Tuesday, August 18, 2020

सचिन ने कहा- धोनी में मुझे भारतीय टीम के लिए लंबी पारी खेलने का स्पार्क दिखता था, उसने वैसा किया भी August 18, 2020 at 03:48PM

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने 15 अगस्त को इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की थी। धोनी 2007 में टीम के कप्तान बने थे। सचिन तेंदुलकर की सिफारिश पर ही बीसीसीआई ने उन्हें कप्तान नियुक्त किया था। सचिन की तरह ही धोनी मैदान पर हमेशा शांत रहते थे। सचिन ने धोनी के संन्यास के फैसले पर कहा कि इसे जज नहीं करना चाहिए। यह खिलाड़ी पर छोड़ देना चाहिए। उनका यह भी कहना है कि भारत के इतिहास में धोनी का नाम रहेगा। सचिन से बातचीत के अंश....

आपने कई कप्तानों के अंडर खेला है। धोनी दूसरे कप्तानों से कैसे अलग थे?
हर कप्तान अलग होता है। मेरी पहले सीरीज में के. श्रीकांत कप्तान थे। फिर अजहर, घरेलू मैचों में शास्त्री, फिर सौरव, राहुल, अनिल और फिर धोनी थे। धोनी की स्टाइल के बारे में मैं कहूंगा कि वह शांत थे। टीम को अच्छे से हैंडल कर रहे थे। यह उनकी स्टाइल थी। हर कप्तान यही कोशिश करता है कि हम मैच कैसे जीतें? कैसे फील्डिंग लगाएं? किस गेंदबाज को लाएं? सभी के सोचने का तरीका अलग होता है। मगर सभी एक ही जगह पर पहुंचना चाहते हैं। जो है जीत।

आप मैदान पर शांत रहते थे। धोनी भी कूल कहे जाते हैं। खेलते समय आपके माइंड को रीड करना कठिन था। धोनी भी कुछ ऐसे ही हैं। आप दोनों में और क्या समानताएं हैं?
हां, बिल्कुल। मैं कहूंगा कि माइंड को शांत रखना सबसे बड़ी चीज है। कई खिलाड़ी माइंड को शांत रख सकते हैं। लेकिन अंत में खिलाड़ी को ये पता होना चाहिए कि कौन-सी चीज उनका बेस्ट प्रदर्शन बाहर लाती है। कई खिलाड़ी आक्रामक रहकर जबकि कई शांत रहकर अच्छा करते हैं। मेरे और धोनी में यह समानता थी कि हम मैदान पर शांत रहते थे। हर खिलाड़ी अलग तरह से बर्ताव दिखाता है। मैंने सोचा कि जो मुझपर फिट बैठता है, वो होना चाहिए। हम दोनों का वैसा ही था। एक खुद का स्टाइल होना चाहिए। ऐसा नहीं है कि सभी खिलाड़ियों को एक तरह से खेलना चाहिए। सभी को खुद की स्टाइल पर भरोसा रखकर खेलना चाहिए।

धोनी ने अचानक संन्यास की घोषणा कर दी। इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
संन्यास कैसा होना है और होना चाहिए या नहीं होना चाहिए, यह एक खिलाड़ी खुद जानता है। वो सबसे बेहतर जानता है कि उनके दिमाग में क्या चल रहा है? उनका मोटिवेशन लेवल कहां है? फिटनेस लेवल क्या है? वह खुद को प्रोत्साहित कर पा रहा है या नहीं। उनका मन खेलना चाह रहा है या नहीं। ये सारी चीजें उस खिलाड़ी पर ही छोड़नी चाहिए। हमें यह सोचना चाहिए कि धोनी ने हमें कितने अच्छे मौके दिए हैं। यह समय उनके करियर का जश्न मनाने का है, न कि जज करने का। उन्होंने जिस तरह से भारत के लिए क्रिकेट खेला है, वो कमाल का था। इतने सारे युवा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया। यह उनका बड़ा योगदान है। यही बात मैं हर पीढ़ी के खिलाड़ियों को कहूंगा। धोनी भी प्रेरित हुए होंगे। उन्होंने काफी बच्चों को किया। भारत के इतिहास में हमेशा उनका नाम रहेगा।

आपने पहली बार धोनी को कहां और कब देखा था? तब क्या आपको लगा था कि वे टीम इंडिया में जगह बना सकते हैं?
मैंने सबसे पहले धोनी को बांग्लादेश में खेलते हुए देखा था। उस मैच में उसने ज्यादा नहीं 12-14 रन ही बनाए थे। उस समय धोनी के बारे में काफी बातें चल रही थीं कि एक खिलाड़ी है जो मार सकता है। उस मैच में उसने एक ही शॉट मारा था। मेरे बगल में सौरव गांगुली बैठा था। मैंने उससे कहा कि ये खिलाड़ी मुझे अलग दिखता है। उनके बैट स्विंग में एक अलग-सा झटका है, जिससे उसको डिस्टेंस मिलता है। और वो आसानी से छक्के मार सकता है। वो बात मुझे अभी भी याद है। यह मेरा धोनी को लेकर पहला इंप्रेशन था। मैंने कहा था कि इस खिलाड़ी में मुझे वो स्पार्क दिखता है कि एक लंबी पारी खेले इंडिया के लिए और ऐसा हुआ भी।

कहा जाता है कि आपके सुझाव के बाद ही धोनी को भारतीय टीम की कप्तानी मिली थी जबकि उनके पास कप्तानी का कोई अनुभव नहीं था। फिर किस वजह से आपने धोनी का नाम लिया?
मैं कई बार उसके पास पहली स्लिप में फील्डिंग करता था। हम मैच की परिस्थिति के बारे में बात करते थे। उस दौरान मैंने कई बार उससे सवाल किए थे। उन सवालों का जिस तरह उसने जवाब दिया था। मैदान पर लंबी बात नहीं हो सकती। ज्यादा से ज्यादा दो मिनट की बात होती थी। जैसे गेंदबाज रन-अप पर वापस जा रहा है। तो उससे पूछ लिया। ओवर के बीच में बात कर ली। उस समय मुझे फीलिंग आ रही थी कि उनका दिमाग मैदान पर अच्छा चलता है। सोच में एक बैलेंस और शांति है। जिससे मैं हमेशा प्रभावित रहता था। इसलिए मैंने उनके नाम की सिफारिश की थी।



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सचिन तेंदुलकर ने कहा- शुरुआत में महेंद्र सिंह धोनी से चंद पलों की बात से अहसास हो गया था कि उनका दिमाग मैदान पर अच्छा चलता है। -फाइल फोटो

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