Tuesday, January 19, 2021

India vs Australia: टेस्ट मैच से पहले पिता ने दी थी शार्दुल ठाकुर को एक अहम सलाह January 19, 2021 at 07:04PM

sगौरव गुप्ता, मुंबई मुंबई से 87 किलोमीटर उत्तर में एक गांव है माहिम-केलवा। पालघर के तटीय इलाके में मौजूद इसी गांव में रहते हैं नरेंद्र ठाकुर। उनका एक छोटा सा खेत है। ठाकुर वडवाल समुदाय से आते हैं। यह समुदाय मुख्य रूप से खेती-बाड़ी से जुड़ा हुआ है। नरेंद्र के पास भी पान, केले और नारियल के पेड़ हैं। हालांकि उन्होंने और उनके भाई ने जिला स्तर पर क्रिकेट खेला है, लेकिन शायद ही उनमें से किसी ने यह सोचा हो कि उनके परिवार का एक बेटा ऑस्ट्रेलिया में भारत की जीत में अहम किरदार निभाएगा। नरेंद्र के बेटे शार्दुल ने ब्रिसबेन में जो किया जो वह जेहन और रेकॉर्ड बुक में दर्ज हो चुका है 26 साल के शार्दुल ने गाबा में ऐसा खेल दिखाया कि उनके गांव को लोग अब गूगल सर्च करने लगे हैं। शार्दुल ने अपने पिता को बताया कि वह सीरीज के आखिरी मैच में खेल रहे हैं, तो उन्हें बस एक ही सलाह मिली- 'जल्दबाजी मत करना, यह टेस्ट क्रिकेट है आराम से खेलना।' नरेंद्र ने कहा कि मैंने उसे (शार्दुल) को बस यही सलाह दी। मेरे भाइयों ने भी उसे यही सलाह देने को कहा। नरेंद्र ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, 'जूनियर क्रिकेट में उसने बतौर बल्लेबाज शुरुआत की थी और अब हम चाहते हैं कि वह कम से कम ऑलराउंडर तो बैटिंग करे।' उनके एक करीबी दोस्त अजिंक्य नाइक ने बताया, 'टूर के दौरान जब कभी भी उसका फोन आया तो उसने यही बताया कि वह खेलने को लेकर कितना इच्छुक है। वह भारत के लिए अपनी उपयोगिता साबित करने का एक मौका हासिल करना चाहता था।' नाइक का कहना था, 'उनके समुदाय के लोग शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत मजबूत होते हैं। वे आसानी से हार नहीं मानते। लॉकडाउन में इस तरह के इलाके में रहना उनके लिए फायदेमंद रहा। वह समुद्र तट पर और सड़क पर जॉगिंग के लिए जा सकते थे। इससे उन्हें फिटनेस कायम रखने में मदद मिली।' पिछले साल 23 मी को ठाकुर टीम इंडिया के पहले खिलाड़ी थे जिन्होंने अपनी फिटनेस शुरू की थी। उन्होंने अपने घर के पास मैदान में नेट पर बोलिंग करना शुरू कर दिया था। ऐसी झूठी खबरें भी आईं कि महाराष्ट्र क्रिकेट असोसिएशन और बीसीसीआई उनके खिलाफ कार्रवाही कर सकता है लेकिन ठाकुर इन सबसे बेपरवाह रहे। वह मेहनत अब रंग दिखा रही है। नरेंद्र याद करते हैं, 'हम सब भाइयों ने क्रिकेट खेला है। यह हमारे जीन्स में है। वह सुबह 3:45 या चार बजे उठकर पांच बजे की ट्रेन पकड़कर बोरीवली जाता था ताकि स्कूल के लिए क्रिकेट खेल सके। चूंकि वह रोजाना पालघर से क्रिकेट खेलने के लिए जाते थे इसलिए उनका नाम 'पालघर एक्सप्रेस' पड़ गया। रोजाना तीन घंटे के सफर ने उन्हें बचपन से ही मानसिक रूप से काफी मजबूत बना दिया।

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