Thursday, April 1, 2021

हमारे दौर में यो-यो टेस्ट होता तो सचिन, गांगुली और लक्ष्मण शायद टीम में जगह नहीं बना पाते: वीरेंदर सहवाग March 31, 2021 at 09:19PM

नई दिल्ली भारतीय टीम में चयन के लिए बीते कुछ वर्षों में यो-यो टेस्ट एक पैमाना बन गया है। कई बड़े नाम इस टेस्ट में फेल हुए और टीम इंडिया में जगह बनाने से चूक गए। इस लिस्ट में सबसे ताजा नाम वरुण चक्रवर्ती और राहुल तेवतिया का है। ये दोनों खिलाड़ी इंग्लैंड के खिलाफ हाल ही में खत्म हुई टी20 इंटरनैशनल सीरीज से पहले यो-यो टेस्ट में फेल हो गए। हालांकि तेवतिया दूसरे प्रयास में इसे पास कर गए और टीम के साथ जुड़ गए लेकिन चक्रवर्ती ऐसा नहीं कर सकता। टीम इंडिया के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंदर सहवाग इस पूरी प्रक्रिया से इत्तेफाक नहीं रखते। उनका कहना है कि हुनर को यो-यो टेस्ट पर तरजीह दी जानी चाहिए। सहवाग की यह प्रतिक्रिया एक फैन के सवाल पर आई जिन्होंने पूछा था कि अगर हार्दिक पंड्या गेंदबाजी करने के लिए फिट नहीं हैं तो वह क्यों खेल रहे हैं। उनके स्थान पर टीम प्रबंधन T20I में वरुण चक्रवर्ती को मौका क्यों नहीं दे रहा है। यूजर ने पूछा था कि क्या फिटनेस टीम में चुने जाने का नम्बर वन पैमान नहीं है? सहवाग ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि अगर यो-यो टेस्ट उनके खेलने के दिनों में होता तो सचिन तेंडुलकर, सौरभ गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण शायद इसे पास नहीं कर पाते। उन्होने खुलासा किया कि महान क्रिकेटर्स उनके समय में इस्तेमाल होने वाले बीप टेस्ट में जरूरी समझे जाने वाला 12.5 अंक का मार्क भी मिस कर जाते थे। सहवाग ने क्रिकबज के साथ बातचीत में कहा, 'मैं एक चीज बताना चाहता हूं। यहां हम यो-यो टेस्ट के बारे में बात कर रहे हैं। हार्दिक पंड्या को भागने में कोई समस्या नहीं है, उन्होंने बोलिंग के वर्कलोड में समस्या है। हालांकि अश्विन और वरुण चक्रवर्ती दूसरी ओर यो-यो टेस्ट नहीं पार कर पाए, इस वजह से वह इस टीम में नहीं हैं। लेकिन मैं इस सब से पूरी तरह सहमत नहीं हूं। अगर यह पैमाना पहले होता तो सचिन तेंडुलकर, वीवीएस लक्ष्मण और सौरभ गांगुली शायद इसे पास नहीं कर पाते। वे सभी बीप टेस्ट में 12.5 के अंक से पीछे रह जाते थे।' सहवाग ने कहा, 'कौशल आवश्यक है। आज अगर आप फिट टीम के साथ खेलते हैं लेकिन उनके पास हुनर नहीं है, तो आप आखिरकार हार ही जाएंगे। उन्हें उनके स्किल्स के आधार पर मौका दीजिए, आप वक्त के साथ-साथ फिटनेस पर काम कर सकते हैं। लेकिन अगर सीधे तौर पर यो-यो टेस्ट को पैमाना बनाया जाएगा, तब बात ही अलग है। अगर एक खिलाड़ी फील्डिंग कर सकता है और 10 ओवर फेंक सकता है, तो यह काफी है। हमें अन्य चीजों के बारे में नहीं सोचना चाहिए।'

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