Wednesday, June 17, 2020

आज: 1983 WC में कपिल देव ने दिखाया करिश्मा June 17, 2020 at 04:31PM

18 जून, 1983 क्रिकेट इतिहास का एक यादगार दिन है। वर्ल्ड कप का अहम मुकाबला। इंग्लैंड का ट्रेंटब्रिज वेल्स मैदान। उस दिन 22 गज की पट्टी पर जो हुआ वह लाजवाब था। उस लम्हें को दोबारा नहीं जिया सकता। मैदान में जो भी मौजूद थे वे आज तक खुद को खुशकिस्मत मानते होंगे। उन्होंने जो देखा वह दूसरा कोई नहीं देख पाएगा। रिकॉर्डिंग पर भी नहीं। अफसोस, उस दिन बीबीसी की हड़ताल थी। मैदान पर कोई कैमरा नहीं था, जो उन लम्हों को कैद कर सके। और वह पारी सिर्फ स्कोरबुक में दर्ज होकर रह गई।

कपिल की पारी की एक और खासियत है। यह वनडे इंटरनैशनल में भारत की ओर से लगाई गई पहली सेंचुरी थी। सुनील गावसकर की नजर में वनडे क्रिकेट में किसी बल्लेबाज द्वारा बनाई गई बेस्ट सेंचुरी थी। गावसकर के शब्दों में, 'मैंने जितनी भी वनडे पारियां देखी हैं उनमें यह बेस्ट थी और मुझे लगता है मैंने अच्छी-खासी संख्या में पारियां देखी हैं।'

अपना पहला वर्ल्ड कप खेलने उतरी जिम्बाब्वे ने भारत को परेशानी में डाल दिया था। 9 रनों पर चार बल्लेबाज पविलियन लौट चुके थे। तब मैदान पर उतरे कप्तान कपिल देव निखंज। 17 के स्कोर पर भारत का पांचवां विकेट गिरा। जाहिराना तौर पर बल्लेबाजी आसान नहीं लग रही थी। लेकिन कपिल तो जैसे कुछ और ही सोचकर आए थे। उन्होंने अलग ही लेवल पर बल्लेबाजी की।

उनकी बैटिंग में एकाग्रता थी। खूबसूरती भी। आक्रामकता थी। और जादू भी। शुरुआत में कपिल ने टिककर बल्लेबाजी की। कोई शॉट हवा में नहीं खेला। जमीन के साथ-साथ ही गेंद को खेला। पर एक बार आंखें जमने के बाद उन्होंने जो बल्लेबाजी की वह कमाल थी।

कपिल की पारी के दम पर भारत ने 60 ओवरों में 266/8 का स्कोर खड़ा किया। जी तब 60 ओवर के ही मैच होते थे। जिम्बाब्वे की टीम 235 रन बना सकी। कपिल ने 175 रनों की जो पारी खेली वह भारतीय वनडे इतिहास में पहले कभी नहीं खेली गई थी।

इस पारी ने भारत को भरोसा दिया टूर्नमेंट में आगे बढ़ने का। कपिल को अपनी पारी के दौरान सैयद किरमानी का बहुत साथ मिला। किरमानी ने 24 रन बनाए। दोनों ने मिलकर नौवें विकेट के लिए रेकॉर्ड साझेदारी की। कपिल 49वें ओवर में अपनी सेंचुरी पर पहुंचे। अगले 11 ओवर में कपिल ने 75 रन और बनाए।

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