहन, दोस्त, ड्राइवर और सिक्योरिटी गार्ड, सभी धोनी की कामयाबी की दुआ करते हैं। आखिर वह भारतीय क्रिकेट का ध्रुव तारा हैं। नारायण मूर्ति ने धोनी और इंफोसिस दोनों की समानताओं पर भी चर्चा की। उन्होंने लिखा, 'धोनी और इंफोसिस, दोनों का जन्म 7 जुलाई 1981 को हुआ।' मूर्ति ने कहा कि इंफोसिस की शुरुआत भी साधारण रूप में ही हुई। धोनी की तरह। वह भी एक छोटे से शहर से आए और छा गए। उन्होंने दिखाया कि एक मध्यमवर्ग परिवार से आने वाले के पास भी अगर हुनर है, अगर वह मेहनत करता है, उसकी महत्वकांक्षाएं बड़ी हैं तो वह कामयाब हो सकता है। धोनी सर्वोत्कृष्ट लीडर हैं और कॉरपोरेट इंडिया सिर्फ उनके मैच देखकर ही उनसे काफी कुछ सीख सकते हैं। बड़ा विजन पहली जिम्मेदारी एक लीडर की पहली जिम्मेदारी होती है कि वह एक बड़ा सपना दिखाए, उसकी स्पष्टता दिखाए, लोगों की आकांक्षाओं, विश्वास, गर्व, उम्मीद और जुनून को बढ़ाए। धोनी ने ऐसा कर दिखाया। धोनी ने जब 2007 में भारत को पाकिस्तान के खिलाफ वर्ल्ड टी20 का खिताब जितवाया तो उन्होंने पूरे देश की मानसिकता को बदल दिया। अब हर इनसान की उम्मीदें बढ़ गईं। कोई भी सिर्फ किसी वर्ल्ड क्रिकेट टूर्नमेंट के सेमीफाइनल में पहुंचकर संतुष्ट नहीं था। उन्होंने लिखा, 'मैंने समाज के हर वर्ग के लोगों को धोनी के बारे में बात करते हुए जोश से भरते देखा है। फिर चाहे वह क्लर्क हों या ड्राइवर, कंपनी के सह-संस्थापक हों या दुकान मे काम करने वाले। एक अच्छा नेता उदाहरण तय करता है। यही महात्मा गांधी ने हमें सिखाया था। धोनी ने आगे बढ़कर उदाहरण बनाए। उन्होंने अपने प्रदर्शन से साबित किया। वह भारत के बेस्ट फिनिशर बने।' साथियों से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करवाना धोनी ने टीम के साथी खिलाड़ियों को प्रेरित किया। युवराज सिंह और सुरेश रैना को अपना बेस्ट देने के लिए प्रेरित किया। 2011 वर्ल्ड कप की उस आखिरी गेंद को कौन भूल सकता है जब धोनी ने छक्का लगाकर भारत को चैंपियन बनाया था? 50 ओवर के मैच मे भारत जब भी मुश्किल में होता तो टीम और देश धोनी की ओर देखता और धोनी ने उन्हें निराश नहीं किया। प्रदर्शन से साबित मूर्ति ने लिखा, 'धोनी की बल्लेबाजी की तारीफ करने के लिए सुनील गावसकर का वह बयान ही काफी है कि वह अपने जीवन का आखिरी मिनट 2011 के वर्ल्ड कप में धोनी का लगाया वह सिक्स देखकर गुजारना चाहेंगे। वह भारत के सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर रहे। उनकी विकेटों के बीच उनकी दौड़ कमाल की रही। जब आक्रामकता की जरूरत होती तो धोनी वह भी करते। इस पूरी प्रक्रिया में वह बेस्ट करने की अपनी कमिटमेंट से पीछे नहीं हटते, जो एक अच्छे लीडर की अहम खूबी है। टीम के साथ कामयाबी बांटना एक आत्मविश्वासी लीडर टीम के साथ कामयाबी बांटने में आगे रहता है। धोनी एक दिलदार लीडर हैं। कौन भूल सकता है कि धोनी ने 2011 वर्ल्ड कप की ट्रोफी जीतने के बाद स्टेडियम का चक्कर लगाते हुए मिली शान को सचिन तेंडुलकर और गैरी कर्स्ट्न के साथ साझा किया? वह दिन धोनी का था उनकी कप्तानी और पूरे टूर्नमेंट के दौरान उनके प्रदर्शन का। फाइनल में खेली गई उनकी 91 रनों की पारी का और फिर उस सिक्स का। बड़ा दिल एक अच्छे लीडर की खूबी होती है। हर हाल में स्थिर एक कम्प्लीट लीडर शांत और स्थिर रहता है लेकिन मुश्किल हालात में अपना अगला दांव बहुत अच्छी तरह चलता है। धोनी इसका अच्छा उदाहरण हैं मैं एक बार फिर 24 सितंबर 2007 के दिन पर जाता है जब वर्ल्ड टी20 फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ धोनी ने आखिर ओवर फेंकने के लिए जोगिंदर शर्मा को चुना। मेरे साथ मैच देख रहे कई दोस्त धोनी के इस फैसले पर हैरान हुए थे और उन्होंने इस पर निराशा जताई थी। मेरे बेटा रोहन धोनी का बहुत बड़ा फैन हैं, उसने कहा था कि धोनी के दिमाग में कोई अच्छी रणनीति होगी। मिसबाह ने जब दूसरी गेंद पर छक्का लगाया तो टेंशन बढ़ गई। धोनी दौड़कर जोगिंदर शर्मा के पास गए और उन्हें शांत करते हुए कॉन्फिडेंस दिया। यह करने में धोनी का कोई मुकाबला नहीं। अगली गेंद पर मिसबाह ने स्कूप किया और श्रीसंत ने शॉर्ट फाइन लेग पर कैच लपक लिया। भारत ने वर्ल्ड कप जीत लिया था। जीत के बाद धोनी का वह दांव सोची-समझी रणनीति का हिस्सा ही लगा। जीत के बाद धोनी ने जो समभाव दिखाते हैं, फिर चाहे वह जीत हो या हार, वह एक अच्छे लीडर की पहचान है, एक अच्छे लीडर की कंपनी बाजार में अच्छा प्रदर्शन करे अथवा नहीं उसे कैसे व्यवहार करना चाहिए यह धोनी से सीखा जा सकता है। मुझे कोई संदेह नहीं कि धोनी आने वाले कई दशकों तक भारतीय क्रिकेट की सेवा करते रहेंगे। मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं।

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