Thursday, July 15, 2021

कभी हाथ नहीं उठा सकती थीं, अब विरोधियों को मैट पर पटकने के लिए तैयार हैं सोनम मलिक July 14, 2021 at 10:52PM

नई दिल्ली साल 2017 खत्म होने वाला था। ऐसा लग रहा था कि वह दोबारा मैट पर कभी नहीं उतर पाएगी। उनके दाएं कंधे की किसी नस में हुई परेशानी से दायां हाथ काम नहीं कर रहा था। युवा पहलवान के शरीर के दाएं हिस्से पर लकवा मार गया था। वह हाल ही में एथेंस, ग्रीस में वर्ल्ड कैडेट चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर आई थीं। अब आज पर आते हैं, सोनम, 19 साल की हैं। में 62 किलोग्राम वैट कैटिगरी में वह भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। उनकी कोशिश मैट पर इतिहास रचने की है। लकवा होने के चलते सोनम छह महीने तक मैट से दूर रहीं। सोनम के कोच अजमेर मलिक ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'वह अपना हाथ ऊपर नहीं कर सकती थीं। वह किसी चीज को ताकत के साथ नहीं पकड़ सकती थीं। उसके हाथ में कोई ताकत नहीं रह गई थी। डॉक्टरों ने साफ कह दिया कि उसे कुश्ती के बारे में भूल जाना चाहिए। सोचिए उसने उसके बाद जीवन कैसे बिताया होगा।' उसके पिता राजिंदर मलिक, जो खुद अपनी जवानी के दिनों में एक पहलवान थे, आजकल एक शुगर मिल में डिलिवरी मैन का काम करते हैं। उन्होंने सोनम की रिकवरी में अहम भूमिका निबाई। उन्होंने कहा, 'मेरी कमाई सीमित थी। मैं किसी बड़े शहर में किसी नामी डॉक्टर से उसका इलाज नहीं करवा सकता था। हमने उसे ठीक करने के लिए सिर्फ देसी (आयुर्वेदिक) पद्धति का ही सहारा लिया। मुझे लगता है कि भगवान चाहते थे कि सोनम दोबारा मैट पर उतरे। इसी वजह से वह सिर्फ छह मीने में ठीक हो गई।' हालांकि सोनम का इलाज एक साल तक चलता रहा। साल 2018 में सोनम मैट पर वापस लौटीं। उन्होंने एशियन कैडेट चैंपियनशनप में ब्रॉन्ज मेडल जीता और वर्ल्ड कैडेट चैंपियनशिप 2019 में उन्होंने एक और वर्ल्ड कैडेट गोल्ड मेडल अपने नाम किया। वह सीनियर लेवल पर पहुंचीं और जल्द ही उन्होंने यहां भी अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी। 2020 की शुरुआत में उन्होंने रियो ओलिंपिक की ब्रॉन्ज मेडलिस्ट साक्षी मलिक को लखनऊ में हुए नैशल ट्रायल में हराया। यहीं से उन्होंने सुर्खियां बटोरनी शुरू कर दीं। इसके बाद सोनम ने तीन बार और साक्षी को हराया। इस साल अप्रैल में सोनम ओलिंपिक के लिए क्वॉलिफाइ होने वालीं सबसे युवा भारतीय महिला पहलवान बनीं। उन्होंने कजाकिस्तान में हुए एशियन ओलिंपिक क्वॉलिफिकेशन 62 किलोग्राम के फाइनल में जगह बनाई। अजमेर सिंह ने सोनम की खासियत के बारे में कहा, ' सोनम मैट पर बहुत फुर्तीली हैं। वह काफी फ्लैक्सिबल हैं और सबसे जरूरी बात यह है कि वह विपक्षी पहलवान को काफी तेजी से उठाकर उसे नीचे पटक सकती हैं।' भारतीय महिला कुश्ती के राष्ट्रीय कोच कुलदीप मलिक ने कहा, 'सोनम के बारे में अच्छी बात यह है कि वह किसी भी दबाव को झेल सकती है।' ओलिंपिक में सोनम 4 अगस्त को मैट पर उतरेंगी। अपनी कुश्ती के बारे में सोनम कहती हैं, 'मैं जानती हूं मेरी कैटिगिरी में काफी कॉम्पीटिशन है। मैं जानती हूं कि जीतने के लिए मैं फेवरिट भी नहीं हूं। लेकिन मुझे इतना पता है कि अपने दिन पर मैं दुनिया की बेस्ट पहलवानों को हरा सकती हूं। अगर वे मुझे हल्के में लेंगी तो यह उनके लिए नुकसानदेह होगा।' उन्होंने कहा, 'मैंने अपने प्रतिस्पर्धियों के वीडियो फुटेज देखे हैं और उसी हिसाब से अपना प्लान तैयार किया है।' सोनम की कैटगिरी में कजाकिस्तान की आइसुलू तिननिबेकोवा गोल्ड मेडल जीतने की प्रबल दावेदार हैं। उनके अलावा बुल्गारिया की यासीन तेबे मुस्तफा, यूक्रेन की यूलिया ओस्पचुक, जापान की युकाको कवाई और अमेरिका की काइली कियोको भी मजबूत दावेदार हैं।

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