Friday, May 7, 2021

सोनम मलिक- पैरालिसिस को देकर मात, मैट पर अपनी किस्मत लिखती 18 साल की पहलवान May 07, 2021 at 06:53PM

नई दिल्ली 18 साल की हैं लेकिन भारत में महिला कुश्ती में एक उभरता हुआ नाम हैं। इसी साल अप्रैल में कजाकिस्तान में उन्होंने एशियन ओलिंपिक क्वॉलिफायर्स में 62 किलोग्राम वर्ग में सिल्वर मेडल जीतकर तोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वॉलिफाइ किया। वह ओलिंपिक के लिए क्वॉलिफाइ करने वाली सबसे युवा भारतीय पहलवान हैं। सोनम के लिए ओलिंपिक क्वॉलिफायर्स में पहुंचने के लिए सबसे बड़ी चुनौती 2016 रियो ओलिंपिक की ब्रॉन्ज मेडलिस्ट साक्षी मलिक थीं। साक्षी को सोनम ने एक बार नहीं, दो बार नहीं बल्कि चार बार ट्रायल्स में हराया था। लखनऊ में हुए इस टूर्नमेंट में सोनम के दांव के आगे साक्षी की एक न चली और इसके साथ ही उनके ओलिंपिक के दरवाजे बंद हो गए थे। सोनम का जन्म हरियाणा के सोनीपत में हुआ। कुश्ती उन्हें विरासत में मिली। इनके पिता राजेंदर भी कुश्ती किया करते थे। इसके बाद रोजगार के लिए वह अपने पुश्तैनी गांव मदीना में शुगर मिल में डिलिवरी की गाड़ी चलाने लगे। 12 साल की उम्र में सोनम ने कुश्ती करनी शुरू की। उन्होंने कोच अजमेर सिंह मलिक की निगरानी में नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्पोर्ट्स कॉम्प्लैक्स में ट्रेनिंग शुरू की। सोनम ने जल्द ही कुश्ती के दांव में महारत हासिल करनी शुरू कर दी। 2017 में एशियन कैडेट चैंपियनशिप बैंगलोर में वह 56 किलोग्राम भारवर्ग में खेल रही थीं। यहां उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता। इसके बाद वर्ल्ड कैडेट चैंपियनशिप में उसी साल उन्होंने दो गोल्ड मेडल जीते। फिर आया मुश्किल वक्त हालांकि जल्द मिली कामयाबी के बाद उनके लिए मुश्किल आई। नर्व की समस्या के चलते उनके हाथ में हलचल कम हो गई। एक वक्त ऐसा आया कि उनका लिंब पैरालिसिस की स्थिति में पहुंच गया। उनके कोच ने बताया था कि वह हाथ भी नहीं हिला पा रही थीं। और तो और डॉक्टरों को भी कोई उम्मीद नजर नहीं आती थी। उन्हें कुछ और करने की सलाह भी दी गई थी। उनके कोच ने बताया, 'डॉक्टर ने कहा था कि अगर किस्मत होगी तो वह रिकवर हो जाएगी।' सोनम के पिता महंगा इलाज अफॉर्ड नहीं कर सकते थे। ऐसे में घर पर ही ऊगाई गईं आयुर्वेदिक दवाएं काम आईं। और छह महीने में वह मैट पर लौट आईं।

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