Wednesday, January 29, 2020

500 करोड़ में भारत में बनेगा CoE, होंगी विदेशों जैसी पिच January 29, 2020 at 07:27PM

अरानी बसु, नई दिल्लीभारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड () की नैशनल क्रिकेट अकैडमी () को बदलकर नया सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (CoE) बनाने की योजना है, जिसकी लागत लगभग 500 करोड़ रुपये हो सकती है। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रॉजेक्ट के पूरा होने में 1-2 साल लग सकते हैं। बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'परियोजना के लिए कोई विशेष राशि नहीं दी जा सकती है। हर काम के लिए टेंडर जारी किए जाएंगे लेकिन शुरुआती ब्लूप्रिंट के आधार पर, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि परियोजना की लागत लगभग 500 करोड़ रुपये होगी।' पढ़ें, 1-2 साल में शुरू होगा सेंटरउन्होंने बताया कि इस परियोजना में छह महीने की देरी है, लेकिन बीसीसीआई की नई टीम के साथ काम जोरों पर शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि बोर्ड को उम्मीद है कि यह सेंटर 1-2 साल में शुरू हो जाएगा। एनसीए के निदेशक राहुल द्रविड़ इसमें सक्रिय रूप से शामिल हैं। 4 तरह के ग्राउंड मेडिकल इंस्टीट्यूट्स के साथ संबंध स्थापित कर स्पोर्ट्स मेडिसिन में संशोधन के अलावा, इस सेंटर में पिचों के साथ चार पूरे ग्राउंड बनाए जाएंगे। अधिकारी ने कहा, 'पिचों को लेकर बहुत सारा काम होना है। इन पिचों के लिए अलग-अलग प्रकार की मिट्टी का उपयोग किया जाएगा जिससे ये ऑस्ट्रेलिया, न्यू जीलैंड और इंग्लैंड जैसे देशों की नकल लगे।' पढ़ें, दूसरे मैच खेलने के लिए भी इस्तेमालरिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू प्रतियोगिताओं के अलावा भी मैदान का उपयोग मैचों के लिए किया जा सकता है। अधिकारी ने कहा, 'कुछ जोनल मैच होते हैं। दौरा करने वाली टीमें वॉर्मअप मैच खेलती हैं और बोर्ड द्वारा आयोजित अन्य प्रैक्टिस मैचों भी होते हैं। अगर कोई मैदान उपलब्ध नहीं है तो इन मैदानों का इस्तेमाल घरेलू टूर्नमेंट के लिए भी किया जा सकता है। एक एनसीए की टीम रखने का भी विचार है।' AI पर भी विचारएनसीए पहले से ही लंदन के एक प्रमुख मेडिकल क्लिनिक के साथ जुड़ने की चर्चा में है। ऐसे में जानकारी है कि बोर्ड आर्टिफिशन इंटेलिजेंस के बारे में भी विचार कर रहा है। अधिकारी ने बताया कि बोर्ड को पहले से ही ऐथलीट मॉनिटर सिस्टम और बायोमकैनिकल बोलिंग कोच मिल गए हैं। देखें, दोगुना हुआ बजटकेंद्रीय अनुबंधित खिलाड़ियों की बड़ी सर्जरी के अलावा बीसीसीआई का चिकित्सा व्यय पिछले तीन साल में लगभग दोगुना हो गया है। बोर्ड का प्रति खिलाड़ी बजट भी तीन साल पहले की तुलना में दोगुना हो गया है। एनसीए के बजट में 2017-18 की तुलना में लगभग तीन गुना की वृद्धि देखी गई है। इस बीच, कार्यभार और चोट प्रबंधन अहम होता जा रहा है जिस मांग को पूरा करने के लिए एनसीए भी लड़ रही है। एनसीए ने पिछले साल सभी रजिस्टर्ड घरेलू खिलाड़ियों के लिए अपने दरवाजे खोले थे और कर्मचारी इसके लिए लगातार काम कर रहे हैं।

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