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नई दिल्ली दुनिया के कुछ शानदार तेज गेंदबाजों के खिलाफ अपना टेस्ट करियर शुरू करने वाले ने रविवार को खुलासा किया कि वह पहले बाउंसर गेंदों से काफी डरा करते थे लेकिन बाद में उन्होंने अपने इस डर पर काबू पा लिया था। गिल ने 91 रन की शानदार पारी से बड़े मंच पर दस्तक की जिससे भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ निर्णायक चौथे टेस्ट के अंतिम दिन शानदार जीत की नींव रखी। छह पारियों में उन्होंने पैट कमिंस, जोश हेजलवुड और मिशेल स्टार्क जैसे गेंदबाजों का सामना किया और 21 साल का यह खिलाड़ी कहीं भी असहज नहीं दिखा। लेकिन कई साल पहले यह आसान नहीं था। गिल ने अपनी आईपीएल फ्रैंचाइजी कोलकाता नाइटराइडर्स की वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट केकेआर डॉट इन से कहा, ‘जब आपको गेंद लगती है तो आपका डर काफूर हो जाता है। आप केवल तभी डरते हो जब तक आपको चोट नहीं लगती, एक बार आपको गेंद लग जाती है तो आपको लगता है कि यह बिलकुल सामान्य है। इसके बाद आपका डर पूरी तरह खत्म हो जाता है।’ उन्होंने कहा, ‘जब मैं युवा था तो मैं बाउंसर से काफी डरा करता था। मैं छाती की ऊंचाई की गेंदों के लिए पहले से ही तैयार हो जाता था। मैं ड्राइव का काफी अभ्यास किया करता था इसलिए मैं स्ट्रेट बल्ले से पुल शॉट खेलने में परिपक्व हो गया।’ गिल ने कहा, ‘मैंने एक और शॉट बनाया है जिसमें मैं कट खेलने के लिए एक तरफ को थोड़ा सा मूव हो जाता हूं। मैं शॉर्ट गेंदों से भी भयभीत होता था इसलिए मैं हमेशा गेंद की लाइन से हटकर कट शॉट खेलता। जब मैं छोटा था तो ए दो-तीन शॉट मेरे पसंदीदा होते थे और अब ए मेरी बल्लेबाजी का अहम हिस्सा बन गए हैं।’ मोहाली में शुरुआती दिनों के बारे में बात करते हुए गिल ने यह भी बताया कि वह अकादमी में एक विशेष तेज गेंदबाज का सामना करने में काफी डरते थे और उन्होंने उसके भय को कैसे खत्म किया। उन्होंने कहा, ‘मैंने पहले ही फैसला कर लिया था कि मैं नीचे झुककर उसकी गेंदों को छोड़ दूंगा। उसने बाउंसर फेंका और मैं नीचे हो गया तो मैंने देखा कि गेंद मेरे बल्ले का किनारा लेकर बाउंड्री की ओर जा रही थी। मैंने महसूस किया कि वह इतना तेज नहीं था। इसके बाद मैंने दो तीन और चौके जड़ दिए। इससे सभी हैरान हो गए और मेरा आत्मविश्वास बढ़ गया।’
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