Sunday, August 9, 2020

वीवो हटी, गांगुली बोले- कोई वित्तीय संकट नहीं August 08, 2020 at 08:47PM

नई दिल्लीभारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष ने कहा है कि आईपीएल के टाइटल स्पॉन्सर के रूप में चीनी मोबाइल कंपनी वीवो का हटना किसी तरह का 'वित्तीय संकट' नहीं है। आईपीएल के रेवेन्यू का बड़ा हिस्सा टाइटल स्पॉन्सर से आता है, जिसका हिस्सा आठ फ्रैंचाइजी की ओर से साझा किया जाता है। साल 2015 में वीवो ने पेप्सिको के बाद टाइटल स्पॉन्सरशिप हासिल की थी , जिसने अनुबंध समाप्त होने से दो साल पहले ही आईपीएल प्रायोजक के तौर पर हाथ खींच लिए थे। फिर 2017 में वीवो ने औपचारिक रूप से 2022 सीजन तक आईपीएल टाइटल स्पॉन्सरशिप हासिल की और करीब 241 मिलियन अमरिकी डॉलर (करीब 2199 करोड़ रुपये) का भुगतान किया। जानें, बीसीसीआई ने हालांकि अभी तक आधिकारिक तौर पर घोषणा नहीं की है कि 19 सितंबर से शुरू होने वाली इस प्रतिष्ठित टी20 लीग का स्पॉन्सर कौन होगा, लेकिन गांगुली ने कहा कि बोर्ड हर स्थिति को संभालने के लिए तैयार है। 'यह तो छोटी सी बात' गांगुली ने शनिवार को लर्नफ्लिक्स ऐप की ओर से आयोजित एक वेबिनार में कहा, 'मैं इसे वित्तीय संकट नहीं कहूंगा। यह एक छोटी सी बात है, जो अचानक हुई। केवल एक ही तरीका है कि आप इसका सामना कर सकते हैं कि पेशेवर रूप से मजबूत बने रहें। बड़ी चीजें रात भर में नहीं आती हैं और ना ही केवल रात भर चलती हैं। लंबे समय तक की गई आपकी तैयारी ही नुकसान से बचाती है, जिससे आप सफलताओं के लिए तैयार हो जाते हैं।' BCCI के लिए होगी बड़ी उपलब्धिवीवो की ओर से बोर्ड को एक साल के लिए करीब 440 करोड़ रुपये दिए जाते थे अगर बोर्ड विकल्प के तौर पर आई कंपनी से 180 करोड़ रुपये के करीब की रकम जुटा लेता है तो यह बोर्ड के लिए बड़ी उपलब्धि होगी। बोर्ड हर स्थिति से संभलने में सक्षमबीसीसीआई अध्यक्ष ने कहा, 'आप अपने अन्य विकल्पों को खुला रखते हैं। यह प्लान ए और प्लान बी की तरह है। बड़े ब्रांड ऐसा ही करते हैं। समझदार कॉर्पोरेट भी इसे करते हैं। बीसीसीआई की बहुत मजबूत नींव है - खेल, खिलाड़ी, प्रशासक। अतीत ने इसे इतना मजबूत बना दिया है कि BCCI इन सभी तरह की स्थिति से खुद को को संभालने में सक्षम है।' देखें, 2199 करोड़ में हासिल किए थे अधिकारवीवो इंडिया ने 2017 में आईपीएल टाइटल प्रायोजन अधिकार 2199 करोड़ रुपये में हासिल किए थे। इससे लीग को हर सीजन में उसे करीब 440 करोड़ रुपये का भुगतान करना था। इस चीनी मोबाइल कंपनी ने सॉफ्ट ड्रिंक वाली दिग्गज कंपनी पेप्सिको को हटाया था, जिसकी 2016 में 396 करोड़ रुपये की डील थी।

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