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साबी हुसैन, नई दिल्ली स्पोर्ट्स फेडरेशन (NSFs) कई बार बहुत खराब हो सकती है। अपनी सत्ता को बचाए रखने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार होते हैं। लेकिन जब एक स्टार ओलिंपियन और देश के सबसे बड़े खिलाड़ियों में से धोखाधड़ी का आरोप लगाए। और यह कहे कि उनके नकली दस्तखत करके जालसाजी की गई है तो यह बात साफ है कि NSF में कुछ बहुत खराब चल रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने 30 नवंबर को खबर दी थी कि कैसे स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के सेकेट्री जनरल ने कथित रूप से दो बार के ओलिंपिक मेडलिस्ट के जाली हस्ताक्षर किए थे। सुशील जुलाई 2016 से इस फेडरेशन के अध्यक्ष हैं। आरोप है कि नकली हस्ताक्षर के जरिए SGFI के नियम सुशील की जानकारी के बिना बदले गए। गुरुवार को ने जालसाजी के आरोपों के बारे में खुलकर अपनी राय रखी। उन्होंने सेकेटरी जनरल राजेश मिश्रा और इस मामले से जुड़े हर व्यक्ति के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाही करने की मांग की। सुशील ने कहा, '12 नवंबर को मुझे खेल मंत्रालय की ओर से एक लेटर मिला, जिसमें SGFI के अधिकारियों द्वारा मिश्रा द्वारा की गईं कथित आर्थिक अनियमितताओं के खिलाफ की गई शिकायत पर मेरी राय मांगी गई थी। इन्हीं दस्तावेजों को देखते हुए मेरी नजर SGFI के कानूनों में बदलाव के कागजों पर मेरी नजर पड़ी। इन पर मेरे दस्तखत थे। मैं यह देखकर हैरान रह गया कि मिश्रा ने मेरे जाली दस्तखत करके कानूनों को अपनी सुविधा के अनुसार बदल दिया था। इसके पीछे उनका मकसद मुझे SGFI के अध्यक्ष पद से हटाना और सारी ताकत अपने हाथ में लेना है। यह एक गंभीर मामला है और मैं मिश्रा के खिलाफ कानूनी कार्रवाही करने जा रहा हूं। उनके खिलाफ FIR दर्ज करवाऊंगा जिसमें फेडरेशन में करोड़ों रुपये की आर्थिक नियमितताएं भी शामिल हैं।' मिश्रा ने नियमों में बदलाव के कागजों पर मेरे दस्तखत कर दिए जिसमें वह सीईओ बने रहेंगे और अगले 10 साल तक उन्हें बिना दो-तिहाई बहुमत के उन्हें उनके पद से नहीं हटाया जा सकेगा। इन नियमों में बदलाव के बाद सुशील एक शक्तिहीन अध्यक्ष रह जाएंगे। सुशील ने मिश्रा को लिखकर इस मामले में उनसे सफाई मांगी है, लेकिन सेकटरी जनरल की ओर से कोई जवाब नहीं आया है।
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