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भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ विदेश में अपना पहला डे-नाइट टेस्ट गंवा दिया है। यह एडिलेड टेस्ट मेजबान ऑस्ट्रेलिया ने 3 दिन में ही 8 विकेट से अपने नाम कर लिया। पिंक बॉल टेस्ट के इतिहास में 15 में से यह 5वां मैच है, जो तीन दिन में खत्म हुआ है। मैच का स्कोरकार्ड देखने के लिए यहां क्लिक करें..
मैच में भारतीय कप्तान विराट कोहली ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया था। तब से ही मैच भारत के पक्ष में दिख रहा था। टीम इंडिया ने पहली पारी में 244 रन बना लिए थे। इसके बाद टीम ने 5 कैच छोड़ने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया को 191 रन पर ऑलआउट कर 53 रन की बढ़त ले ली थी।
यहां से भी भारत की जीत आसान दिख रही थी, लेकिन बल्लेबाजों ने टीम की नइया डुबो दी। तीसरे दिन दूसरी पारी में टीम इंडिया 90 मिनट में 36 रन पर सिमट गई। इसके बाद 90 रन टारगेट को मेजबान ऑस्ट्रेलिया ने 2 विकेट गंवाकर हासिल कर लिया। यह डे-नाइट टेस्ट इतिहास में दूसरा मौका रहा, जब कोई टीम पहली पारी में लीड लेने के बावजूद मैच नहीं बचा सकी।
इसी अंदाज में श्रीलंका भी विंडीज को हरा चुकी
इससे पहले 23 जून 2018 में ब्रिजटाउट टेस्ट में श्रीलंका ने वेस्टइंडीज को 4 विकेट से शिकस्त दी। इस पिंक बॉल टेस्ट में वेस्टइंडीज ने पहली पारी श्रीलंका के खिलाफ 50 रन की बढ़त ली थी।
एक घंटे में मैच हाथ से निकल गया: कोहली
मैच के बाद भारतीय कप्तान विराट कोहली ने कहा कि टीम ने दो दिन अच्छा खेल दिखाया था, लेकिन तीसरे दिन शुरुआती एक घंटे में मैच गंवा दिया। हालांकि, कोहली का कहना भी सही है। 53 रन की बढ़त के साथ यदि भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया को 250+ रन का टारगेट देती, तो मैच जीतने की पूरी संभावना थी। एडिलेड में पिंक बॉल टेस्ट में कोई टीम इतना बड़ा टारगेट नहीं दे सकी।
टीम इंडिया ने एक पारी में अपना सबसे कम स्कोर बनाया
कोहली की उम्मीदें को विपरीत भारतीय टीम दूसरी पारी में 36 रन पर सिमट गई। भारत का टेस्ट की एक पारी में अब तक का सबसे कम स्कोर है। इससे पहले भारतीय टीम ने 46 साल पहले सबसे कम स्कोर 42 रन बनाया था। यह इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में 1974 में बनाया था। उस वक्त भारतीय टीम 17 ओवर में ऑल आउट हो गई थी।
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इंडियन फील्डर्स ने 5 कैच छोड़े
पहली पारी में भारतीय खिलाड़ियों ने 5 कैच छोड़े। इसमें मार्नस लाबुशाने को 3 और ऑस्ट्रेलियाई कप्तान टिम पेन को एक जीवनदान मिला। लाबुशाने ने 47 और पेन ने 73 रन की नाबाद पारी खेली। यदि ये कैच लिए गए होते तो भारत की पहली पारी में लीड और भी ज्यादा हो सकती थी। साथ ही दूसरे दिन टीम इंडिया को ज्यादा बैटिंग करने का मौका मिलता और दूसरी पारी में बड़ा स्कोर भी बनने की संभावना थी।
बल्लेबाजों को पिच पर रुककर खेलना था: कोहली
मैच के बाद कोहली ने कहा कि दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलियाई बॉलर्स ने उसी लाइन पर बॉलिंग की, जैसी वे पहली पारी में कर रहे थे। उन्हें सुबह की पिच का फायदा मिला। हमारे बल्लेबाजों को रुककर खेलना था। हालांकि, कोहली का यह बयान भी सही है, लेकिन देखने वाली बात है कि कोहली खुद भी पिच पर रुककर नहीं खेले।
तीसरे दिन भारतीय टीम को एक बड़ी पार्टनरशिप की जरूरत थी। यदि कोई दो बल्लेबाज आधा घंटा भी रुककर खेलते और कम से कम 50 रन की पार्टनरशिप भी करते तो टीम इंडिया 53 रन की लीड के साथ ऑस्ट्रेलिया को बड़ा टारगेट देने में सफल हो सकती थी।
इस खराब रिकॉर्ड के साथ भारत को सीरीज में संभलना होगा
भारतीय टीम के साथ टेस्ट इतिहास में एक खराब रिकॉर्ड जुड़ा हुआ है। टीम इंडिया ने 35वीं बार किसी द्विपक्षीय टेस्ट सीरीज (2+ मैच) का पहला मुकाबला हारी है। टीम को सचेत रहने वाली बात यह है कि इस दौरान भारत ने 31 बार सीरीज गंवाई है। जबकि तीन बार भारत ने विपक्षी टीम के साथ सीरीज ड्रॉ कराई।
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