Wednesday, May 13, 2020

तादेंदा तायबू: क्रिकेटर से बना पादरी, जान से मारने की मिली थी धमकियां May 13, 2020 at 07:25PM

नई दिल्ली वह युवा था। उसके पास विकल्प था कि वह प्रशासन की बात मान लेता और आरामदेह जिंदगी गुजारता। एक ऐसी जिंदगी जिसमें पैसा, ताकत, रुतबा और ऐशो-आराम की तमाम जरूरतें पूरी हो जातीं। पर उसने अलग राह चुनी। ताकत और भ्रष्टाचार के सामने झुकने के बजाय उसने टकराने का फैसला किया। नतीजा, एक उभरता हुआ करियर, एक राष्ट्रीय क्रिकेट टीम की कप्तानी। एक नाम और दुनियाभर में पहचान- सब रुक गई। आज उसी क्रिकेटर का 37वां जन्मदिन है। जिम्बाब्वे के पहले ब्लैक कप्तान का जन्म 14 मई 1983 को हुआ। जी, इस सदी के शुरुआती साल में जिम्बाब्वे में एक युवा विकेटकीपर ने दस्तक दी। बेहद फुर्तीला। 2001 में उन्होंने अपना डेब्यू किया। और एंडी फ्लावर के साथ खेलना शुरू किया। बल्लेबाजी भी अच्छी थी और क्रिकेट की समझ भी। जल्द ही उन्हें फ्लावर का सहायक बना दिया गया। पर जिम्बाब्वे में बदलते राजनीतिक घटनाक्रम का असर वहां की उभरती और मजबूत होती क्रिकेट टीम पर भी पड़ा। 16 साल की उम्र में उन्हें राष्ट्रीय टीम में चुना गया। 17 साल के थे जब उन्होंने पहला टेस्ट मैच खेला। 18 की उम्र में उन्हें टीम का उपकप्तान बनाया गया। इस बीच कई बड़े नाम देश और क्रिकेट छोड़कर चले गए। 20 साल की उम्र में तायबू को टीम की कप्तानी सौंपी गई। तायबू में प्रतिभा थी और जज्बा भी। वह दुनिया के चोटी के खिलाड़ियों में शामिल हो सकते थे लेकिन इससे पहले ही उनके करियर पर ब्रेक लग गया। उन्होंने खुद माना था कि वह टेस्ट रैंकिंग में नंबर वन बन सकते थे। कप्तान बनने के बाद वह लगातार खिलाड़ियों के लिए बेहतर सुविधाएं देने की मांग करते रहे। ऐसा नहीं था कि पैसा नहीं था। आईसीसी से काफी पैसा आता लेकिन क्रिकेट में ऊंचे पदों पर बैठे लोगों की जेबों की गहराई से बाहर नहीं निकल पाता। तायबू ने इसके खिलाफ आवाज उठाई। उन्हें खरीदने की कोशिश की गई। जमीन-जायदाद सबका ऑफर दिया गया। जब बात नहीं बनी तो डराया-धमकाया गया। साल 2005 में तायबू सिर्फ 22 साल के थे। उनकी बीवी को किडनैप करने की कोशिश की गई थी। उनका बेटा सिर्फ चंद महीनों का था। आखिर उन्होंने जिम्बाब्वे छोड़कर जाने का फैसला किया। आध्यात्मिक सफर पर निकले तायबू पहले बांग्लादेश गए और फिर इंग्लैंड। वह इंग्लैंड के लिए खेलने की तैयारी कर रहे थे लेकिन ऐसा नहीं हो सका। फिर वह साउथ अफ्रीका पहुंचे। और 2007 में फिर जिम्बाब्वे के लिए खेले। 2012 तक वह जिम्बाब्वे के लिए खेलते रहे और आखिर 2012 में 29 साल की उम्र में क्रिकेट से संन्यास ले लिया। चार साल बाद तायबू क्रिकेट प्रशासन से भी जुड़े। तायबू ने 28 टेस्ट मैचों में 1546 और 150 ODI में उन्होंने 3393 रन बनाए। तायबू ने 17 टी20 इंटरनैशनल मैच भी खेले।

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