Thursday, March 18, 2021

सूर्यकुमार को OUT देने पर विवाद, क्या अंपायर बदल सकते थे सॉफ्ट सिग्नल का फैसला? March 18, 2021 at 04:44PM

अहमदाबाद भारतीय बल्लेबाज (Suryakumar Yadav) ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की पहली पारी में कमाल दिखाया। उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ गुरुवार को सीरीज के चौथे टी20 में शानदार अर्धशतकीय पारी खेली। हालांकि उनकी पहली ही इंटरनैशनल पारी के बाद आउट होना विवादों में छा गया। तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी को उतरे सूर्यकुमार ने 31 गेंदों पर 6 चौकों और 3 छक्कों से सजी 57 रन की कमाल की पारी खेली। उन्होंने कुछ दर्शनीय शॉट भी लगाए। उन्हें इससे पहले सीरीज के दूसरे टी20 मैच में भी प्लेइंग-XI में शामिल किया गया था लेकिन तब उन्हें बल्लेबाजी का मौका नहीं मिल पाया था और भारत ने 3 विकेट खोकर मैच जीत लिया। पढ़ें, चौथे टी20 में तो सूर्यकुमार फॉर्म में नजर आए। उन्होंने पारी के 14वें ओवर की पहली गेंद पर सैम करन को जो फाइन लेग पर छक्का जड़ा, उससे ही उनके आत्मविश्वास का पता चल रहा था। अगली गेंद पर डेविड मलान ने बाउंड्री लाइन के पास उनका कैच लपका जिसमें रीप्ले से लग रहा था कि गेंद ने जमीन को छुआ है। कई बार रीप्ले देखने के बाद थर्ड अंपायर ने मैदानी अंपायर का आउट का फैसला बरकरार रहने दिया। यह सब हुआ सॉफ्ट सिग्नल के चलते। आइए समझते हैं कि आखिर सॉफ्ट सिग्नल होता क्या है? जब किसी कैच के लिए फील्ड अंपायर थर्ड अंपायर का रुख करता है तो उसे सॉफ्ट सिग्नल के तौर पर अपना फैसला भी बताना होता है। यही हुआ सूर्यकुमार के मामले में। आखिरकार, मुंबई के इस बल्लेबाज को मन मारकर पविलियन लौटना पड़ा। वॉशिंगटन सुंदर के साथ भी मैच में कुछ ऐसा ही हुआ था। इंग्लिश पेसर जोफ्रा आर्चर की गेंद पर जब आदिल राशिद ने कैच लपका तो उनक दायां पैर बाउंड्री लाइन को छू गया। अंपायरिंग यहां भी फ्लॉप रही और सुंदर को 4 रन के निजी स्कोर पर लौटना पड़ा। सूर्यकुमार वाले फैसले पर पूर्व धुरंधर वीरेंदर सहवाग, वीवीएस लक्ष्मण और वसीम जाफर जैसे दिग्गजों ने कड़ी आलोचना की। लक्ष्मण ने तो यहां तक कह दिया कि आईसीसी को नियम बदलने की जरूरत है। जब फील्ड अंपायर क्लोज कैच की सलाह लेने के लिए थर्ड अंपायर का रुख करता है उसे सॉफ्ट सिग्नल भी बताना होता है। फील्ड अंपायर अपना फैसला बताता है और थर्ड अंपायर से यह सुनिश्चित करने को कहता है कि वह गलत नहीं है। आईसीसी के नियमों के मुताबिक, सॉफ्ट सिग्नल को पलटा भी जा सकता है लेकिन इसके पूरे सबूत हों कि सिग्नल गलत था। पढ़ें, आज के इस तकनीक पसंद दौर में किसी भी क्रिकेट मैच में मैदान पर छोटी से छोटी चीज को कैच किया जा सकता है। मैदान पर ढेरों हाई क्वॉलिटी कैमरे लगे होते हैं। घास के तिनके तक को कैच करने सक्षम हैं। इस पर टीम इंडिया के कैप्टन विराट कोहली ने भी कहा अंपायर के लिए 'आई डोंट नो' (मुझे नहीं पता) का विकल्प होना चाहिए ताकि थर्ड अंपायर को ही फैसला करने दिया जाए। मशहूर कमेंटेंटर हर्षा भोगले ने भी इस पर अपनी राय रखी। उन्होंने ट्वीट किया- अंपायर को सॉफ्ट सिग्नल देने का कारण डॉक्यूमेंटेड है। रीप्ले पर, यहां तक कि क्लीन कैच भी नहीं दिखते, क्योंकि यह 3डी इवेंट की 2 डी इमेज है। इसलिए, अंपायर यह देखते हैं कि उंगलियां गेंद के नीचे हैं या नहीं। यह एक ग्रे क्षेत्र है लेकिन तकनीक का अब कोई जवाब नहीं है। 3डी कैमरों की आवश्यकता है? सूर्यकुमार के मामले में फील्ड अंपायर का सॉफ्ट सिग्नल आउट था और ऐसे में उन्हें 'बेनिफिट ऑफ डाउट' का फायदा नहीं मिल सका। अगर थर्ड अंपायर को पूरी तरह से भरोसा होता कि गेंद जमीन को छू गई है तो वह नॉट आउट दे सकते थे।

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