Friday, February 21, 2020

प्रज्ञान ओझा ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा February 20, 2020 at 08:30PM

नई दिल्लीभारत के बाएं हाथ के स्पिनर ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय और प्रथम श्रेणी क्रिकेट से तुरंत प्रभाव से संन्यास ले लिया। ओझा ने 2013 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ मुंबई में सचिन तेंडुलकर के विदाई टेस्ट में आखिरी बार भारत के लिए खेला था। उन्होंने 2009 से 2013 के बीच 24 टेस्ट में 113 विकेट लिए हैं। उन्होंने ट्वीट किया, ‘मैं अंतरराष्ट्रीय और प्रथम श्रेणी क्रिकेट से तुरंत प्रभाव से संन्यास ले रहा हूं।’ ओझा ने अपने फैसले का कारण नहीं बताया। उन्होंने कहा, ‘भारत के लिए इस स्तर पर खेलना हमेशा से मेरा सपना था। मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता कि कितना खुशकिस्मत हूं कि मेरा सपना पूरा हुआ। मुझे देशवासियों का इतना प्यार और सम्मान मिला।’ उन्होंने तेंडुलकर से टेस्ट कैप लेने को अपने कैरियर का सबसे यादगार पल बताया। उन्होंने कहा, ‘यह सौ टेस्ट विकेट लेने के बराबर था। मुझे उम्मीद है कि भारतीय क्रिकेट को ऊंचाइयों तक लेने जाने में हरसंभव योगदान देता रहूंगा।’ अपने करियर के शुरूआती चरण में ओझा ने टेस्ट में आर अश्विन के साथ कामयाब स्पिन जोड़ी बनाई। उन्होंने वेस्ट इंडीज के खिलाफ 2011 की घरेलू सीरीज में 20 और न्यूजीलैंड के खिलाफ 13 विकेट लिए। ओझा ने कहा, ‘मेरे करियर में मैने कई उतार चढाव देखे। मुझे अहसास हुआ कि एक खिलाड़ी की महानता उसके मेहनत और समर्पण का ही नहीं बल्कि टीम प्रबंधन, साथी खिलाड़ियों, कोचों, ट्रेनर और प्रशंसकों द्वारा जताये गए भरोसे और उनके मार्गदर्शन का भी फल है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं बीसीसीआई का ऋणी हूं जिसने मुझ पर भरोसा किया और मुझे यह असाधारण मौका दिया।’ ओझा ने कहा, ‘इंडियन प्रीमियर लीग में मेरा सफर यादगार रहा और परपल कैप जीतना मेरे लिए कभी न भूलने वाली स्मृति रहेगी। डेक्कन चार्जर्स और मुंबई इंडियंस टीमों का खास तौर पर शुक्रिया।’ उन्होंने कहा, ‘मैं वीवीएस लक्ष्मण का भी शुक्रगुजार हूं जिन्होंने बड़े भाई की तरह मुझे मार्गदर्शन दिया। वेंकटपति राजू मेरे रोलमॉडल रहे, हरभजन सिंह लगातार सलाह देते रहे और एम एस धोनी ने मुझे भारत के लिए खेलने का मौका दिया।’ ओझा ने रोहित शर्मा और मनोज तिवारी के साथ हैदराबाद के अमोल शिंदे को भी धन्यवाद दिया। तेरह बरस के करियर में ओझा हैदराबाद के लिए खेले और रणजी ट्राफी में बिहार के कप्तान रहे। उन्होंने कहा, ‘मैं 14 साल तक हैदराबाद क्रिकेट संघ का हिस्सा रहा और यह अनुभव अविस्मरणीय है। मैं बंगाल क्रिकेट संघ और सौरव गांगुली का भी शुक्रगुजार हूं जिन्होंने खराब दौर में मेरा साथ दिया । मैं बिहार क्रिकेट संघ को भी धन्यवाद देता हूं जिसने मुझे कप्तानी का मौका दिया।’

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