Tuesday, March 9, 2021

नितिन मेनन- भारत vs इंग्लैंड सीरीज में किया शानदार प्रदर्शन, लहराया भारतीय अंपायर्स का परचम March 09, 2021 at 07:21PM

नागपुर सामान्य परिस्थितियों में नितिन मेनन () भारत में किसी टेस्ट सीरीज में अंपायरिंग करने के बारे में सोच भी नहीं सकते थे। हालांकि कोविड के प्रतिबंधों के चलते मेनन को यह मौका मिला। मेनन आईसीसी के एलीट पैनल अंपायरों की लिस्ट (ICC Elite Umpires Panel List) में शामिल होने वाले सिर्फ तीसरे भारतीय हैं। उनसे पहले एस. वेंकटराघवन और एस. रवि को यह मौका मिला है। और भारत और इंग्लैंड के बीच दबाव वाली इस सीरीज में मेनन ने जिस तरह अंपायरिंग की उसकी बहुत तारीफ हो रही है। मेनन इस पैनल में शामिल सबसे युवा अंपायर हैं। और जिस संयम और धैर्य से उन्होंने इस बात के लिए दर्शकों और पूर्व क्रिकेटरों की ओर से सराहना मिल रही है। 'मैं उन पर 'विश्लेषक का शाप' नहीं लगाना चाहता लेकिन मेनन ने इस सीरीज में अंपायर के रूप में शानदार काम किया है। यह भारतीय क्रिकेट के लिए बहुत अच्छी बात है। मुझे हमेशा से लगता था कि हमें वर्ल्ड क्लास क्रिकेटर्स के साथ वर्ल्ड क्लास अंपायर्स भी तैयार करने चाहिए।'- संजय मांजरेकर (Sanjay Manjrekar) ने इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के आखिरी मैच के बाद यह ट्वीट किया था। महान खिलाड़ी सुनील गावसकर और पूर्व सलामी बल्लेबाज आकाश चोपड़ा ने भी मेनन की खूब तारीफ की थी। मेनन हालांकि समझते हैं कि उन्हें अपना काम निरंतर अच्छा करना होगा और उन पर हमेशा नजर रखी जाएगी। मेनन ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'मैं किसी को कुछ साबित करने के लिए अंपायरिंग नहीं करता हूं। मैं इसे इसलिए करता हूं क्योंकि मुझे खेल से प्यार है। मुझे कुछ बेहतरीन खिलाड़ियों को करीब से देखने का मौका मिलता है। मुझ पर हमेशा दबाव और उम्मीदें रहेंगी। लोग आपको हर मैच के आधार पर जज करेंगे, भले ही आपका पिछला मैच शानदार ही क्यों न रहा हो। मेरे लिए उस लम्हे में जीना बहुत जरूरी है, मेरे लिए एक वक्त पर एक गेंद पर ध्यान केंद्रित रखना जरूरी है। खिलाड़ियों की तरह, अंपायरों के लिए भी निरंतरता बहुत जरूरी है। मैंने टेस्ट स्तर पर अभी शुरुआत की है और मैं यहां निरंतर अच्छा प्रदर्शन करना चाहता हूं।' एलीट पैनल में शामिल होने के बाद मेनन पर खास नजर है। 37 वर्षीय मेनन कामयाब सीरीज का क्रेडिट पूरी टीम को देते हैं। उन्होंने कहा, 'मैं ईमानदारी से सोचता हूं कि हमने टीम के तौर पर काफी अच्छा प्रदर्शन किया। यह सिर्फ मेरी उपलब्धि नहीं है। आखिरकार आपको एक टीम के रूप में जज किया जाता है। मुझे लगता है कि अनिल (चौधरी), वीरेंद्र (शर्मा) और शम्सुद्दीन ने शानदार काम किया। अगर मेरे साथी अच्छा काम नहीं करेंगे तो मुझ पर दबाव बढ़ जाएगा और मैं गलतियां करूंगा और वैसा ही दूसरों के साथ है। जो हमने इस सीरीज में किया उसे पूरी दुनिया ने देखा। मेरे लिए आईसीसी सिलेक्शन पैनल की राय ज्यादा मायने रखती है।' मध्य प्रदेश के लिए दो लिस्ट ए मैच भी खेल चुके मेनन ने कहा, 'भले ही कोई भी टीम खेल रही हो हमारा काम सही निर्णय लेना है। यह लोगों की सोच है कि भारतीय अंपायर्स भारतीय टीम का पक्ष लेंगे और दूसरी टीम के अंपायर्स अपनी टीम के खिलाड़ियों का समर्थन करेंगे। हम फैंस को राय बनाने से नहीं रोक सकते। हमें लगता है कि हम यहां अच्छा काम करने के लिए हैं। हालांकि जब सुनील गावसकर जैसे महान खिलाड़ी और संजय मांजरेकर और आकाश चोपड़ा जैसे एक्सप्र्ट आपके प्रदर्शन की तारीफ करते हैं तो अच्छा लगता है।' अतीत में भारतीय अंपायर्स को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। भारत में अंपायरिंग के स्तर को लेकर हमेशा प्रश्न चिह्न लगता रहा है। मेनन हालांकि मानते हैं कि भारतीय अंपायर प्रफेशनल हैं और दुनिया के बाकी अंपायर्स जितने ही अच्छे हैं। उन्होंने कहा, 'सच कहूं तो मुझे बिलकुल नहीं लगता कि देश में अंपायरिंग का स्तर अच्छा नहीं है। जो गलतियां अंतरराष्ट्रीय अंपायर्स करते हैं घरेलू स्तर पर भी वही गलतियां होती हैं। एकमात्र अंतर DRS का है। डीआरएस के बिना घरेलू स्तर पर गलतियां सामने आ जाती हैं, वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनमें सुधार हो जाता है। जब टीमें हारती हैं तो वे या तो पिच या फिर अंपायरिंग को जिम्मेदार ठहराती हैं। पिच और अंपायर आसान निशाना हैं। वीरेंद्र शर्मा का उदाहरण लें। उन्हें घरेलू स्तर पर काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है लेकिन दो क्वॉलिटी टीमों के बीच इतनी अहम सीरीज में उन्होंने लाजवाब काम किया। हारने-जीतने वाली टीमों का अंपायरिंग को लेकर हमेशा अलग नजरिया होता है। आप सिर्फ अंपायरिंग फैसलों को हार-जीत का जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।'

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