Monday, April 27, 2020

लॉकडाउन: मेंटल फिटनेस पर है मयंक अग्रवाल का फोकस April 27, 2020 at 06:09PM

मनुजा वीरप्पा, बेंगलुरु कोविड- 19 (Covid- 19) के चलते शुरू हुए लॉकडाउन (Lock Down) ने ऐसे लोगों के लिए खास चुनौतियां खड़ी कर दी हैं, जो अपने रोजाना के रूटीन के पक्के हैं। लगातार घर में रहने की इस स्थिति से बोरियत और चिड़चिड़ा होना भी लाजमी है। हालांकि भारतीय टेस्ट टीम के युवा ओपनर (Mayank Agarwal) ने इस निराशाभरे समय से पार पाने का तरीका निकाल लिया है। मयंक ने बीते 5 सप्ताह से एक भी नेट अभ्यास नहीं किया है लेकिन वह मानते हैं ऐसे इस समय में खीझने से अच्छा है कि समय की मांग को समझकर उससे तालमेल बैठाया जाए। हमारे सहयोगी अखबार 'टाइम्स ऑफ इंडिया' में मयंक अग्रवाल का इंटरव्यू प्रकाशित हुआ है। इस इंटरव्यू में अग्रवाल ने लॉकडाउन में अपनी दिनचर्या के बारे में विस्तार से बात की है। इस युवा ओपनिंग बल्लेबाज ने बताया, 'जब लॉकडाउन की शुरुआत हुई तो ऐसा लगा कि यह कुछ ऐसा काम है, जिसमें बिना कुछ किए योगदान देना है। फिर मुझे खेल के अलावा कुछ और करने की जरूरत महसूस हुई, जिससे घर पर मेरी कुछ अहमियत और बढ़ सके और साथ ही मैं खुद को और अपग्रेड कर सकूं।' अग्रवाल ने बताया कि यह पहली बार है, जब मैं क्रिकेट से इतने लंबे समय से दूर हूं। मैंने कई हफ्तों से नेट में अभ्यास नहीं किया है। हम में से ज्यादातर लोगों का शेड्यूल बिजी रहता है ऐसे में अचानक जब करने के लिए कुछ नहीं है तो थोड़ी मुश्किल होना लाजमी है। यह ब्रेक अच्छा है, लेकिन जब यह नहीं पता कि यह स्थिति कब बदलेगी कब हम वापस अपने रूटीन पर लौटेंगे, तो यह थोड़ा अजीब लगता है। उन्होंने कहा, 'हम परिस्थितियों को समझ रहे हैं और उनके अनरूप ही काम कर रहे हैं। इस समय हम सभी को सरकार के निर्देशों का कड़ाई से पालन करने की जरूरत है।' इस बातचीत में मयंक अग्रवाल से जब उनकी फिटनेस पर बात की गई तो उन्होंने बताया, 'मेरे लिए फिटनेस का अर्थ सिर्फ फिजिकल एक्सरसाइज तक ही सीमित नहीं है। इसके लिए मानसिक अनुशासन की भी जरूरत होती है। क्योंकि जब भी आप वर्कआउट या ट्रेनिंग कर रहे होते हो तो बार-बार मन करता है कि अब रुक जाओ। आप कभी भी ऐसा महसूस नहीं करते कि अपनी लिमिट को और बढ़ाया जाए। बतौर खिलाड़ी हम यह जानते हैं कि शरीर से पहले दिमाग हार मानता है। तो अपने माइंडसेट को फिट बनाकर इस दिमागी कसरत पर काम कर रहा हूं।' मयंक ने बताया कि वह इस सबके अलावा घर के कामकाज में हाथ बंटा रहे हैं। किताबे पढ़ रहे हैं। हाल ही उन्होंने डॉ. नोरमैन विंसेंट पियले की पुस्तक 'द पावर ऑफ पोजिटिव थिंकिंग पढ़ी है।' इसके अलावा मयंक विपश्यना (ध्यान की तकनीक) का भी नियमित अभ्यास करते हैं।

No comments:

Post a Comment