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गौरव गुप्ता, मुंबईभारतीय क्रिकेटरों ने काफी समय से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेला है और ऐसे में उनके लिए एकदम से लय पकड़ पाना आसान नहीं होगा। लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए कि खिलाड़ियों ने घर पर काफी प्रैक्टिस की होगी और टूर्नमेंट से पहले यूएई में ट्रेनिंग कैंप के जरिए उन्हें टीम कल्चर में ढलने का पर्याप्त समय मिल गया होगा। अब सवाल यह उठता है कि क्या वे विदेशी खिलाड़ी जो कैरेबियन प्रीमियर लीग या इंग्लैंड में सीरीज खेलकर आ रहे हैं उन्हें फायदा होगा। इस बात पर कोई संदेह नहीं कि मैदान के बीच में समय बिताने के मुकाबले और कुछ नहीं और इन खिलाड़ियों को इसका फायदा होगा। यही वजह है कि जिन टीमों के खिलाड़ी इंग्लैंड में सीरीज में भाग लेकर आ रहे हैं वे बीसीसीआई से गुजारिश कर रहे हैं कि उन खिलाड़ियों के क्वॉरनटीन का समय आधा कर दिया जाए। खिलाड़ियों को फ्रेश रखने के लिए क्या कर रहे हैं फ्रेंचाइजी वे ट्रेनिंग को लेकर काफी सजग हैं और अतिरिक्त सावधानियां बरत रहे हैं। कई खिलाड़ी आराम से लौट रहे हैं और उन्हें अपने नियमित रूटीन में लौटने में समय लगेगा। चोटों को बेहतर तरीके से मैनेज करने के लिए चोटी के मेडिकल एक्सपर्ट की सेवाएं ली गई हैं। फ्रेंचाइजी खिलाड़ियों को इंजरी फ्री रखने की अहमियत जानते हैं। क्या भारतीय खिलाड़ियों के लिए इंजरी मैनेजमेंट प्रोटोकॉल अलग हैं? बीसीसीआई ने साफ कर दिया है कि राष्ट्रीय खिलाड़ियों के वर्कलोड मैनेजमेंट पर नैशनल क्रिकेट अकादमी (एनसीए) की राय मायने रखेगी। सभी फ्रैंचाइजी को इन खिलाड़ियों के बारे में कुछ डाटा बीसीसीआई के साथ साझा करना होगा। हालांकि, इस बात की संभावना बेहद कम है कि भारतीय खिलाड़ियों पर करोड़ों की रकम खर्च करने वाले फ्रैंचाइजी उन्हें मैच छोड़ने देने की राजी होंगे।
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