Tuesday, March 16, 2021

क्रिकेट में आज: दुनिया को हैरान कर श्रीलंका ने रचा था इतिहास, बना था वर्ल्ड चैंपियन March 16, 2021 at 06:03PM

नई दिल्ली पाकिस्तान का शहर लाहौर...मार्च की 17 तारीख, साल 1996। शहर के गद्दाफी स्टेडियम में दो टीमों के बीच क्रिकेट का मुकाबला था। यह कोई आम मैच नहीं था। यह था क्रिकेट वर्ल्ड कप का फाइनल। इस फाइनल में एक टीम ऑस्ट्रेलिया थी जो 1987 का वर्ल्ड कप जीत चुकी थी। मजबूत और पूरा दमखम रखने वाली टीम। दूसरी ओर थी श्रीलंका। श्रीलंका जिसे वर्ल्ड कप से पहले किसी ने कोई चांस नहीं दिया था। कोई उसे इस लायक नहीं समझ रहा था कि यहां तक पहुंच पाएगी। लेकिन श्रीलंका खिताबी मुकाबले में थी। टूर्नमेंट से पहले वह छुपा रुस्तम थी और टूर्नमेंट खत्म होने के बाद चैंपियन। टूर्नमेंट से पहले श्रीलंका को 1 फीसदी ही जीत का दावेदार माना जा रहा था। श्रीलंका ने पूरे टूर्नमेंट में सभी को हैरान किया। सनथ जयसूर्या और रमेश कालूविताराना की सलामी जोड़ी विपक्षी टीम की धज्जियां उड़ा देती। कोच डेव वॉटमोर और कप्तान राणातुंगा की इस रणनीति ने क्रिकेट को नया आयाम दिया। और उसके बाद अरविंद डि सिल्वा का आक्रामक अनुभव मुश्किल में टीम को पार लगाता। वैसे ही जैसे सेमीफाइनल में भारत के खिलाफ और फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने किया। फाइनल में श्रीलंका के कप्तान अर्जुन राणातुंगा ने टॉस जीतकर फील्डिंग चुनी। इससे पहले कोई भी टीम रनों का पीछा करते हुए वर्ल्ड कप नहीं जीती थी। लेकिन श्रीलंका इस टूर्नमेंट में सब कुछ पहली बार करने जा रही थी। मार्क टेलर के 74 और रिकी पॉन्टिंग के 45 रन की मदद से ऑस्ट्रेलिया ने सात विकेट पर 241 का स्कोर बनाया। यह उस वक्त का अच्छा स्कोर माना जाता था। डि सिल्वा ने गेंदबाजी में दम दिखाते हुए 9 ओवर में 42 रन देकर तीन विकेट, साथ ही दो कैच भी लपके। लेकिन डि सिल्वा का एक और कमाल अभी बाकी था... श्रीलंका ने 23 के स्कोर पर दोनों सलामी बल्लेबाज खो दिए। और फिर दुनिया ने देखा अरविंद डि सिल्वा का जलवा। आज भी डि सिल्वा को श्रीलंका क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में गिना जाता है। और 17 मार्च का वह दिन डि सिल्वा के नाम था। उन्होंने आसंका गुरुसिंहा (65) के साथ मिलकर 125 रन की भागीदारी की। और फिर राणातुंगा (47) के साथ मिलकर टीम को जीत दिलाई। डि सिल्वा 107 रन बनाकर नाबाद रहे। हर टीम के लिए एक टूर्नमेंट, एक मैच ऐसा होता है जो उसके क्रिकेट को हमेशा के लिए बदल देता है, श्रीलंका के लिए वह टूर्नमेंट और मैच 1996 का विश्व कप था। 1981 में टेस्ट मैच खेलना शुरू करने वाली श्रीलंका की टीम 1996 में चैंपियन थी। इसके बाद साल 2007 और 2011 के फाइनल में पहुंची। अर्जुन राणातुंगा श्रीलंका के महानतम कप्तान कहे जाते हैं। उन्होंने टीम में आत्मविश्वास जगाया। 1996 में ऑस्ट्रेलियाई टीम श्रीलंका में अपने मुकाबले खेलने नहीं गई थी। सुरक्षा कारणों को बहाना बनाया गया। राणातुंगा ने इसके बाद ही कहा था कि वह फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के साथ खेलना चाहते हैं। यह अपने आप में अनोखी बात थी।

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