Monday, July 26, 2021

दिल्ली के ओलिंपियनः तोक्यो में 5वें नंबर पर आकर भी रंधावा बने थे नंबर वन July 26, 2021 at 05:08PM

नई दिल्ली जापान की राजधानी तोक्यो को ओलिंपिक की मेजबानी करने का दूसरी बार मौका मिला है। यह एशिया का पहला ऐसा शहर है, जिसके नाम यह रेकॉर्ड दर्ज हुई है। पिछली बार तोक्यो में ओलिंपिक का आयोजन 1964 में हुआ था। यह भारतीय खेलों का वह दौर था, जब दुनिया के खेलों के इस महाकुंभ में खिलाड़ी के भागीदारी को ही बड़ी उपलब्धि माना जाता था। 1960 के रोम ओलिंपिक में 400 मीटर रेस में चौथे नंबर रहने वाले मिल्खा सिंह को 'उड़न सिख' के खिताब से नवाजा गया था। इसके चार साल बाद 1964 के तोक्यो ओलिंपिक में पंजाब के ही एक सिख धावक ने ऐसी कुलांचें मारीं, जो भारतीय रिकॉर्ड बन गया। वह थे गुरबचन सिंह रंधावा, जो 110 मीटर हर्डल रेस में पांचवें नंबर पर रहे थे। रंधावा भले ही मेडल के पॉडियम पर नहीं चढ़ सके, लेकिन यह भारतीय एथलेटिक्स के लिए गौरवशाली क्षण था। उन्होंने रेकॉर्ड समय में यह दूरी तय की थी, जो कई दशक उनके नाम पर रहा। तोक्यो में शनिवार को मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग में सिल्वर मेडल जीता तो रंधावा काफी खुश दिखे। उन्होंने बताया कि 57 साल पहले वह इसी तोक्यो में मेडल के करीब पहुंचे थे। गुजरे पलों को याद करते हुए रंधावा ने बताया कि 110 मीटर बाधा दौड़ की हीट में रेकॉर्ड टाइम से साथ वह सेमीफाइनल में पहुंचे थे। अगले दिन सेमीफाइनल रेस में वह दूसरे नंबर रहे। इससे भारतीय दल उनसे मेडल जीतने की उम्मीद करने लगा। एक घंटे के बाद हुई फाइनल रेस में वह पांचवें नंबर पर रहे। पंजाब के अमृतसर जिले के छोटे से गांव नांगली में 1939 में जन्मे रंधावा 21 साल की उम्र में 'डिकेथलॉन' के नैशनल चैंपियन बन गए थे। इनमें 100 मीटर, 400 मीटर, 110 मीटर बाधा दौड़, लॉन्ग जंप, हाई जंप, शॉट पुट, डिस्कस थ्रो, जेवलिन थ्रो और पोल वॉल्ट शामिल थे। उन्होंने 1960 में दिल्ली नैशनल गेम्स में सीएम मुथैया के हाई जंप का नैशनल रेकॉर्ड तोड़ दिया था। वह 1960 रोम ओलिंपिक में गए थे। गुजरे समय का यह एथलीट अर्जुन अवॉर्ड पाने वाला पहला भारतीय है। रंधावा बताते हैं कि 1961 में पहली बार जब अर्जुन अवॉर्ड्स का ऐलान हुआ तो उन्हें खुशी पुरस्कार से ज्यादा देश के राष्ट्रपति से मिलने की थी। सबसे पहले अवॉर्ड के लिए उनका नाम पुकारा गया। चोपड़ा और कमलप्रीत से आस रंधावा करीब 16 साल से भारतीय एथलेक्टिस की सिलेक्शन कमिटी से जुड़े हैं और मौजूदा चेयरमैन हैं। ट्रैक एंड फील्ड में भारतीय एथलीटों के प्रदर्शन पर रंधावा कहते हैं कि ओलिंपिक मेडल भले ही नहीं आए हैं, लेकिन परफॉर्मेंस पहले से बेहतर हुई है। वह बताते हैं कि मिल्खा सिंह और उनके बाद श्रीराम सिंह 1976, पीटी ऊषा 1984, अंजू बॉबी जॉर्ज 2004, कृष्णा पूनिया, विकास गौड़ा 2012, ललिता बाबर 2016 ओलिंपिक के फाइनल में पहुंचे थे। तोक्यो ओलिंपिक में जेवलीन थ्रोअर नीरज चोपड़ा से उम्मीद है, जिनके नाम पर 88.07 मीटर का नैशनल रेकॉर्ड है। डिस्कस थ्रोअर कमलप्रीत कौर के नाम 66.59 मीटर का नैशनल रेकॉर्ड है, जो अपना बेस्ट करेगी तो मेडल तय है।

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