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नई दिल्ली मार्च की 27 तारीख, साल 1994। रविवार का दिन। भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन के सामने बड़ी चुनौती थी। भारत और न्यूजीलैंड के बीच ऑकलैंड के मैदान पर वनडे इंटरनैशनल मुकाबला खेला जाना था। भारतीय टीम के नियमित सलामी बल्लेबाज नवजोत सिंह सिद्धू मैच शुरू होने से पहले अनफिट हो गए। सिद्धू की गर्दन में दर्द था। अब सवाल था कि पारी की शुरुआत कौन करेगा। ऐसे में नजरें टिकीं 20 साल के सचिन तेंडुलकर के ऊपर। सचिन युवा थे, आक्रामक थे और बीते साढ़े चार साल के करियर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके थे। आखिरी कप्तान ने उन्हें पारी का आगाज करने भेजा। भारत ने न्यूजीलैंड को सिर्फ 149 रनों पर समेट दिया था। लक्ष्य बड़ा नहीं था और ऐसे में अजहर ने यंग सचिन पर भरोसा जताया। और फिर इस फैसले ने भारतीय क्रिकेट की दिशा बदलकर रख दी। और साथ ही सचिन तेंडुलकर के करियर को भी वह जंप दी जिसके वह हकदार थे। सचिन पारी की शुरुआत करने उतरे और धमाकेदार पारी खेली। मैदान के हर ओर गेंद सीमा रेखा के पार जाने लगी। कीवी गेंदबाज हैरान थे कि आखिर हो क्या रहा है। छोटे से लगने वाले लक्ष्य कई बार ट्रिकी साबित हो सकते हैं लेकिन सचिन ने पूरा ध्यान रखा कि ऐसा न हो। उन्होंने महज 49 गेंद पर 82 रन ठोंक दिए। अपनी इस पारी में उन्होंने 15 चौके और दो छक्के लगाए। भारत ने 23.2 ओवर में तीन विकेट पर 143 रन बनाकर मैच जीत लिया। वह शतक से चूक गए लेकिन यह एक ऐसे सफर की शुरुआत थी जिसने आगे कई रेकॉर्ड लिखने थे। सचिन ने कुल मिलाकर वनडे में 344 बार पारी की शुरुआत की। 15310 रन बनाए। औसत रहा 48.29 का। और उनके 49 ODI शतकों में से 45 उन्होंने इसी पोजीशन पर बनाए। इसी से साबित होता है कि वह पारी की शुरुआत करने के लिए बने थे। अब अगर उन मैचों को देखें जहां उन्होंने ओपनिंग नहीं की तो उनका औसत कम हो जाता है। सचिन ने 119 मैचों में नीचे बैटिंग की और यहां सिर्फ 33 के औसत से उन्होंने 316 रन बनाए।
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