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भारतीय ओलिंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने कहा कि कोरोनावायरस की वजह से पैदा हुए हालात ठीक होने के बाद भारत 2032 ओलिंपिक खेलों की मेजबानी हासिल करने की कोशिशें तेज कर देगा। आईओए अध्यक्ष ने कहा कि 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन से देश ने काफी सीखा है।
बत्रा ने कहा कि हम हम 2026 के यूथ ओलिंपिक गेम्स और 2032 के ओलिंपिक खेलों की मेजबानी के लिए गंभीर हैं। इस संबंध में भारत ने अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक संघ को चिठ्ठी लिखकर मेजबानी को लेकर अपनी रूचि दिखाई है। हालांकि, भारत के लिए राह आसान नहीं होगी। क्योंकि 2026 के यूथ गेम्स को लेकर उसे थाईलैंड, रूस और कोलंबिया जैसे देशों से कड़ी चुनौती मिलेगी। यह देश भी मेजबानी हासिल करने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। वहीं, 2032 ओलिंपिक की मेजबानी के लिए क्वींसलैंड (ऑस्ट्रेलिया), शंघाई और सियोलके बीच भी प्रतिस्पर्धा हो
सकती है।
'2032 ओलिंपिक की मेजबानी के लिए भारत की तैयारी जारी'
आईओए अध्यक्ष ने आगे कहा कि 2032 के खेलों के लिए डॉक्युमेंटशन शुरू हो गया था। लेकिन कोविड-19 की वजह से फिलहाल सारा काम बंद है। उन्होंने कहा कि मेजबानी से जुड़ी प्रक्रिया लंबी होती है। इससे जुड़ीटीम अलग-अलग वेन्यू पर जाती है और इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रैवल और सुरक्षाके अलावा गेम्स के सफल आयोजन से जुड़ी दूसरीजानकारी हासिल करती है।इसके बाद वे रिपोर्ट पेश करते हैं। हालांकि, मौजूदा हालात में मुझे दिसंबर तक इससे जुड़ा कोई काम होने की उम्मीद है। वैसे भी यह ऐसा वक्त नहीं है कि सरकार और कॉरपोरेट हाउसेस से ओलिंपिक की दावेदारी को लेकर कुछ बात की जाए। हमारे सामने पहली प्राथमिकता कोरोना से निपटना है।
कॉमनवेल्थ गेम्स की कामयाबी से भारत का दावा मजबूत: बत्रा
दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी के दौरान भ्रष्टाचार और हाल में ही 2021 विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप की मेजबानी छिनने से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि मुझे बॉक्सिंग विवाद के बारे में तो नहीं पता। हां, लेकिन 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स का सफल आयोजन करके भारत ने यह दिखाया था कि वे ओलिंपिक जैसे बड़े खेलों की मेजबानी करने में भी सक्षम है।
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