Wednesday, June 10, 2020

मजदूरी करने को मजबूर फुटबॉल का प्रतिभाशाली खिलाड़ी June 10, 2020 at 12:06AM

नई दिल्ली कदमों ने थिरक को देखना शुरू ही किया है। अभी तो उसने उसे सपनों की ऊंची उड़ान भरनी है। पर उससे पहले ही मजबूरी ने उसके पैरों में जंजीरें बांधनी शुरू कर दी हैं। महज नौ साल की उम्र में घर के सामने पड़े खाली मैदान में फुटबॉल शुरू करने वाला पंकज आज दयनीय स्थिति में है। सब जूनियर स्तर पर उन्होंने झारखंड की टीम के लिए खेला। पर इसे सरकारी अमले का रवैया कहिए या कुछ और... पंकज को दो वक्त की रोटी के लिए दिहाड़ी मजदूर बनना पड़ा है। झरिया के भौंरा में पंकज अपने परिवार के साथ रहते हैं। माली हालत तंग है इसलिए घरवालों को पेट भरने के लिए मजदूरी करनी पड़ती है। पंकज के पिता बुजुर्ग हैं। और ऐसे में पंकज की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। अपनी कहानी बताते हुए पंकज कहता है कि वह कोई भी काम कर लेता है। बदले में 150-200 रुपये दिहाड़ी मिल जाती है। इससे राशन का खर्च निकल आता है। लॉकडाउन ने बढ़ाईं मुश्किलेंमजदूरी करने वाले पंकज के लिए लॉकडाउन ने मुश्किलें बढ़ा दीं। लॉकडाउन में उस पर भी ताला पड़ गया। अब लॉकडाउन तो खुल गया है पर काम नहीं मिल रहा। सब कुछ पटरी पर लौटने में वक्त लगेगा। दो भाई और पिता को भी मजदूरी नहीं मिल पा रही है। घर में बचे हुए कुछ पैसों से काम चलता रहा। अब वह भी मुश्किल है। सब जूनियर फुटबॉल में दिखाया हुनर : पंकज ने बताया कि 2018 में उसका चयन राष्ट्रीय सब जूनियर फुटबॉल के लिए झारखंड टीम में हुआ था। झारखंड की टीम सेमीफाइनल तक पहुंची थी। वह टाटा फुटबॉल अकादमी डिगवाडीह में अभ्यास करता है। इसमें बोकारो में ट्रायल के बाद उनका चयन किया गया। अभी भी वह अकादमी में जाता है। जिला प्रतियोगिताओं में भी भाग लिया। पंकज ने कहा कि अगर सरकार की ओर से खेलने की सुविधा मिले तो वह राष्ट्रीय फुटबॉल टीम में अपनी जगह बनाने का प्रयास करेगा। धनबाद जिला फुटबॉल असोसिएशन के महासचिव मो फैयाज का कहना है कि ऐसे खिलाड़ियों को सपोर्ट मिलना चाहिए। धनबाद जिला से खेलते हुए पंकज ने हमेशा बेहतर प्रदर्शन किया है। मो फैयाज ने सरकार से मांग की है कि कम से कम राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को सरकार नौकरी देने के लिए नियोजन नीति बनाए।

No comments:

Post a Comment