Friday, January 17, 2020

'कंजूस' बापू नडकरणी एक असली जैंटलमैन थे, दिग्गजों ने किया याद January 17, 2020 at 07:32PM

गौरव गुप्ता, मुंबई भारतीय क्रिकेट के दिग्ग्ज खिलाड़ी रहे रमेशचंद्र गंगाराम 'बापू' नाडकरणी के देहांत के बाद क्रिकेट जगत से जुड़े लोग दुख जता रहे हैं। बापू को उनकी किफायती गेंदबाजी के लिए खास तौर पर याद किया जाता है। शुक्रवार को लंबी बीमारी के बाद अस्पताल में उनका निधन हो गया। वह 87 साल के थे। बापू ने अपनी जिंदगी का ज्यादातर वक्त वर्ली की मशहूर स्पोर्ट्सफील्ड बिल्डिंग में बिताया। वह बीते पांच साल से पवई में अपनी बेटी और दामाद के साथ रह रहे थे। बाएं हाथ के स्पिनर नाडकरणी ने 29.07 के औसत से 41 टेस्ट मैचों में 88 विकेट लिए। इसके साथ ही उन्होंने 25.70 के औसत से 1414 रन भी बनाए। अपने करियर में उन्होंने एक शतक और सात अर्धशतक लगाए। नाडकरणी को इंग्लैड के खिलाफ 12 जनवरी को शुरू हुए 1964 में लगातार 21 ओवर (21.5 ओवर या 131 गेंद) मेडन फेंकने के लिए याद किया जाता है। मद्रास (अब चेन्नै) के नेहरू (कॉर्पोरेशन) स्टेडियम में उन्होंने यह कमाल किया था। 32-27-5-0 यह उनका गेंदबाजी आंकड़ा था। उनके चार स्पैल को ध्यान से देखें तो- पहला स्पेल 3-3-0-0 (दूसरा दिन), दूसरा स्पेल- 7-5-2-0 (तीसरा दिन), तीसरा स्पेल- 19-18-1-0 (तीसरा दिन) और चौथे स्पेल 3-1-2-0 (चौथा दिन)। पाकिस्तान के खिलाफ 1960-61 में उन्होंने कानपुर में 32-24-23-0 का प्रदर्शन किया इसके बाद दिल्ली में 34-24-24-1 का आंकड़ा उनके किफायती होने पर मुहर लगाता है। 41 टेस्ट मैचों में उनका इकॉनमी रेट सिर्फ 1.67 प्रति ओवर रहा। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1959 में बॉम्बे (अब मुंबई) के ब्रेब्रॉन स्टेडियम में उन्होंने 51 ओवर में 105 रन देकर छह विकेट लिए। कहा जाता है कि अगर उनकी गेंद पर रन बन जाए तो उन्हें बहुत बुरा लगता था। वह लगातार एक ही स्थान पर गेंदबाजी करके बल्लेबाज के संयम को परखा करते थे। वह एक शानदार फील्डर भी थे। उस जमाने के लोग अब भी में लेग स्लिप पर उनके फजल महमूद के कैच को याद करते हैं जो उन्होंने 1961 में दिल्ली टेस्ट में पकड़ा था। महान बल्लेबाज ने कहा, 'मैं इस खबर को सुनकर काफी दुखी हूं। वह बहुत अच्छे इनसान थे। मैंने उनसे कभी हार न मानने के बारे में बहुत कुछ सीखा। उनकी फेवरिट लाइन थी, 'छोड़ो मत'। भारतीय क्रिकेट ने एक असली हीरा खो दिया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।' भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री ने कहा, 'बहुत दुख की बात है। वह न्यू जीलैंड पर मेरे पहले मैनेजर (1981) थे। वह बहुत भद्र इनसान थे। उनके परिवार के प्रति मेरी पूरी संवेदनाएं हैं। टीम इंडिया के पूर्व कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने कहा, 'जब मुझे 1987 में भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया तब वह मुख्य चयनकर्ता थे।' सचिन तेंडुलकर ने ट्वीट कर कहा, 'श्री बापू नाडकरणी के देहांत के बारे में सुनकर काफी दुख हुआ।' उन्होंने लिखा कि मैं उनके रेकॉर्ड 21 ओवर लगातार मेडन फेंकने के बारे में सुनकर बड़ा हुआ। उनके परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। नाडकरणी 1981 में ऑस्ट्रेलिया का दौरा करने वाली भारतीय टीम के कोच थे। इस दौरे पर तब बड़ा विवाद हो गया था जब सुनील गावसकर ने मेलबर्न टेस्ट से वॉकआउट करने की धमकी दी थी। 1987 विश्व कप के दौरान वह मुंबई क्रिकेट असोसिएशन (एमसीए) के संयुक्त सचिव भी रहे।

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