खेल डेस्क. रूस ने वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) के उस पर लगाए 4 साल के बैन को चुनौती दी है। शुक्रवार को रूस की एंटी डोपिंग एजेंसी के प्रमुख यूरी गानस ने इसकी जानकारी दी। गानस ने बताया, तय प्रक्रिया के तहत आज हमने वाडा को दस्तावेज भेजे हैं। इसमेंबैनसे असहमति जताने वाला नोटिस भी है। उन्होंने वाडा को एक चिठ्ठी भी भेजी है, जिसमें डोपिंग के खिलाफ अपने कड़े रुख को फिर सेसाफ किया है।
रूस की एंटी डोपिंग एजेंसी लंबे समय से डोपिंग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का दावा कर रही है। न्यूज एजेंसी से बातचीत में गानस ने कहा, ‘‘वाडा के प्रतिबंध के खिलाफ लड़ना व्यवहारिक रूप से असंभव है।उनका कहना है कि रूस को यह प्रतिबंध मान लेना चाहिए और अपनी गलती सुधारकर सिस्टम में बदलाव लाना चाहिए।’’ वैसे गानस का डोपिंग को लेकर रुख हमेशा से सख्त रहा है। इसके चलते उनकी अपनी सरकार से ही पटरी नहीं बैठ रही है।
रूसी राष्ट्रपति ने वाडा की कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताया था
इसी महीने वाडा ने रूस पर एथलीट्स के गलत सैंपल्स भेजने के लिए 4 साल का बैन लगाया था। इसकी वजह से वह 2020 टोक्यो ओलिंपिक और 2022 फुटबॉल वर्ल्ड कप में हिस्सा नहीं ले पाएगा। साथ ही वह विंटर ओलिंपिक और पैरालिंपिक में भी भाग नहीं ले सकेगा। रूसी राष्ट्रपति ने भी वाडा की इस कार्रवाई पर नाराजगी जताते हुए इसे राजनीति से प्रेरित बताया था। उन्होंने कहा था कि रूस इस प्रतिबंध के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेगा। पुतिन ने जोर देकर कहा था, ज्यादातर एथलीट्स इसमें शामिल नहीं है। ऐसे में कुछ खिलाड़ियों की गलती के चलते बाकियों को रूसी झंडे के तले ओलिंपिक या दूसरे बड़े खेल आयोजनों में शामिल होने से नहीं रोका जाना चाहिए।
वाडा ने रूस द्वारा सौंपे डेटा को विश्वसनीय नहीं माना
रूस ने इसी साल जनवरी में वाडा को अपनी सरकारी डोपिंग लैब का डेटा सौंपा था। यह मॉस्को में है। रूस ने कहा था कि इस एकीकृत डेटा को सौंपने के बाद उसे वाडा की प्रतिबंधित लैब सूची से बाहर किया जाना चाहिए। लेकिन, बाद में वाडा ने साफ कर दिया कि उसे जो डेटामिला है, वह विश्वसनीय नहीं है। वाडा ने कहा था कि रूस ने संस्था के मानकों का पालन नहीं किया। रूस के एंटी डोपिंग एजेंसी के प्रमुख यूरी गानस ने भी माना था कि संभवत: वाडा को भेजे गए डेटा से छेड़छाड़ की गई।
4 साल पहले इस विवाद की शुरुआत हुई थी
रूस और वाडा के बीच डोपिंग पर तनातनी 2015 में शुरू हुई। वाडा ने मॉस्को लैब के डाटा को तब भी संदिग्ध मानते हुए रूस को 2016 के रियो ओलिंपिक से बाहर करने की सिफारिश की थी। हालांकि, इंटनेशनल ओलिंपिक कमेटी (आईओसी) ने यह सिफारिश नकार दी थी। रूस को खामियाजा 2018 में भुगतना पड़ा। उसे प्योंगचेंग विंटर ओलिंपिक में हिस्सा तो लेने दिया गया, लेकिन वो पदकों का हकदार नहीं था।
रूस ओलिंपिक में बैन होने वाला 9वां देश
रूस ओलिंपिक में बैन होने वाला 9वां देश है। डोपिंग के कारण पहली बार किसी देश का झंडा नही दिखेगा। इससे पहले ऑस्ट्रिया, बुल्गारिया, तुर्की, हंगरी, जापान और जर्मनी पर विश्व युद्ध में हिस्सा लेने के कारण प्रतिबंध लगा था। दक्षिण अफ्रीका (रंगभेद के कारण) और अफगानिस्तान (महिलाओं पर तालिबानी अत्याचार के कारण) पर भी प्रतिबंध लग चुका है। रूस के खिलाड़ी एथलेटिक्स, रोइंग, वेटलिफ्टिंग और केनोइंग में डोपिंग के कारण 2016 में भाग नहीं ले सके थे। इसके बावजूद रूस ने 19 स्वर्ण पदक अपने नाम किए थे।
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