Friday, December 25, 2020

वाजपेयी के साथ लाहौर बस यात्रा में सबसे ज्यादा शालीन थे कपिल देव, पुस्तक में हुए दिलचस्प खुलासे December 25, 2020 at 12:21AM

नई दिल्ली पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1999 में जब अमृतसर से लाहौर के बीच बस के जरिये ऐतिहासिक यात्रा की थी तब उसमें यूं तो विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियां सवार थीं लेकिन उनमें सबसे अधिक शालीन संभवत: कपिल देव थे। यह कहना है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी के निजी सचिव रहे शक्ति सिन्हा का। उन्होंने अपनी नई पुस्तक ‘‘वाजपेयी: द ईयर्स दैट चेंज्ड इंडिया’’ में यह बात कही है। 40 मिनट की थी लाहौर बस यात्रा उस बस यात्रा में 40 मिनट का समय लगा और यादगार यात्रा के दौरान वाजपेयी की बगल वाली सीट सबसे ज्यादा पसंद की गई। पुस्तक में कहा गया है, ‘‘बस में दो खास सीटें थीं। वाजपेयी बस में बाईं ओर पहली सीट पर थे। चालीस मिनट की छोटी यात्रा के दौरान हमने प्रतिनिधिमंडल के प्रत्येक सदस्य को वाजपेयी के साथ बैठने और थोड़ी देर बातें करने का मौका दिया।’’ वाजपेयी की 96वीं जयंती पर पुस्तक का लोकार्पण दिवंगत नेता की 96वीं जयंती के मौके पर शुक्रवार को आई इस पुस्तक में सिन्हा ने लिखा है, ‘‘जब वाजपेयी के साथ किसी ओर के बैठने की बारी आई तो कपिल देव सबसे शालीन नजर आए। उन्होंने तुरंत अपनी सीट छोड़ दी जबकि दूसरों को मुझे वहां से हटाना पड़ता था। उनके नाम बताना आवश्यक नहीं है क्योंकि वे अब हमारे बीच नहीं है।’’ लाहौर बस यात्रा में अटल के साथ कौन-कौन यात्रा में वाजपेयी के साथ अन्य लोगों में पत्रकार कुलदीप नैयर, कवि जावेद अख्तर, अभिनेता देव आनंद, गायक महेंद्र कपूर और अभिनेता-नेता शत्रुघ्न सिन्हा थे। सिन्हा ने कहा, ‘‘जब बस सीमा के दूसरी ओर पहुंची, तो दोनों प्रधानमंत्री, वाजपेयी और नवाज शरीफ ने एक-दूसरे को गले लगाया। देव आनंद, जो उनके बगल में खड़े थे, ने उस समय के बारे में याद करना शुरू कर दिया जब वह लाहौर से मुंबई रवाना हुए थे।’’ घर पर ही हियरिंग मशीन भूल गए थे वाजपेयी अमृतसर जाने के लिए जब दिल्ली में हवाई अड्डे जा रहे थे तो वाजपेयी को पता चला कि वह अपनी सुनने वाली मशीन (हियरिंग एड) घर पर ही भूल गए हैं। सिन्हा ने लिखा, ‘‘हवाई अड्डे जाते समय वाजपेयी ने मेरी ओर देखा और मुझसे कहा कि वह कान की मशीन घर पर ही भूल गए हैं। वह अपनी जेबों में मशीन खोज रहे थे और वे खाली थीं। संयोग से हमारे पास मोबाइल फोन था और मैंने तुरंत फोन किया और जल्दी से मशीन भेजने के लिए कहा।’’ करीब तीन सौ पृष्ठों की इस पुस्तक में 10 अध्याय हैं और इसका प्रकाशन पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया ने किया है।

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