भारतीय तेज गेंदबाज इशांत शर्मा ने पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा मेरा सपोर्ट किया। 50-60 टेस्ट खेलने के बाद भी उन्होंने कभी नहीं कहा कि वे मेरा विकल्प ढूंढ रहे हैं। इशांत ने कहा कि 97 टेस्ट खेलने के बाद भी मैं औसत और स्ट्राइक रेट को नहीं समझ पाया। मैंने कभी इन चीजों की परवाह ही नहीं की। उन्होंने ईएसपीएन क्रिकइंफो के शो 'क्रिकेट बाजी' में यह बातें कहीं।
32 साल के इशांत ने कहा कि अगर मैं उन्हें समझ नहीं पाता, तो मैं उन पर कैसा भरोसा करता?। औसत और स्ट्राइक रेट एक आंकड़ा भर है। अगर मैं भारत में गेंदबाजी कर रहा हूं और कप्तान मुझसे कहे कि तुम्हें ऐसी गेंदबाजी करनी है कि 20 ओवर में 40 से ज्यादा रन न जाएं, बाकी विकेट लेने का काम स्पिनर्स करेंगे, तो मैं ऐसा करूंगा।
धोनी ने जो काम दिया, उस पर फोकस करता था: इशांत
इस तेज गेंदबाज ने कहा कि मैं सिर्फ उसी रोल पर फोकस करता था, जो कप्तान धोनी मुझे देते थे। यही कारण है कि पूर्व भारतीय कप्तान ने टेस्ट क्रिकेट में मेरे गेंदबाजी आंकड़े औसत होने के बावजूद मुझ पर भरोसा किया। मेरे लिए यह अहम नहीं कि मेरा गेंदबाजी औसत 37 है। मेरा कप्तान धोनी से हमेशा संवाद बना रहा और उन्होंने मुझे समर्थन दिया।
धोनी की कप्तानी के दौरान अक्सर इशांत को बफर गेंदबाज के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा। बिना इस बात की परवाह किए कि उन्हें विकेट मिल रही है या नहीं, वो अपना रोल निभाते रहे। पिछले 5 साल में उनकी गेंदबाजी में काफी सुधार हुआ है। उनके आंकड़े इस बात का सबूत हैं।
इशांत ने करियर के एक तिहाई विकेट पिछले 5 साल में लिए
इशांत ने पिछले 5 साल में 35 टेस्ट में 23.8 की औसत से 110 विकेट लिए हैं। इस दौरान उन्होंने एक पारी में 5 बार पांच विकेट लिए। अगर उनका ओवरऑल रिकॉर्ड देखें, तो उन्होंने 97 टेस्ट में 32.39 की औसत से 297 विकेट लिए हैं। यानी पिछले 5 साल में उन्होंने एक तिहाई विकेट लिए हैं। वह 80 वनडे में 5.72 की इकोनॉमी से 115 विकेट भी ले चुके हैं।
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