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दुबई को अब भी विश्वास नहीं हो रहा है कि प्रतिष्ठित एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में अपने नाम पर लगातार पांचवां पदक सुरक्षित करना किसी तरह की अनूठी उपलब्धि है। थापा को पांचवां पदक सुरक्षित करने के बाद लगा कि जैसे उन्होंने कोरोना वायरस पर विजय प्राप्त कर ली है। इस 27 वर्षीय मुक्केबाज ने दुबई में चल रहे टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में पहुंचकर अपने लिए पदक पक्का किया। नाम की बड़ी उपलब्धिअब शिवा टूर्नामेंट में भारत के सबसे सफल मुक्केबाज बन गए हैं। उन्होंने 2013 में एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था। इसके बाद उन्होंने 2015 में कांस्य, 2017 में रजत और 2019 में फिर से कांस्य पदक हासिल किया था। थापा ने दुबई से कहा, 'वाह। मैं वास्तव में नहीं जानता कि आंकड़ों के लिहाज से यह इतना मायने रखता है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाला पहला खिलाड़ी बनूंगा।' कल होगा सेमीफाइनलसेमीफाइनल में शुक्रवार को ताजिकिस्तान के मौजूदा चैंपियन बखोदुर उस्मोनोव के खिलाफ होने वाले मुकाबले की तैयारियों में जुटे थापा ने कहा, 'आपके नाम पर इस तरह का रिकॉर्ड होना अच्छा है। इससे यह भी पता चलता है कि समय कितनी जल्दी बीत गया। मैं इतने लंबे समय से एशियाई चैंपियनशिप में खेल रहा हूं।' हर पदक की अपनी कहानीथापा से पूछा गया कि इन पांच पदकों में से उनका पसंदीदा कौन सा है, उन्होंने कहा, 'प्रत्येक पदक की अपनी कहानी है, इनमें कोई पसंदीदा नहीं हो सकता है। इन पदकों के दौरान मैं विभिन्न टीमों का हिस्सा रहा और मैंने विभिन्न प्रशिक्षकों के साथ काम किया। इस बीच कुछ लोग हमेशा मेरे साथ बने रहे।' 'मेडल जीतना मानो कोरोना को हराना'पिछले साल जर्मनी में कोलोन विश्व कप में थापा के सहयोगी स्टाफ को कोरोना पॉजिटिव आने के बाद टूर्नामेंट से हटना पड़ा था। वह उनके लिए मुश्किल दिन थे। उन्होंने कहा, 'यह एशियाई पदक एक तरह से आश्वासन है कि हम हार नहीं मानेंगे। इसलिए यह मेरे लिए काफी मायने रखता है।'
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