आजादी के बाद भारतीय हॉकी के सबसे बड़े खिलाड़ियों में शुमार रहे बलबीर सिंह सीनियर का सोमवार को चंडीगढ़ में निधन हो गया। वे लगातार तीन ओलिंपिक लंदन (1948), हेलसिंकी (1952) और मेलबर्न (1956) में गोल्ड जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य रहे थे।
हॉकी के पूर्व खिलाड़ियों को उनके जान का दुख है। इसमें इकलौता हॉकी वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम के कप्तान अजीतपाल सिंह भी हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने बलबीर सिंह के व्यक्तित्व, उनके खेल से जुड़ी कई खास बातें बताईं...
अजीतपाल सिंह ने बताया किमैं कभी बलबीर सिंह सीनियर के साथ तो नहीं खेला। लेकिन तीन बड़े टूर्नामेंट में उनके साथ जाने का मौका मिला। वे 1971, 1975 वर्ल्ड कप और 1970 एशियन गेम्स में भारतीय हॉकी टीम के मैनेजर थे। मैं 1971 और 1975 में हॉकी वर्ल्ड कप में टीम का कप्तान था। ऐसे में मुझे उन्हें करीब से जानने का मौका मिला। वे काफी मिलनसार और शांत स्वभाव के व्यक्ति थे। मैंने उन्हें कभी गुस्से में किसी से बात करते नहीं देखा था।
बलबीर की हौसलाअफजाई के दम पर हम पहली बार वर्ल्ड चैम्पियन बने
अजीत बताते हैं किमुझे 1975 का वर्ल्ड कप याद आता है कि कैसे उन्होंने टीम को एकजुट किया और यह विश्वास दिलाया कि हम वर्ल्ड चैम्पियन बन सकते हैं। तब उनकी हौसलाअफजाई के दम परहम पहली बार फाइनल में पाकिस्तान को 2-1 से हराकरवर्ल्ड चैम्पियन बने थे। इसके बाद हम आज तक विश्व कप नहीं जीत सके।
'उनके मैनेजर रहते हमने 1970 केएशियन गेम्स में भीसिल्वर मेडल जीता था। हालांकि, तब फाइनल में पाकिस्तान से हम हार गए थे। इससे न सिर्फ टीम मायूस हुई थी, बल्कि उन्हें भी फाइनल में मिली यह हार कचोटती थी।'
'बलबीर सिंह सीनियर को खेल के बारे में काफी नॉलेज था'
भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान बताते हैं किउन्हें (बलबीर)खेल के बारे में कॉफी नॉलेज था। वे हर अहम मैच से पहले और बाद में खिलाड़ियों को उनकी कमियों के बारे में बताते थे।
'ध्यानचंद और बलबीर सिंह भारतीय हॉकी के स्टार
अजीत कहते हैं कि मेरी नजरों में भारतीय हॉकी के दो स्टार रहे हैं। एक मेजर ध्यानचंद और दूसरे बलबीर सिंह। येदोनों ही फादर ऑफ हॉकी हैं। बलबीर जी, तो ध्यानचंद के20 साल बाद भारतीय टीम में शामिल हुए थे। लेकिन दोनों का खेल शानदार था। उनका स्टिक वर्क गजब का था।
'वे बताते हैं कि मैंने कभी बलबीर सिंह के साथ नहीं खेला है। लेकिन उनके साथ खेल चुके लोगों की मानें तोअगर तीस यार्ड सर्किल के करीब उनके पास गेंद आ जाती थी, तो ज्यादातर मौकों पर वे गोल करने में कामयाब रहते थे।'
बलबीर सिंह को भारत रत्न मिलना चाहिए: अजीतपाल
अजीत कहते हैं कि जब सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न मिल सकता है, तो मेजर ध्यानचंद और बलबीर सिंह को भी देश का सबसे बड़ा सम्मान मिलना चाहिए। अगर दोनों को जिंदा रहते यह सम्मान दिया जाता तो अच्छा रहता।
'यह दोनों ऐसे समय में खेले, जब स्पोर्ट्स में बहुत ज्यादा पैसा नहीं था। इन्हें शाबासी के अलावा कुछ नहीं मिला। बलबीर सिंह को मरणोपरांत ही सही, अगर यह सम्मान मिलता है तो देश की ओर से उन्हें इससे अच्छी श्रद्धांजलि नहीं दी जा सकती है।'
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