Wednesday, July 8, 2020

वकार ने बताया, WC में भारत को क्यों नहीं हरा पाता पाकिस्तान July 08, 2020 at 05:08PM

नई दिल्ली वकार यूनिस पाकिस्तानी क्रिकेट टीम का अहम हिस्सा रहे। 1990 और 2000 के दशक के शुरुआती वर्षों में यूनिस ने पाकिस्तानी टीम की कामयाबी में अहम हिस्सा निभाया। हालांकि वकार को एक बात का दुख जरूर है कि चोट की वजह से वह 1992 के विश्व कप का हिस्सा नहीं बन पाए। पाकिस्तानी टीम ने उस साल विश्व कप जीता था। यूनिस हालांकि 1996 और 2003 तक पाकिस्तानी टीम का अहम हिस्सा रहे। 2003 के विश्व कप में तो वह टीम के कप्तान भी थे। दोनों ही बार पाकिस्तानी टीम का मुकाबला भारत से हुआ लेकिन वह जीत हासिल नहीं कर पाई। वैसे अगर आंकड़ों की बात करें तो पाकिस्तानी टीम कभी भी भारतीय टीम को विश्व कप में हरा नहीं पाई है। 1992 में पहली बार दोनों टीमें विश्व कप में भिड़ी थीं लेकिन तब से लेकर 1996, 1999, 2003, 2011, 2015 और यहां तक कि 2019 में भी पाकिस्तानी टीम भारत को नहीं हरा पाई। यूनिस ने @GloFansOfficial पर फैंस से बात करते हुए इस सवाल का जवाब दिया कि आखिर क्यों विश्व कप में पाकिस्तानी टीम भारत के सामने बिखर जाती है। यूनिस ने कहा कि वर्ल्ड कप में पाकिस्तान की टीम भारत के खिलाफ जीत नहीं पाई है। उन्होंने कहा अन्य टूर्नमेंट में तो हमारा प्रदर्शन अच्छा रहा है लेकिन जैसे ही बात वर्ल्ड कप की आती है भारत का पलड़ा भारी नजर आता है। उन्होंने कहा कि भारतीय टीम इसकी हकदार भी है क्योंकि उन्होंने बेहतर क्रिकेट खेला है। यूनिस ने हालांकि माना कि कई मुकाबलों में पाकिस्तानी क्रिकेट टीम का पलड़ा भारी थी लेकिन दबाव पड़ते ही टीम बिखर गई। और इसी वजह से उसे हार का सामना करना पड़ा। यूनिस ने कहा, 'मुझे मुझे बैंगलोर (1996) और सेंचुरियन (2003) के मैच याद हैं। मेरे हिसाब से भारतीय टीम उस समय बेहतरीन थी। उस दिन उन्होंने जबरदस्त प्रदर्शन किया। उन्होंने हमसे बेहतर और स्मार्ट क्रिकेट खेला। हमारा तरीका स्मार्ट नहीं था।' उन्होंने आगे कहा, 'अगर आप 2011 और 1996 वर्ल्ड कप के मैच उठाकर देखें तो हमारी स्थिति मजबूत थी। मैच हमारे हाथ में था लेकिन हमने उसे आसानी से जाने दिया। हम लोग यह समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर ऐसा बार-बार क्यो होता है।' पूर्व कप्तान ने माना कि यह शायद यह वर्ल्ड कप प्रेशर है। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा कई बार हो चुका है। भारत के खिलाफ वर्ल्ड कप का मैच एक मनोवैज्ञानिक दबाव है जिसकी वजह से पाकिस्तानी टीम वर्ल्ड कप में जीत नहीं पाती है।

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