Sunday, February 9, 2020

कभी छोड़ी थी बोर्ड परीक्षा, अब स्टार है खिलाड़ी February 09, 2020 at 05:24PM

जयपुर भारत की अंडर 19 टीम रविवार को बांग्लादेश के खिलाफ वर्ल्ड कप खिताब बचाने उतरी थी। 2018 में पृथ्वी साव की कप्तानी में जीता यह खिताब टीम इंडिया बचा तो नहीं पाई लेकिन इस टीम के कई उभरते हुए खिलाड़ियों ने अपने खेल से सभी को प्रभावित खूब किया। लेग स्पिनर भी इनमें से एक नाम हैं। इस खिताबी मुकाबले में छोटे से टोटल को बचाने उतरी टीम इंडिया फीकी नजर आ रही थी लेकिन जब कप्तान प्रियम गर्ग ने इस लेग स्पिनर को बॉल थमाई तो उन्होंने एक के बाद एक विपक्षी टीम के टॉप 4 बल्लेबाजों के विकेट झटककर टीम इंडिया की वापसी की राह खोल दी। विश्नोई ने 10 ओवर के अपने कोटे में 3 मेडन समेत 30 रन देकर 4 विकेट अपने नाम किए। इस वर्ल्ड कप टूर्नमेंट में स्टार बने इस खिलाड़ी की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। दो साल पहले क्रिकेट के लिए छोड़ दिए थे बोर्ड एग्जामसाल 2018 में रवि विश्नोई को 12वीं के बोर्ड एग्जाम देने थे। इस बीच आईपीएल सत्र की शुरुआत हो चुकी थी और रवि को राजस्थान रॉयल्स के लिए नेट बोलिंग करने का मौका मिला था। रवि के पिता ने उन्हें फोन कर रॉयल्स का कैंप छोड़ अपने 12वीं के एग्जाम पर ध्यान लगाने के लिए कहा था। रवि भी अपने पिता की बात को मानने को तैयार थे। नहीं मानी पिता की सलाह रवि ने अपने दो कोचों से जब इस बात पर सलाह मांगी तो उन्होंने रवि को बताया कि वर्ल्ड क्लास बल्लेबाजों के सामने नेट में बोलिंग करना कोई छोटी बात नहीं है। यहां से पहचान मिली तो फिर क्रिकेटर बनने का सपना सच हो सकता है। यही वह साल था जब रवि की लेग स्पिन क्रिकेट जगत में उनकी एक अलग पहचान बना रही थी। बाद में रवि ने अपने पिता की बात न मानकर क्रिकेट प्रैक्टिस जारी रखी और अपने बोर्ड एग्जाम छोड़ दिए। में बने स्टार खिलाड़ी उनकी मेहनत रंग लाई और उन्हें भारत की ओर से अंडर 19 वर्ल्ड कप खेलने का मौका मिल गया। इस टूर्नमेंट में रवि ने कुल 17 विकेट अपने नाम किए, जिनमें जापान और न्यू जीलैंड के खिलाफ उन्हें मैन ऑफ द मैच भी चुना गया। उनकी गुगली क्रिकेट विशेषज्ञों का खासा प्रभावित कर रही है। रवि की गिनती इस टूर्नमेंट के स्टार परफॉर्मर्स में हो रही है। कोच की सलाह से छोड़े बोर्ड एग्जाम जोधपुर में स्पार्टन क्रिकेट अकैडमी चलाने वाले रवि के कोच प्रद्योत सिंह बताते हैं, 'यह मार्च 2018 का समय था। उन्हें राजस्थान रॉयल्स के बल्लेबाजों को नेट में बोलिंग करने के लिए अपनी बारी का इंतजार था। तब रवि को भरोसा भी नहीं था कि उन्हें वहां बोलिंग का मौका मिलेगा भी या नहीं। जब उनके पापा का कॉल आया तो वह भी नेट छोड़ घर वापस जाना चाहते थे। लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। वह रॉयल्स के कैंप में ही रुके और उन्होंने अपने एग्जाम छोड़ दिए।' अंडर 19 टीम में दो बार हुए रिजेक्ट इसके बाद 19 वर्षीय इस खिलाड़ी को तब न तो अंडर 16 की टीम में जगह मिली और न ही अंडर 19 में, इससे यह युवा स्पिनर दुखी था। लेकिन इस खेल के प्रति उनके प्यार ने और उनके साथ जो सपॉर्टिंग सिस्टम है उसने रवि का मनोबल गिरने नहीं दिया। अंडर 19 के लिए हुए ट्रायल में दो बार उनका रिजेक्शन हुआ। लेकिन जब वह बतौर नेट बोलर राजस्थान रॉयल्स में बोलिंग करने लगे तो कई लोगों की नजर उन पर पड़ी। यहां से रवि को अपनी बोलिंग में और पैनापन लाने के जरूरी टिप्स मिलते चले गए और अंडर 19 वर्ल्ड कप में उन्होंने अपनी एक खास पहचान बना ली।

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