Wednesday, March 17, 2021

एकनाथ सोलकर: भारत का वह क्रिकेटर जिसने क्लोजिंग फील्डिंग से बनाई पहचान, झुग्गी में रहा, पिता के अंतिम संस्कार के बाद भी खेला March 17, 2021 at 05:08PM

नई दिल्ली क्रिकेट के खेल में फील्डिंग का काफी महत्व है। और आज भारत के एक ऐसे खिलाड़ी का जन्मदिन है जिसने बहुत पहले ही फील्डिंग के दम पर ही पहचान बना ली थी। का जन्म आज ही के दिन सन 1948 को हुआ था। आज के मुंबई शहर में। शॉर्ट लेग पर खड़े सोलकर गेंद को नीचे नहीं गिरने देते थे। शॉर्ट लेग फील्डिंग करने के लिए खतरनाक जगह मानी जाती है। बल्लेबाज के करीब खड़े इस फील्डर को चोट लगने का काफी खतरा होता है लेकिन सोलकर इससे नहीं डरते थे। वह बल्लेबाज के काफी करीब खड़े होते थे। इतना करीब कि कई बार बल्लेबाज को भी चिंता होने लगती थी। वर्ल्ड रेकॉर्ड की बराबरी की साल 1970-71 में जब भारत ने वेस्टइंडीज को पहली बार हराया तो पोर्ट ऑफ स्पेन के उस मैच में सोलकर ने तब के वर्ल्ड रेकॉर्ड, मैच में छह कैच, की बराबरी की। अपनी कैचिंग के दम पर उन्होंने भारत को 1971 में इंग्लैंड के खिलाफ जीत दिलाने में भी मदद की। उन्होंने फुल लेंथ डाइव लगाकर कैच पकड़ा और भारत ने पहली बार इंग्लैंड में जीत हासिल की। यह ओवल का मैदान था। आंकड़ों के लिहाज से दुनिया के बेस्ट फील्डर! अगर आप आंकड़े देखें तो सोलकर अब भी टेस्ट के बेस्ट फील्डर हो सकते हैं। 27 टेस्ट मैचों में उन्होंने 53 कैच लपके हैं। यह किसी नॉन-विकेटकीपर, जिसने 20 से ज्यादा टेस्ट खेले हों, के लिए सर्वश्रेष्ठ रेशो है। इसके बाद बेस्ट रेशो 62 टेस्ट में 110 कैच का बॉब सिम्पसन का है। गरीबों का सोबर्स कुछ लोग उन्हें गरीबों का सोबर्स भी कहा करते थे। वह निचले क्रम के उपयोगी बल्लेबाज थे और गेंदबाजी में स्पिन और मीडियम पेस दोनों कला जानते थे।1971 में भारत की पोर्ट ऑफ स्पेन में जीत में उन्होंने सिर्फ छह कैच लपके बल्कि महत्वपूर्ण 55 रन भी बनाए। इसके अलावा इंग्लैंड के खिलाफ जीत में उन्होंने 44 रन भी बनाए और तीन विकेट भी लिए। झोपड़ी में रहे सोलकर बहुत गरीब परिवार से आते थे। उनके पिता बॉम्बे (अब मुंबई) के हिंदू जिमखाना में ग्राउंडमैन थे। वह ग्राउंड पर ही एक कमरे की झोपड़ी में अपने पिता और पांच भाई-बहनों के साथ रहते थे। उनके एक भाई अनंत ने भी फर्स्ट-क्लास क्रिकेट खेला। नेट्स में अपनी बोलिंग से उन्होंने मुंबई के खिलाड़ियों को प्रभावित किया। पिता के निधन के बाद भी खेले 1969 में मुंबई और बंगाल के बीच रणजी ट्रोफी का फाइनल खेला जा रहा था। मैच मुंबई के क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया यानी सीसीआई मैदान पर होना था। मैच की शुरुआत के छह दिन पहले ही सोलकर के पिता हिंदू जिमखाना की सीढ़ियों से गिरकर कोमा में चले गए थे। सोलकर इस दुविधा में थे कि वह खेलें या नहीं लेकिन अपना दुख एकतरफ करते हुए उन्होंने खेलने का फैसला किया। उन्हें उम्मीद थी कि पिता ठीक हो जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मैच के दूसरे दिन मुंबई का स्कोर दो विकेट पर 300 रन था। क्रीज पर दो युवा बल्लेबाज सोलकर और मिलिंग रेगे मौजूद थे। लेकिन उसी दिन सोलकर के पिता का अस्पताल में निधन हो गया। सोलकर ने अगली सुबह पिता का अंतिम संस्कार किया और बल्लेबाजी करने उतरे। उन्होंने 29 रन बनाए और अपनी टीम को बढ़त हासिल करने में मदद की। और अंत में मुंबई ने ट्रोफी जीती। सोलकर का रेकॉर्ड सोलकर ने 27 टेस्ट मैचों में 25.42 के औसत से 1068 रन बनाए। इसमें एक शतक भी शामिल था। वहीं सात वनडे इंटरनैशनल मैचों में 27 रन बनाए। वहीं 189 फर्स्ट क्लास मैचों में उन्होंने 6851 रन बनाए। औसत रहा 29.27 का। उन्होंने यहां 8 शतक और 36 अर्धशतक लगाए और 190 कैच लपके।

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